Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

इतनी बड़ी खबरें दबा गए ये दो बड़े अखबार!

कोविड-19 में अधिग्रहित शासकीय अस्पताल में निजी प्रैक्टिस व दो नवजातों की मौत की खबर पी गया हिंदुस्तान-जागरण

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर में लाश का इलाज करने के बाद क्रिमिनल केस में फंसा सीलबंद नामचीन अस्पताल मैकू लाल वीरेंद्र नाथ अस्पताल वैश्विक महामारी के बीच लॉक डाउन में कोविड-19 की आड़ में खुल भी गया और फिर से बड़ी लापरवाही के चलते दो नवजात शिशुओं की गुरुवार को मौत भी हो गई मगर देश के नंबर वन अखबार होने का दावा करने वाले जागरण वा हिंदुस्तान इतनी बड़ी खबर को पी गए और एक अक्षर भी छापना गवारा नहीं समझा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दरअसल बीते 7 माह पहले मैकू लाल वीरेंद्र नाथ अस्पताल में वेंटिलेटर पर शव को रखकर उसका इलाज करने के मामले में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीवीराम की जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर के बाद सीएमओ ने अस्पताल को सील कर दिया था। साथ ही इस अस्पताल के संचालन की रजिस्ट्रेशन व अनुमति भी निरस्त कर दी गई थी। इलाज करने वाला न्यूरो सर्जन योगेंद्र नाथ मिश्रा जांच में मुन्ना भाई एमबीबीएस निकला था और उसकी डाक्टरी की डिग्री पूरी तरह फर्जी पाई गई थी, ये मुन्ना भाई तभी फरार चल रहा है। सुनगढ़ी थाना पुलिस इस फर्जी चिकित्सक के विरुद्ध अदालत में चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। लेकिन सत्ता के गलियारों में अपने रसूख के चलते सील हॉस्पिटल को खुलवाने की इस फर्जी चिकित्सक की कवायद लगातार जारी रही।

ताजा मामला यह है कि अमरिया तहसील क्षेत्र के ग्राम हरदासपुर का लोकेश कुमार गर्भवती पत्नी को लेकर 19 अप्रैल को जिला मुख्यालय पर जिला राजकीय संयुक्त चिकित्सालय आया था, महिला चिकित्सालय के चिकित्सकों ने गर्भवती महिला को भर्ती ना करके टरका दिया, तब महिला का पति उसे लेकर मैकू लाल वीरेंद्र नाथ अस्पताल में पहुंच गया। लोकेश के मुताबिक 19 अप्रैल को उसकी पत्नी राधा के एक बेटी नॉर्मल डिलीवरी से हुई दूसरी के लिए ऑपरेशन किया गया। गुरुवार को दोनों जुड़वा बेटियों की मौत हो गई। नर्सिंग होम ने उससे पहले 25 हजार जमा कराए। बाद में 10 हजार और ले लिए। इस अस्पताल में करीब 60 मरीज भर्ती हैं, ज्यादातर महिलाएं हैं, जिनकी डिलीवरी होनी है। यह मामला जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। पीड़ित खुद मीडिया के सामने आया और उसने तमाम इलेक्ट्रॉनिक चैनलों को अपना इंटरव्यू देकर दर्द बयां किया। पूरे जिले भर में इस मामले की चर्चा रही। खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वर्तमान में सोशल मीडिया की दम पर पत्रकारिता करने वाले बड़े अखबारों के कर्मचारी पीलीभीत जैसे छोटे शहर में इस खबर से ना वाकिफ रहे, यह शायद पाठकों के गले नहीं उतरेगा, वह भी तब जब पीड़ित लोकेश कुमार जब मीडिया से रूबरू हुआ तो सभी प्रमुख अखबारों के पत्रकार मौजूद थे लेकिन अगले दिन शुक्रवार को हिंदुस्तान और दैनिक जागरण के पाठकों को तब बड़ी निराशा हुई, जब इतनी बड़ी खबर को दोनों अखबार हजम कर गए। अमर उजाला ने जरूर इस खबर को शुक्रवार के अंक में पेज संख्या दो पर लीड में छापा था।

पत्रकारिता के मौजूदा युग में किसी बड़ी खबर को पूरी तरह से हजम कर जाने के पीछे सिर्फ और सिर्फ दो ही वजह होती हैं या तो मामले में घिर रहे बड़े अफसरों और सरकार को ओवलाइज करना या फिर संबंधित आरोपी पक्ष से डीलिंग। खबर हजम करने की तीसरी कोई वजह होती ही नहीं है। खैर इस मामले में पहले ही दिन खबर ना छपने की वजह इन मीडिया संस्थानों के उच्च प्रबंधन की जांच का विषय है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दो नवजात शिशुओं की मौत से बड़ी खबर यह थी कि लाशों का इलाज करने के मामले में क्रिमिनल केस दर्ज होने के बाद बीते 7 माह से सील बंद अस्पताल जिसका रजिस्ट्रेशन भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग निरस्त कर चुका था, वह खुल कैसे गया ? तब जबकि पूरे प्रदेश में सरकार की एडवाइजरी पर निजी चिकित्सालय में ना सिर्फ भर्ती बल्कि ओपीडी तक करने पर रोक लगी हुई है। बड़ा सवाल यह भी था कि आखिर इसी अस्पताल का कोविड-19 के लिए जिला प्रशासन के बड़े अफसरों ने चयन क्यों किया ? इस अस्पताल को खुलवाने की कहानी में कदम कदम पर बड़े झोल हैं।

किरकिरी हुई तो बैकफुट पर आए दोनों अखबार

Advertisement. Scroll to continue reading.

शहर के नामचीन अस्पताल में लापरवाही के चलते दो नवजात शिशुओं की गुरुवार को मौत के मामले में शुक्रवार के अंक में कोई खबर ना छापने से हिंदुस्तान और दैनिक जागरण की पाठकों के बीच जमकर किरकिरी हुई, तो दोनों अखबार बैकफुट पर आ गए। शनिवार के अंक में दैनिक जागरण में पेज 3 पर लीड में इस खबर का फॉलोअप छापा है, यह अलग बात है कि उसने इस अस्पताल के नाम को पूरी खबर में छुपाए रखा। जबकि हिंदुस्तान अखबार ने एक दिन बाद शनिवार के अंक में लोकल एडिशन में इसे 3 कॉलम में फॉलोअप छाप कर खानापूर्ति कर दी। लेकिन पहले दिन इन दोनों अखबारों में मेन खबर न छपने की इनके पाठकों के बीच खासी चर्चा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement