अंग्रेजी अखबारों में टैक्स आतंकवाद का कांग्रेस का आरोप आज सेकेंड लीड है; राहुल गांधी ने कहा है, सरकार बदलने पर लोकतंत्र का चीर हरण करने वालों पर कार्रवाई होगी
संजय कुमार सिंह
आज के मेरे दोनों हिन्दी अखबारों में एक दिलचस्प खबर है। खबर यह है कि जेल में बंद महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने दिल्ली के मंत्री और जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता सत्येन्द्र जैन पर आरोप लगाया है कि उससे 10 करोड़ रुपये की उगाही की गई। केंद्र सरकार इस आरोप की सीबीआई से जांच कराएगी। गृहमंत्रालय की अनुमति के बाद उपराज्यपाल ने फाइल मुख्य सचिव को भेज दी है। नवोदय टाइम्स के दो पहले पन्ने में एक में यह खबर लीड है। अमर उजाला में यह खबर लीड से ऊपर लगभग चार कॉलम में है। मेरे पांच अंग्रेजी अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है और कहीं छोटी-मोटी हो, छूट गई तो आप समझ सकते हैं कि कितनी महत्वपूर्ण है। फिर भी यह खबर है तो हेडलाइन मैनेजमेंट के कारण और आज अगर इन दो अखबारों में प्रमुखता से नहीं छपी होती तो मैं इसकी चर्चा नहीं करता। इसी तरह, मैं पहले कह चुका हूं कि अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई और जमानत नहीं हो रही है क्योंकि सरकार ने यह व्यवस्था बना रखी है और अब उसी में फंस गई है। केजरीवाल को जमानत मिले तो बहुत सारे मुद्दों की चर्चा रुकेगी वरना यही सब चलता रहेगा।
सरकार के हेडलाइन मैनेजमेंट के बावजूद आज के अंग्रेजी अखबारों में कांग्रेस का आरोप प्रमुखता से छपा है। चुनाव के समय कांग्रेस का खाता फ्रीज कर आयकर विभाग द्वारा जबरन वसूली के बाद 1800 करोड़ रुपए से ऊपर की मांग पर कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है और अखबारों में न सिर्फ पूरी प्रमुखता मिली है बल्कि इस तथ्य को कम महत्व मिला है कि इस हिसाब से भाजपा की देनदारी 4000 करोड़ रुपये से ऊपर बनेगी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने आयकर विभाग के अनाम स्रोत के हवाले से राजनीतिक जवाब छापा है जो सरकार की तरफ से होना चाहिये था। तीसरी खबर भारत रत्न की है जो आज उल्टा असर कर गई। पहले कांग्रेस को आयकर नोटिस और अखबारों में खबर देख लेते हैं।
1. हिन्दुस्तान टाइम्स
कांग्रेस ने भाजपा पर हमले के लिए नए टैक्स नोटिस का उल्लेख किया, दोनों तरफ से शब्दवाण चले। यह खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर लीड है। अखबार ने इसके साथ नोटिस का विवरण और कांग्रेस का आरोप, टैक्स आतंकवाद छापा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि कांग्रेस को आर्थिक रूप से विपन्न कर देने की कोशिशें चल रही हैं। पर हम डरने वाले नहीं है।
2. टाइम्स ऑफ इंडिया
