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सुख-दुख

कश्मीर में पकड़े गए गुजराती ठग किरण पटेल का मामला बेहद खतरनाक है!

गिरीश मालवीय-

ठग किरण पटेल का मामला वैसा नही है जैसा पेश किया जा रहा है ……मीडिया में इस बात को छिपाया जा रहा है कि किरण पटेल अहमदाबाद के नवरंगपुरा इलाके में एक फर्म MODIFIED कॉन्सेप्ट प्राइवेट लिमिटेड चलाता हैं। ये फर्म 2016 में बनाई गई थी इसमें वो और उसकी पत्नी डायरेक्टर है।

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अपनी कंपनी की ब्रांडिंग में उन्होंने अंग्रेजी शब्द MODIFIED को उन्होंने “MODI”fied की तरह से पेश किया है।

MODIFIED कॉन्सेप्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के फेसबुक पेज पर रोजमर्रा के काम आने वाली अनेक ऐसी वस्तुएं प्रदर्शित की गई है जेसे ..key चैन, टेबल पर रखने वाली घड़ियां, चाय के कप आदि आदि, जिससे लगता है कि वह नरेन्द्र मोदी की ऑफिशियल ब्रांडिंग है जिस पर”MODI”fied नाम का ठप्पा लगाया जा रहा है यानी मोदी के नाम की मर्चेंडाइजिंग !

उसके ट्विटर पेज पर ऐसी अनेक फोटो है जिसमे वो कश्मीर के युवाओं को ऐसी एप्रन पहना रहा है जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में MODI”fied लिखा है।

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साफ दिख रहा है कि वो मोदी के नाम से किस तरह से अपना धंधा जमा रहा था और इस ब्रांडिंग के साथ वो काश्मीर के अपने दूसरे धंधे भी जमा रहा था उसकी पत्नी का कहना है कि किरण पटेल एक इंजीनियर है गुजरात पुलिस बता रही है कि किरण पटेल 2015 से “विकास परियोजनाओं की समीक्षा के लिए” कश्मीर का दौरा कर रहे हैं। “पटेल ने कथित तौर पर पीरपंजाल सुरंग परियोजना और श्रीनगर में लाल चौक के पुनर्विकास जैसी विकास परियोजनाओं की निगरानी के लिए जम्मू-कश्मीर में विभिन्न क्षेत्रों का दौरा भी किया है।

प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से मोदी जी को इस बात की जानकारी न हो ऐसा सम्भव ही नहीं है क्योंकि मोदी जी तो ड्रोन उड़ाकर उड़ती चिड़िया के पर गिन लेते है और कोई उनके नाम का इस्तेमाल कर कश्मीर जैसी सेंसेटिव जगह पर तीन तीन दौरे कर रहा हो ऐसा होना सम्भव ही नहीं लगता जनवरी 2023 में वो रूस भी गया है।

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बताया जा रहा है कि गुजरात के प्रशासनिक और सियासी गलियारों में किरण पटेल अंजान हो ऐसा नहीं है। सीएम के ऑफिस तक उसकी पकड़ जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे तब से थी। उसकी पहचान तब संघ के सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर रही है इंडिया टुडे ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उसे आज भी गुजरात भाजपा का नेता माना जाता है। उसे अक्सर भाजपा कार्यालय में देखा जाता था।

स्पष्ट है कि मोदी के नाम का सीधा इस्तेमाल कर लोगों से ठगी के मामले को सुरक्षा में चूक की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है।

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कृष्ण कांत-

कश्मीर में पकड़े गए गुजराती ठग किरण पटेल का मामला दिलचस्प मगर बेहद खतरनाक है। इस मसले पर कुछ गंभीर सवाल खड़े होते हैं। किरण पटेल की पहचान गुजरात में भाजपा नेता के रूप में है, वह भाजपा का सदस्य है, जेपी नड्डा समेत भाजपा के बड़े नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें हैं। क्या यह सब सिर्फ इत्तेफाक है?

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उसने अपना पता ’34, मीना बाग, दिल्ली’ बताया है। ये वह इलाका है जहां देश के वीआईपी लोगों के आवास हैं। क्या ये आवास उसके नाम अलॉट है?

