राजस्थान में दैनिक भास्कर व राजस्थान पत्रिका की मुश्किलें अब बढऩे वाली हैं। अभी तक तो ये दोनों अखबार श्रम विभाग के इंस्पेक्टरों को कोई तव्वजो नहीं देते थे। कागजात मांगने पर आनाकानी करते थे। संपादकों के जरिए सीएमओ से फोन करवा कर इंस्पेक्टरों पर धौंस जमाया करते थे। अब श्रम विभाग का यही इंस्पेक्टर इनकी मुश्किलें बढ़ाने वाला है।
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पत्रिका ने नौकरी से निकाला, बकाया भी देने को तैयार मगर मजीठिया पर चुप्पी
खंडवा (म.प्र.) : तथाकथित मुहिम और मुद्दों का संचालन कर विज्ञापन के नाम पर माल कूटने वाले पत्रिका अखबार के मालिक कर्मचारियों का बकाया देने को तैयार हैं लेकिन मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक निर्धारित वेतनमान, एरियर और अन्य लाभ देने के लिए उनकी मंशा संदिग्ध प्रतीत होती है। खंडवा में अपनी धुंआधार पत्रिकारिता के दम पर पत्रिका अखबार को ऊंचाई दे चुके शेख वसीम द्वारा पत्रिका प्रबंधन के विरुद्ध मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, मानव अधिकार आयोग, इंदौर श्रमायुक्त और श्र पदाधिकारी से की गई शिकाय त के बाद अब अब भुगतान की सहमति जताई जा रही है लेकिन मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक भुगतान नहीं करना चाहते हैं।
मालिक नहीं, असल गुनहगार संपादक : सुमंत भट्टाचार्य
हाल ही अपने मित्र की मीडिया संबंधित बेवसाइट पर जारी घमासान देख रहा था। मसला जयपुर से निकलने वाले “राजस्थान पत्रिका” के मालिक गुलाब कोठारी और उनके बेटे निहार कोठारी को गरियाने से है। वजह पत्रकारों से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड है, जिसकी एक मीटिंग के बाद सोशल और मीडिया बेवसाइट में पिता-पुत्र को छद्म नामों से मां-बहन करने की बाढ़ सी आ गई है। ये वही पत्रकार हैं, जो बाहर निकले तो सौ रुपए दिहाड़ी पर कोई ना पूछे।