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सुख-दुख

वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर रीढ़ की गंभीर बीमारी से पीड़ित, आपरेशन के लिए मदद की अपील

शीतल पी सिंह-

अपील… कुमार सौवीर क़रीब चार दशकों से अधिकतर लखनऊ में और समय समय पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों से पत्रकारिता में मुलब्बस रहे हैं । पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से नौकरी विहीन हैं और स्वतंत्र पत्रकारिता करते रहे हैं ।

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पिछले कई वर्षों से रीढ़ की हड्डी की अनेक समस्याओं और उच्च रक्तचाप की समस्याओं ने दो बार उन्हें काल के गाल के क़रीब पहुँचाया जिसमें उन्हें लक़वे के दौरे पड़े । लेकिन मस्तमौला इंसान हैं और ऐसी विकट परिस्थितियों में भी लखनऊ के मिज़ाज की हिफ़ाज़त के लिये केरल के पत्रकार “सिद्दीक़ कप्पन” की ज़मानत लेने तब खड़े हो गए जब डाक्टर ने लकवे के दौरे के चलते उन्हें बिस्तर पर जकड़ दिया था ।

दिल्ली प्रेस क्लब के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने मेरे अनुरोध पर दिल्ली के वसंतकुंज स्थित spinal injuries के लिए बने एक विशिष्ट अस्पताल में उनका परीक्षण करवाया जहां पता चला कि उनकी रीढ़ की कई हड्डियाँ कई जगह चटकी/टूटी पड़ी हैं जिससे पैदा होते दर्द के दबाव में उनकी बनावट ऐसी हो गई है लगता है कूबड़ निकल गया हो ! यह परिस्थिति तत्काल शल्य चिकित्सा की माँग कर रही है जिसमें कम से कम दस से पंद्रह लाख रुपये का ख़र्च लगना है ।

अधिक विस्तार न करते हुए मैं उनके अकाउंट का नंबर और IFSC कोड संलग्न कर रहा हूँ, बाक़ी आप स्वयं समझदार हैं ।

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खाताधारक : कुमार सौवीर
खाता नंबर: 05941140009718
RTGS code: HDFC 0000412
HDFC बैंक , अलीगंज, लखनऊ


नीचे की पोस्ट ख़ुद कुमार सौवीर की है जिसे उन्होंने फ़ेसबुक पर डाला है-

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निंदक, विरोधी और कुमार सौवीर के अनिष्टकांक्षी सज्जनों के लिए एक खुशखबरी है। खबर यह है कि कुमार सौवीर की रीढ़ की हड्डी यानी मेरु-दण्ड चिटक गयी है।

वसंत कुंज, दिल्ली के इंडियन स्पाइन इंजरी सेंटर के डॉक्टरों ने विभिन्न जांच और गहन छानबीन के बाद ऐलान कर दिया है कि कुमार सौवीर का वह हिस्सा चटक गया है, जिसे चिकित्सा-विज्ञान में L-1 और L-2 के तौर पर पहचाना जाता है। 13 महीना पहले हुए सड़क हादसे का यह नया मोड़ अब पहचान कर पाए हैं डॉक्टर।

डॉक्टरों के मुताबिक यह स्थिति खतरनाक है। इतनी चिंताजनक कि रीढ़ किसी भी वक्त टूट कर दोहरी हो सकती है। और अगर ऐसा होता है तो कुमार सौवीर हमेशा-हमेशा के लिए अपाहिज हो जाएंगे। डॉक्टरों का कहना है कि इस हालत का उपचार केवल ऑपरेशन है। और तब तक पूर्ण विश्राम ही होना चाहिए।
अब देखता हूं, यह ऑपरेशन मैं कब तक करा पाऊंगा!

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तो असमर्थ साथियों ! मुझ पर आंसू टपकाओ, और मेरे विरोधी दशानन सज्जनों ! मेरी दशा पर अट्ठहास करो।

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