उस पर रोजाना 33 लाख रुपये खर्च हो रहे थे। देश में जेड प्लस सिक्योरिटी सिर्फ 40 लोगों को मिली है। इतनी महत्वपूर्ण सुरक्षा उसे यूं ही मिल गई?

अगर वह सच में पीएमओ का अफसर होता तो भी क्या पीएमओ के अफसर को सिक्योरिटी मिल सकती है? क्या यह वैधानिक है? फिर उसे कैसे मिल गई?

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बिना केंद्र सरकार की जानकारी/आदेश के किसी को जेड प्लस सिक्योरिटी मिल जाना संभव है?

क्या उसे किसी के द्वारा किसी मकसद से कश्मीर भेजा गया था और वह मकसद पूरा नहीं हुआ?

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पटेल के साथ दो और राजनीतिक रसूख वाले लोगों को पकड़ा गया था, उन्हें क्यों छोड़ दिया गया? वे कौन लोग थे?

गुजराती ठग किरण भाई पटेल एक केंद्र शासित राज्य में PMO का अफसर बनकर जाता है। राज्य का सारा प्रशासन उसे PMO का अफसर मान लेता है। उसे जेड प्लस सिक्योरिटी मिलती है, बुलेटप्रूफ SUV सुविधाएं मिलती हैं, फाइव स्टार होटल में मीटिंग का खर्च मिलता है, शीर्ष अधिकारी उसके साथ बैठकें करते हैं, सरकारी विभागों में गेस्ट बनकर रहता है, निजी सुरक्षा अधिकारी मिलता है, सारे संवेदनशील जगहों और दफ्तरों में उसकी पहुंच है और किसी को भनक तक नहीं? खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों को कुछ मालूम ही नहीं? पूरे प्रदेश के प्रशासन ने बिना बैकग्राउंड चेक किए उसे पीएमओ का अधिकारी मान लिया? राज्य के अधिकारियों का केंद्र के अधिकारियों से कोई कम्युनिकेशन नहीं है? मैं इसे नहीं मान सकता हूं।

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देश के सर्वोच्च कार्यकारी पद यानी प्रधानमंत्री के कार्यालय के नाम पर कोई ठग एक पूरे प्रदेश को महीनों तक मूर्ख बना सकता है? अगर यह सच है तो देश कितने मजबूत हाथों में है, आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते!

किरण भाई पटेल का वकील दावा कर रहा है कि उसके साथ दो और लोग थे जो राजनीतिक लोग हैं और सिक्योरिटी उन्हें दी गई थी। वे दो लोग कौन हैं? 2020 में आतंकियों के साथ एक डीएसपी दविंदर सिंह गिरफ्तार हुआ था। वह मामला भी हैरान करने वाला था, उसका क्या हुआ? ऐसी कहानियां पढ़ते वक्त यह ध्यान रखिए कि स्टेट मशीनरी और सरकार हमारी कल्पनाओं से बहुत ज्यादा ताकतवर होती है।

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संजय कुमार सिंह-

पीएमओ के कथित अधिकारी का लंबा दौरा, सोशल मीडिया पर उसकी रिपोर्ट और तस्वीरें, विजिटिंग कार्ड आदि उसके फर्जी होने का भी यकीन नहीं करने देते हैं। 2024 चुनाव से पहले पुलवामा जैसा कुछ (मेरा मतलब किसी बड़ी खबर से है) फिर होने की आशंका तो बहुतों को है। पर तैयारी कौन कर रहा है और क्या वह पहले पकड़ा जा सकता है? और पकड़ा गया तो पता चलेगा?

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एक गुजराती ठग ने पीएमओ का फर्जी अफसर बनकर कश्मीर में मस्ती की, बॉर्डर तक गया, नाम जानते हैं क्या था – किरण भाई पटेल?