यहां कांग्रेस का आरोप और आयकर विभाग का जवाब आमने-सामने है। आयकर विभाग का जवाब अनाम सूत्रों के हवाले से है। मुख्य शीर्षक है, कर विभाग ने नई मांग जारी की तो विपक्ष ने गलत का आरोप लगाया। डेढ़-डेढ़ कॉलम की दो खबरों में पहली का शीर्षक है, “टैक्स आतंकवादी सरकार भाजपा द्वारा नियमों के उल्लंघन को नजरअंदाज कर रही है : कांग्रेस”। इसमें सुबोध घिल्डियाल की बाईलाइन है जबकि दूसरी खबर टाइम्स न्यूज नेटवर्क की है। अगर दोनों खबरें एक ही रिपोर्टर की है तब बाईलाइन नहीं होना समझ में आता है। पर दो अलग रिपोर्टर की खबर हो और इसमें बाईलान नहीं होना सामान्य नहीं है। अखबार या खबर के अनुसार सरकार के पास जवाब देने का समय था उसने राजीतिक विवाद खड़ा करने का फैसला किया।
(मुझे लगता है कि आयकर विभाग को पुराने मामले में इतनी बड़ी राशि की देनदारी निकालने के बाद वसूली के लिए समय देना चाहिये था। अभी ही खाता फ्रीज करके पैसा निकाल लेना टैक्स आतंकवाद ही है। अखबार ने इन खबरों के साथ बताया है कि भाकपा को भी 11 करोड़ रुपये के बकाये का नोटिस मिला है। अगर भाजपा को भी कांग्रेस के आरोप के अनुसार 4000 करोड़ से ऊपर का नोटिस भेजा जाता तो आरोप नहीं लगता और आयकर विभाग की सामान्य कार्रवाई लगती।)
3. इंडियन एक्सप्रेस
कांग्रेस को 1823 करोड़ रुपये चुकाने के लिए आयकर नोटिस मिला तो कांग्रेस ने टैक्स आतंकवाद का शोर मचाया। उपशीर्षक है, इस तरह से भाजपा ने भी कर कानूनो का उल्लंघन किया है। उसे 4600 करोड़ चुकाना चाहिये : खरगे। कांग्रेस के आरोप का यह हिस्सा दूसरे अखबारों में प्रमुखता से नहीं दिखा।
4. द टेलीग्राफ
यहां यह खबर लीड है। तीन कॉलम में फ्लैग शीर्षक है, ‘मोदी आयकर (विभाग) का उपयोग विपक्ष को लाचर करने के लिए कर रहे हैं’। मुख्य शीर्षक है, कांग्रेस ने टैक्स आतंकवाद का शोर मचाया। (टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर नरेन्द्र मोदी के चुनाव कार्यालय की लगती है)।
5. द हिन्दू
कांग्रेस ने भाजपा पर टैक्स आतंकवाद छेड़ने का आरोप लगाया।
6. अमर उजाला
कांग्रेस को 1823 करोड़ रुपये का आयकर नोटिस, उपशीर्षक है, हाईकोर्ट से अपील खारिज होने के बाद विभाग की कार्रवाई। इसके साथ अन्य खबरों के शीर्षक हैं क) भाकपा-माकपा को भी बकाया कर का नोटिस ख) टीएमसी को 11 नोटिस ग) खरगे ने पूछा भाजपा पर मेहरबानी क्यों घ) इस अंतिम खबर के साथ बताया गया है कि कांग्रेस ने आयकर नोटिस को बताया कर आतंकवाद और यह खबर पेज 13 पर है।
(कहने की जरूरत नहीं है कि कांग्रेस को नोटिस कर आतंकवाद नहीं है। वसूली, अपील पंचाट से राहत नहीं मिलना, हाईकोर्ट से अपील खारिज होने के बाद विभाग की कार्रवाई बढ़ जाना औऱ सिर्फ विपक्षी दलों को नोटिस तथा विपक्ष के नेताओं में जो ज्यादा मुखर है (टीएमसी के साकेत गोखले) को 72 घंटे में 11 नोटिस भेजना सब मिलाकर आतंकवाद है। टैक्स आतंकवा का मतलब नोटिस भेजकर विस्फोट करना और लोगों की जान लेना नहीं हो सकता है।)
7. नवोदय टाइम्स
कांग्रेस को आईटी से 1823 करोड़ का नया नोटिस। इसके साथ राहुल गांधी की फोटो के साथ एक खबर है, सरकार बदलने पर लोकतंत्र का चीरहरण करने वालों पर होगी कार्रवाई राहुल गांधी। खबर के बीच में हाइलाइट किया अंश है, भाजपा से कब होगी 4600 करोड़ की वसूली : माकन
महाठग का आरोप
