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सियासत

अरविंद केजरीवाल के पीछे खड़ी वो कौन-सी अदृश्य ताक़त है जो हर संकट में उन्हें बचाकर निकाल लेती है!

गिरीश मालवीय-

कोई माने या न माने लेकिन यह पूरी तरह से सच है कि कोई न कोई ऐसी बड़ी ताकत अरविंद केजरीवाल के पीछे खड़ी हुई है, जो हमेशा उसे बचाकर निकाल लेती है।

अगर आप पिछले 15- 20 सालो से मनीष सिसोदिया और केजरीवाल के आप पार्टी समेत उनके तमाम संगठनों पर कड़ी नजर रखते आए हैं तो आपको पूरा पैटर्न समझ में आ जाएगा।

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कल बातो ही बातो में केजरीवाल के मुंह से सच निकल गया जब उनसे कल न्यूयॉर्क टाईम्स में छपे लेख के बारे सवाल किया गया तो केजरीवाल ने कहा, न्यूयार्क टाइम्स में खबर प्रकाशित करना बहुत मुश्किल है जो कि विश्व के सबसे शक्तिशाली देश का सबसे बड़ा अखबार है. हालांकि, उन्होंने फौरन अपनी टिप्पणी में सुधार कर लिया. उन्होंने तुरंत ही कहा, किसी खबर का न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित होना बहुत कठिन होता है. विश्व में हर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एनवाईटी के पहले पन्ने पर अपना नाम और तस्वीर आने के लिए बेकरार रहते हैं.

अब पहली लाइन पर एक बार गौर कीजिए कि अमेरिकी अखबार “न्यूयार्क टाइम्स में खबर प्रकाशित करना बहुत मुश्किल है”।

मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं ! दरअसल केजरीवाल का अमेरिकी संस्थाओं से रिश्ता पुराना है। फोर्ड फाउंडेशन की मेहरबानी हमेशा से केजरीवाल पर ही रही है फोर्ड फाउंडेशन की वेबसाइट के मुताबिक 2011 में केजरीवाल व मनीष की ‘कबीर’ नामक संस्था को करीब दो लाख अमेरिकी डॉलर का अनुदान मिला था। उनके ऊपर फोर्ड ही मेहरबान नहीं रहा, बल्कि ‘अशोक’ नाम की संस्था भी केजरीवाल पर मेहरबान थी। अशोक नाम की संस्था अमेरिका में पंजीकृत है।

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अमेरिकी खुफिया एंजेसी सीआईए और फोर्ड फाउंडेशन के दस्तावेजों पर आधारित एक किताब 1999 में आई थी। किताब का नाम था ‘हू पेड द पाइपर? सीआईए एंड द कल्चरल कोल्ड वार’। इसके लेखक फ्रांसेस स्टोनर सांडर्स ने अपनी इस किताब में दुनियाभर में सीआईए के काम करने के तरीके को समझाया था।

‘हू पेड द पाइपर के फ्रेज को भी समझ लीजिए ……..जो पाइपर को पे करता है वही ट्यून भी बतलाता है वही तय करता है नियम क्या होंगे और चीजों को कैसे किया जाना है।

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इस किताब में उन तरीकों का विस्तार पूर्वक विवरण है जिसमे जिसमें सीआईए जेसी संस्था फोर्ड और रॉकफेलर फाउंडेशन जैसे मैत्रीपूर्ण परोपकारी संगठनों के माध्यम से एनजीओ की मदद करती हैं अब फोर्ड और रॉकफेलर के साथ आप गेट्स फाउंडेशन का भी नाम जोड़ सकते है।

इस गुमान मे भी न रहे कि यह सिर्फ़ केजरीवाल तक ही सीमित है फोर्ड फाउंडेशन ने गुजरात की भी अनेक संस्थाओं को दान दिया है….. मोदी का भी राष्ट्रीय राजनिति में प्रवेश अचानक से नही हो गया है उन्होंने भी 90 के दशक में अमेरिका के कई चक्कर लगाए है।