ऐसा हो सका, वह भी कश्मीर में, 370 हटाने के बाद की स्थितियों (या सुरक्षा) में – बताता है कि पूरा सिस्टम कितना लचर और शर्मनाक है। इसे कोई विदेश जाकर नहीं बताये, वरुण गांधी बोलने का निमंत्रण टुकरा दें (अनजान कारणों से उनके गांधी होने पर महामहिम के सवाल न हों) और खुद प्रचारित करें, तो विदेश के लोग नहीं जानेंगे, दुनिया नहीं जानेगी? हम किस उम्मीद और किस दुनिया में रह रहे हैं। किस जमाने में हैं? सत्यमेव जयते हमारा आदर्श वाक्य यूं ही नहीं है। फिर भी आप झूठे गुमान में मनमानी करेंगे तो सच छिपा नहीं रहेगा।

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ठीक है कि आप झूठ बोलकर शिखर पर पहुंच गए और संभव है आगे भी लोग पहुंच जाएं। लेकिन जीतता सत्य ही है। आप जीतकर भी हारे हुए हैं। दिख रहा है।

आप जो हैं, जैसे हैं वह सबको पता है, पता चल जाएगा चाहे आप सात तालों में रहिए और मन की बात करते रहिए। मुझे लगता है कि सवाल नहीं पूछने या सवाल पूछने के डर से ही ऐसे लोग कामयाब हो पाता है। उसने हिम्मत की कि लोग ताली बजाएंगे और लोगों ने ताली बजाकर वह सब कर दिया जो वह चाहता था। सवाल पूछने की हिम्मत किसी में थी ही नहीं. जिसमें है, उसे आप तोड़ने में लगे हैं। सिर धुनिये कि हम कैसे लोगों की सुरक्षा और नियंत्रण में हैं।

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जब कश्मीर में ये हाल है तब ….

‘चौकीदार’ के राज में सरकारी एजेंसियां विपक्ष के पीछे लगी हैं, सरकारी पार्टी राहुल गांधी के पीछे और राहुल गांधी अदानी के पीछे। भाजपा की राजनीति या लोकप्रियता का हासिल यही है और इसमें हाल यह है कि एक गुजराती ठग 370 के बाद वाले कश्मीर में सरकारी खर्चे पर, सरकारी सुरक्षा में पूरी व्यवस्था को मूर्ख बनाता रहा। और 18 घंटे काम करने का दावा करने वाले के राज में इस ठग पर भी ‘माइक’ बंद है।

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शायद कह दिया जाए कि सप्ताहांत है इसलिए। लेकिन पुलवामा के बाद कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा और अब सुरक्षा में सेंध का यह मामला सामने आया। इसका पता तो पहले ही लग गया था लेकिन खुलासा नहीं कया गया और लोगों को जानकारी हुई तब जब छिपा कर रखना संभव नहीं हुआ और यह फायदा मिला 56 ईंची सीने का।

ऐसा नहीं है कि यह कोई पहली बार हुआ है। संयोग मानिये या प्रयोग ये घटनाएं भारतीय जनता पार्टी के शासन में ही हुई हैं और इतनी हैं कि इसे संयोग या प्रयोग नहीं साजिश भी कहा जा सकता है, बशर्ते कायदे से जांच हो। पहले तो मामले याद कर लीजिए कंधार हाईजैक, अक्षरधाम हमला, रघुनाथ मंदिर हमला, कारगिल हमला, संसद पर हमला, अमरनाथ यात्रियों पर हमला, गोधरा कांड, पठानकोट हमला, उरी हमला, पुलवामा हमला।

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इसके बाद जिस ढंग से अनुच्छेद 370 हटाया गया और जो सुरक्षा वहां है या होनी चाहिए उसमें जो वारदातें हुईं उन्हें छोड़ भी दें तो यह अपने किस्म का अजूबा है। और इसपर चुप्पी – कानफाड़ू। इन हमलों में ज्यादातर की तारीख चुनाव या मतदान से मिलाई ही जा सकती हैं, सच यह भी है कि गोधरा मामले में आग बोगी के अंदर से लगाने की रिपोर्ट है।

कंधार हमले में जो आतंकवादी छोड़े गए उन्हीं में से एक ने संसद पर हमला किया। एक ने पत्रकार डैनियल पर्ल का अपहरण कर उसकी हत्या की। इसके बावजूद कई हमले हुए, पुलवामा हुआ और अब गुजराती ठग का यह कांड। और उसपर भी कानफाड़ू चुप्पी है। प्रशासनिक क्षमता, लाल आंख दिखाने, घुसकर मारने और सपनों के भारत, 100 दिन में काला धन वापस लाने का क्या हुआ।

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