गिरीश मालवीय-

ये तस्वीर देख कर कन्फ्यूज मत हो जाइए, यह जो ख़बर है वो 2012 की है, इस ख़बर में उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी जी कह रहे हैं कि कोयला घोटाला देश के मुंह पर कालिख पोत रहा हैं, लेकिन ठीक वही 2022 में जो घोटाला सामने आया है वो देश के मुंह पर पाउडर लिपिस्टिक थोप रहा है क्योंकि अब मोदी जी देश के प्रधानमन्त्री हैं।
कल गुजरात से आई कोयला घोटाले की ख़बर ने देश की जनता को चौका दिया क्योंकि गुजरात सरकार के सरंक्षण मे घोटाला 13-14 साल से लगातार चलता आ रहा है, वैसे यह स्टोरी मित्र Dr. Rakesh Pathak ने लगभग एक महीने पहले अपने वेब पोर्टल कर्मवीर में सबसे पहले ब्रेक की थी
कल की भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 14 साल में गुजरात सरकार की द्वारा नियुक्त की गई एजेंसियों ने स्मॉल और मीडियम लेवल इंडस्ट्रीज को कोयला देने के बजाय इसे दूसरे राज्य के उद्योगों को ज्यादा कीमत पर बेचकर 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया है। ये एजेंसियां पिछले 14 वर्षों से लघु उद्योगों को देने के लिए कोयला उठा तो रही हैं लेकिन गुजरात के लघु उद्योगों को कभी कोयला प्राप्त नहीं हुआ
दरअसल देश भर में लघु उद्योगों को कोयला आवंटन के लिए भारत सरकार ने विधिवत नीति निर्धारित की हुई है। लघु उद्योगों को रियायती दर पर सस्ते में कोयला दिया जाते हैं। लघु उद्योगों को वितरित करने के लिए कोल इंडिया राज्यों को कोयला आवंटित करता है और उसके बाद राज्य द्वारा नियुक्त एजेंसी इसका आगे वितरण करती है।
कोल इंडिया से कोयला कंपनियां से डिलीवर ऑर्डर ( DO) तो गुजरात की एजेंसीज के नाम से ही जारी होते हैं लेकिन कोयला गुजरात पहुँचता ही नहीं है।
दूसरे राज्यों में कोयले को लाने का काम संबंधित राज्य अपने ही किसी विभाग को सौंपते हैं, जैसे मध्यप्रदेश में लघु उद्योग निगम यह दायित्व निभाता है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सरकारों ने भी यह जिम्मेदारी अपने सरकारी विभागों को ही दे रखी है। जबकि गुजरात की बीजेपी सरकार ने कुछ चुनिंदा एजेंसियों को ही नियुक्त किया है.
जब भास्कर ने उन एजेंसियों की पड़ताल की, जिन्हें गुजरात सरकार ने नियुक्त किया है तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। एजेंसियों ने अपना जो पता लिखाया है, वहां उस नाम का कोई संगठन ही नहीं है। यहां तक कि पंजीकृत कार्यालय का पता भी गलत है। और यह घोटाला 2008 से ही चल रहा है इस दौरान बीजेपी सरकार के मंत्रियों अधिकारियों ने कोयले को खुले बाजार में बेचकर लगभग 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपए कमाए हैं आज मित्र भास्कर के ही पत्रकार मित्र Sunil Singh Baghel ने इस बिकवाली पर अलग से विस्तारपूर्वक स्टोरी की हैं
नरेंद्र मोदी इस घोटाले में सीधे शामिल हैं….. क्योंकि यूपीए सरकार ने 2007 में देश भर के छोटे उद्योगों को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाला कोयला उपलब्ध कराने की नीति बनाई थी। 2008 में नई कोयला वितरण नीति लागू कर दी गई और गुजरात मे 2007 से दिसंबर 2012 तक उद्योग, खान और खनिज विभाग का प्रभार मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के पास था, और इसी दौरान इस घोटाले की शुरूआत हुई हैं .……..
क्यो मोदी जी ? अब आपके गृह राज्य से कोयला घोटाला की ख़बर आ रही हैं तो इसमें देश का मुंह कोयले की दलाली में काला नही हो रहा क्या ?
One comment on “महा भ्रष्टाचार का गुजरात मॉडल”
Ab samjhe GUJARAT MODEL kya hai.
Ye model hi hai….magar ab make up dhul raha hai to vastavikta samane aa rahi hai.
Bhanumati ka peetara dheere dheere khul raha hai.
Aam janata ka to ye haal ho gaya hai ki eedhar bhi khai (kuvan nahi) udhar bhi khai.