सुकेश चंद्रशेखर पर आरोप है कि जेल में रहते हुए उसने 200 करोड़ रुपये की ठगी-वसूली की है। 2021 की एक खबर के अनुसार, रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर शिवेंद्र मोहन सिंह अक्तूबर 2019 से जेल में बंद थे। उनकी पत्नी अदिति सिंह ने उनसे जून 2020 से 2021 तक 200 करोड़ की जबरन वसूली और ठगी की एफआईआर कराई थी। ये पैसे उनसे शिवेन्द्र सिंह को जमानत दिलाने के नाम पर लिये गये थे। इलेक्टोरल बांड का मामला खुलने के बाद इस खबर के मायने बदल गये हैं। वैसे भी, उसने उनसे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और कानून मंत्रालय का फ़र्ज़ी अफसर बनकर बात की थी। पार्टी फंड में 200 करोड़ जमा करने के नाम पर ये ठगी हुई है। पूरा मामला बहुत ही रहस्यमय है और इलेक्टोरल बांड से संबंधित खुलासों के बाद यह तय करना मुश्किल है कि सुकेश किसके इशारे पर काम कर रहा होगा और किसकी किस स्तर तक की भागीदारी होगी। उसी ठग के कहने पर दिल्ली के मंत्री (आम आदमी पार्टी के नेता) को लपेटना और मामले की सीबीआई जांच भाजपा की राजनीति का भाग है। मंत्रियों के खिलाफ ऐरे गैरों के आरोपों की जांच हो रही होती तो पता नहीं क्या होता।
दूसरी ओर, अंग्रेजी अखबारों में आज सरकार पर टैक्स आतंकवाद चलाने का कांग्रेस का आरोप प्रमुखता से है। लीड तो अलग-अलग है लेकिन सेकेंड लीड लगभग सबमें एक है। द टेलीग्राफ में तो यही लीड है। मैं शुरू से कहता रहा हूं कि खबरों का चयन और प्रस्तुति संपादकीय विवेक का मामला है। और वैसे ही है कि किसी खबर को नहीं छापने के लिए कहा जाए तो आप जगह खाली छोड़कर विरोध करने की हिम्मत करते हैं या किसी दूसरी खबर को लगाकर अपनी नौकरी बचाते हैं। मुझे लगता है कि 1975 और 2024 का अंतर यह भी है। अंग्रेजी वालों ने कांग्रेस की खबर छापने की हिम्मत दिखाई है। हिन्दी में सुकेश चंद्रशेखर का आरोप आज भी लीड है। दिलचस्प यह है अमर उजाला ने आयकर नोटिस की खबर तो दी है उसपर कांग्रेस की प्रतिक्रिया नहीं दी है। नवोदय टाइम्स ने खबर ही नहीं दी है। आगे देखता हूं ऊंट किस करवट बैठता है या बैठता है भी कि नहीं पर मुझे लग रहा है कि स्थिति दिलचस्प हो रही है।
जहां तक किसी किसी अपराधी के आरोप पर मंत्री को गिरफ्तार करने की बात है, केंद्र की इस सरकार के राज में संभवतः पहला मामला पी चिदंबरम का था। वे तीन महीने से ज्यादा जेल में रहे। मामले का क्या हुआ पता नहीं चला। दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले में मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी ऐसी ही है। अरविन्द केजरीवाल इस पर बोल चुके हैं और आप चाहें तो सोशल मीडिया पर सुन सकते हैं। इंडियन एक्सप्रेस में आज छपी खबर के अनुसार केजरीवाल मामले में आरोपी से सरकारी गवाह बने राघव मगुन्टा रेड्डी के पिता, मगुन्टा श्रीनिवासुलु रेड्डी को भाजपा की एक प्रमुख सहयोगी, तेलुगू देशम पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिला है। आप समझ सकते हैं कि मामला क्या है और कहां जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस बता रहा है बाकी को या तो सांप सूंघ गया है या सहयोग कर रहे हैं।