2015 तक दक्षिण एशिया में फोर्ड की प्रमुख थी कविता एन रामदास। वह केजरीवाल के गॉड फादर एडमिरल रामदास की बड़ी बेटी हैं। पहली बार दिल्ली चुनाव में नामांकन भरने के समय रामदास केजरीवाल के दहिने खड़े थे।

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फोर्ड फाउंडेशन के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि उसका अमेरिका से बाहर पहला और सबसे बड़ा कार्यालय दिल्ली में ही है। इस कार्यालय से नेपाल और श्रीलंका की गतिविधियां भी संचालित होती हैं।

केजरीवाल के उभार के पैटर्न पर किसी का ध्यान नहीं गया दरअसल इक्कीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक की शुरूआत में पूरी दुनियां में अचानक से लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के आंदोलन शूरू हुए जिसे हम अरब स्प्रिंग के नाम से भी जानते हैं।

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अगर आप गूगल करे तो पाएंगे कि फोर्ड फाउंडेशन से जुड़ी हुई एक महिला शिमिरित ली दुनिया के कई देशों में सक्रिय थी। खासकर उन अरब देशों में जहां जनआंदोलन हुए हैं। वह महिला चार महीने के लिए भारत भी आई थी शिमरित ली मई 2010 में भारत आई और कबीर से जुड़ी। वह अगस्त 2010 तक भारत में रही। इस दौरान ‘कबीर’ की जवाबदेही, पारदर्शिता और सहभागिता पर कार्यशालाओं का जिम्मा भी शिमरित ने ही ले लिया था। इन चार महीनों में ही शिमरित ली ने ‘मोहल्ला सभा और स्वराज का कॉन्सेप्ट दिया जो आप पार्टी की यूएसपी बताया जानें लगा।

दरअसल फोर्ड फाउंडेशन ने केजरीवाल को जब वे सरकारी सेवा में थे, तभी पिक कर लिया था फोर्ड उनकी संस्था को आर्थिक मदद पहुंचा रहा था। केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर 1999 में ‘कबीर’ नामक एक संस्था का गठन किया था। हैरानी की बात है कि जिस फोर्ड फाउंडेशन ने आर्थिक दान दिया, वही संस्था उसे मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित भी कर रही थी।

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2012 में सीएनएन के साथ एक विशेष साक्षात्कार में अरुंधति रॉय ने खुलासा किया कि भले ही अन्ना हजारे को जनता के संत के रूप में प्रचारित किया गया था, लेकिन वे आंदोलन के चालक नहीं थे। वह कहती हैं कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन वास्तव में भारत में अंतरराष्ट्रीय पूंजी की पैठ बढ़ाने के लिए बहुराष्ट्रीय निगमों का एक एजेंडा है।…..2022 में उनकी बात काफी हद तक सच साबित हो रही है अब केजरिवाल मुकेश अंबानी और गौतम अदानी का नाम तक नहीं लेते जबकि उनके भ्रष्ट आचरण की दुहाई देकर ही वह इतने आगे बढ़े थे।

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5 Comments

5 Comments

  1. S mishra

    August 21, 2022 at 3:00 am

    Kejriwal most corrupt person

  2. Karan Rastogi

    August 21, 2022 at 9:58 am

    Kya bakwas hai…bina fact .. bina source k kuch bhi likh do…bevkoof log

  3. Deshbhakt

    August 21, 2022 at 3:48 pm

    Duniya bhar ki backchodi karte time facts, basis and apne research documents bhi lga dete varna aisi backchod kahaniyan banane m to godi media bhi expert h

  4. Andhbhakt

    August 21, 2022 at 3:50 pm

    Total bulshit without any evidence and facts

  5. Neetan Grover

    August 21, 2022 at 9:13 pm

    Absolutely correct kejriwal is the most corrupt politicians, after gandhi family, is supported and funded by anti India lobbies from us, UK, Canada etc.

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