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सुख-दुख

बकाया सेलरी की मांग करने पर कम्पनी ने लीगल नोटिस थमा दिया

-किशोरी मिश्रा-

पिछले कुछ दिनों पहले मैंने सोशल मीडिया शीरोज कंपनी द्वारा मेरा एफएनएफ क्लियर ना करने की बातें लिखीं थीं, उन सभी पोस्ट में मैंने वो सारी बातें लिखीं, जो मेरे साथ घटीं। जब कोई उचित जबाव नहीं आया, तो मैं लेबर कोर्ट भी पहुंची। शायद वहां से शीरोज कंपनी की एचआर और वहां की ऑनर के पास लेबर मिनिस्ट्री से कॉल गया था, वहां कॉल जाने के बाद भी उन्होंने पैसे लौटाने की किसी भी तरह की कोई बात नहीं की, जिसके बाद मेरी कंप्लेन लेबर कमिश्नर को फॉर्वर्ड कर दी गई।

यहां तक सब ठीक था, मुझे लगा मेरे पैसे कैसे ना कैसे वापस आ जाएंगे। मेरे अंदर थोड़ी उम्मीद जगी थी, लेकिन आज से ठीक 2 दिन पहले मेरे घर एक कुरियर आया, जिसमें मेरे खिलाफ मानहानि का नोटिस भेजा गया है। इस नोटिस के आने से मैं मानसिक रूप से परेशान हूं। परेशान मैं जनवरी से अबतक भी बहुत ज्यादा हुई हूं और लेबर मिनिस्ट्री से लेकर लेबर कोर्ट के चक्कर लगाएं हैं, तो आप सभी समझ सकते हैं कि कितना परेशान हुई होंगी।

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लेकिन मैं परसों से मानसिक रूप से काफी ज्यादा परेशान हूं। मैं लगातार सोच रही हूं कि आखिर मैंने ऐसा क्या लिखा है, जिससे किसी व्यक्ति या कंपनी की मानहानि हुई हो? क्या मैंने कुछ गलत लिखा? क्या मैंने किसी तरह कंपनी के लिए या फिर व्यक्ति के लिए गाली-गलौज का इस्तेमाल किया? क्या मेरे आरोप गलत हैं? मेरे मन में बस एक सवाल है कि अपने हक की बातें और अपने साथ घटी घटनाओं को लिखना भी क्या मानहानि हो सकती है?

अगर सच बोलने से मानहानि हो रही है, तो प्लीज पैसे दे दें और मेरी बातों को झूठला दें। मैं अपने सारे पोस्ट वापस ले लूंगी और कह दूंगी कंपनी और कंपनी की ऑनर बहुत अच्छी हैं, लेकिन मेरे साथ तो उल्टा हो रहा है। मैं समझ नहीं पा रही हूं आखिर क्या करूं? काफी सोचने के बाद मैं फिर से लिखने के लिए आ गई, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ गलत लिखा है या फिर मेरे ऊपर किसी तरह का कोई केस बन सकता है। अगर ये केस बना भी तो उल्टा केस बन जाएगा।

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सबसे आश्चर्य की बात ये है कि मैं एक ऐसी कंपनी द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही हूं, जो स्वयं महिलाओं के हक की बातें करती हैं और महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ना सिखाती हैं। मेरे साथ ऐसा करके तो कंपनी महिलाओं के मनोबल को सिर्फ तोड़ने का काम कर रही है।

मैंने अबतक सारे पोस्ट सबूतों के आधार पर पोस्ट किए हैं, आज भी वही कर रही हूं, तो मुझे नहीं लगता मैं गलत हूं। मुझे किसी कंपनी से कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं है और ना मैं कोई राजनेता, जो बेबुनियाद इल्जाम लगाऊं। मुझे बस अपने पैसे चाहिए और कुछ नहीं।

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धन्यवाद

मानसिक रूप से प्रताड़ित पीड़िता

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किशोरी मिश्रा

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1 Comment

1 Comment

  1. ramesh singh

    October 9, 2020 at 7:28 pm

    नोटिस देना तो सबका मौलिक अधिकार है। चाहे वह गलत हो या सही। यह तो सिर्फ मानसिक दबाव बनाने के लिए दिया गया है। जिससे कर्मचारी मानसिक दबाव में आ जाए। यदि आपके पास सैलरी न देेने के सबूत हैं तो कंपनी कुछ नहीं कर सकती। सोशल मीडिया पर आप अपना दर्द लिखती रहे। इससे कंपनी पर दबाव पड़ेगा और वह जल्द भुगतान करने की कोशिश करेगा।
    उल्टा कंपनी का फर्जी आडिट रिपोर्ट को लेकर आप गुमनाम से कंपनी मंत्रालय में शिकायत कर दो। फिर नोटिस देने वाले सब गायब हो जाएंगे। और कौन शिकायत किया यह भी पता नहीं चलेगा।

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