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पत्रिका ने नौकरी से निकाला, बकाया भी देने को तैयार मगर मजीठिया पर चुप्पी

खंडवा (म.प्र.) : तथाकथित मुहिम और मुद्दों का संचालन कर विज्ञापन के नाम पर माल कूटने वाले पत्रिका अखबार के मालिक कर्मचारियों का बकाया देने को तैयार हैं लेकिन मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक निर्धारित वेतनमान, एरियर और अन्य लाभ देने के लिए उनकी मंशा संदिग्ध प्रतीत होती है। खंडवा में अपनी धुंआधार पत्रिकारिता के दम पर पत्रिका अखबार को ऊंचाई दे चुके शेख वसीम द्वारा पत्रिका प्रबंधन के विरुद्ध मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, मानव अधिकार आयोग, इंदौर श्रमायुक्त और श्र पदाधिकारी से की गई शिकाय त के बाद अब अब भुगतान की सहमति जताई जा रही है लेकिन मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक भुगतान नहीं करना चाहते हैं। 

खंडवा (म.प्र.) : तथाकथित मुहिम और मुद्दों का संचालन कर विज्ञापन के नाम पर माल कूटने वाले पत्रिका अखबार के मालिक कर्मचारियों का बकाया देने को तैयार हैं लेकिन मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक निर्धारित वेतनमान, एरियर और अन्य लाभ देने के लिए उनकी मंशा संदिग्ध प्रतीत होती है। खंडवा में अपनी धुंआधार पत्रिकारिता के दम पर पत्रिका अखबार को ऊंचाई दे चुके शेख वसीम द्वारा पत्रिका प्रबंधन के विरुद्ध मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, मानव अधिकार आयोग, इंदौर श्रमायुक्त और श्र पदाधिकारी से की गई शिकाय त के बाद अब अब भुगतान की सहमति जताई जा रही है लेकिन मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक भुगतान नहीं करना चाहते हैं। 

निष्कासन के लिए पत्रिका द्वारा श्रम कार्यालय में प्रस्तुत पेशबंदी-पत्र पृष्ठ एक

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निष्कासन के लिए पत्रिका द्वारा श्रम कार्यालय में प्रस्तुत पेशबंदी-पत्र पृष्ठ एक

पत्रिका अखबार के खंडवा यूनिट के मैनेजर के हस्ताक्षर से जारी पत्र की प्रति श्रम अधिकारी को सौंप दी गई है। संस्थान द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड के आदेशानुसार भुगतान न करने और प्रताड़ित कर संस्थान से बाहर निकालने के बाद कई कर्मंचारी अब अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। पत्रिका अखबार की तरफ से दाखिल जवाब में शिकायत के बिंदुओं पर गोलमोल उत्तर दिए गए हैं। कहा गया है कि आवेदक को पत्रिका द्वारा कई नोटिस जारी किए गए लेकिन उसका कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। वे संस्थान की सेवाएं स्वयं छोड़ कर चले गए। जबकि सच्चाई यह है कि पत्रिका प्रबंधन ने मजीठिया वेतनमान के हिसाब से भुगतान देने से बचने के लिए पीड़ित को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इतना ही नहीं, पीड़ित को मिले नोटिस पर समय समय पर प्रबंधन से पत्र व्यवहार भी किया गया, जिसके समस्त साक्ष्य एवं दस्तावेज सुरक्षित हैं। 

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पत्रिका प्रबंधन ने श्रम अधिकारी से कहा है कि आवेदक जून 2014 के पश्चात संस्थान में कभी उपस्थित नहीं हुए और न ही नोड्यूज लेकर हिसाब प्राप्त किया है। जो भी हिसाब कानूनन देय बनता हो, उसे वे विभिन्न विभागो से नो-ड्यूज प्राप्त कर अपना संपूर्ण हिसाब किसी भी कार्यालयीन अवधि में लेखा विभाग से प्राप्त कर सकते हैं। बड़ा प्रश्न यह है कि जब संस्थान मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक एरियर और अन्य लाभ देने के लिए तैयार नहीं है तो फिर हिसाब कैसे किया जाए। पीड़ित ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पत्रिका के विरुद्ध अवमानना याचिका दाखिल करने जा रहा है।  

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