नरसिंह राव पर हर्षद मेहता का आरोप
ऐसे में सत्येन्द्र जैन पर महाठग के आरोप सुनकर मुझे याद आया कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव पर हर्षद मेहता ने एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया था। यह संयोग हो या प्रयोग आज ही राष्ट्रपति भवन में होने वाले एक समारोह में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया। मुझे लगता है कि हर्षद मेहता की साख और आरोप में सुकेश चंद्रशेखर के मुकाबले ज्यादा दम रहा होगा और सत्येन्द्र जैन तो पहले से मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद हैं वे जेल में कैसे वसूली कर लेंगे और उनकी बात सुनने वाले पर क्यों यकीन किया जाना चाहिये। वह भी तब सुकेश ने जेल से ही उगाही कर ली थी और कथित रूप से उसमें सत्येन्द्र जैन को जो हिस्सा दिया उसकी जांच सीबीआई करेगी। सुकेश ने जेल से कैसे उगाही की होगी इससे समझ में आ जाता है। अब सीबीआई को क्या जांच करनी है वह आप समझ सकते हैं।
इतने स्पष्ट आदेश के साथ सीबीआई जांच कर रही है और कल ही खबर थी कि हत्या के एक मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश प्राप्त करने में मृतक के परिवार को 13 साल लगे। कुल मिलाकर अब लगने लगा है कि इस देश में सारे काम अंततः सुप्रीम कोर्ट से हो रहे हैं और सरकार काम के नाम पर वही कर रही है जो घूम-फिर कर सुप्रीम कोर्ट पहुंच जा रहा है। आज की दूसरी खबर पर आने से पहले बता दूं कि सुकेश चंद्रशेखर जेल में ठाठ से रहता था और खबरें छप चुकी हैं कि जेल में उसके पास 1.5 लाख की चप्पल और 80 हजार की जीन्स थी। 7 अप्रैल 2023 की एक खबर के अनुसार उसने तीन अधिकारियों को करोड़ों रुपये दिये हैं। न्यूज18 डॉट कॉम की एक खबर के अनुसार दो अधिकारियों, सुंदर बोरा और महेंद्र प्रसाद सुंदरीलाल को क्रम से हर महीने 1.5 करोड़ रुपए तथा 25 लाख रुपए मिले थे। सुकेश चंद्रशेखर ने डीजी जेल को हर महीने करीब 2 करोड़ देने की बात कबूल की। सुकेश जेल से आईफोन 12 प्रो के ज़रिए वसूली करता था, यह फोन उसने पैरोल के दौरान चेन्नई से खरीदा था।
ऐसे व्यक्ति के आरोप पर सिर्फ मंत्री की जांच होगी या सबकी यह तो नहीं पता है लेकिन उसकी क्यों नहीं होनी चाहिये जो इसपर यकीन कर रहा है। और उन मामलों का क्या हुआ जिसमें इसने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और कानून मंत्रालय का फ़र्ज़ी अफसर बनकर बात की। पार्टी फंड में 200 करोड़ जमा करने के नाम पर ठगी की। वैसे तो यह पुराना मामला है और सरकार अगर ना खाउंगा, ना खाने दूंगा वाली होती तथा चौकीदार चोर होता या नहीं चोरी से आंखें मूंदे नहीं होता तो इस मामले की जांच करवाकर सरकार बता देती कि फलां लोग शामिल पाये गये उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई। वह सब तो नहीं हुआ। इलेक्टोरल बांड से मामला और गड़बड़ा गया है तो हेडलाइन मैनेजमेंट भी गड़बड़ाता लग रहा है। आज ही इंडियन एक्सप्रेस में एक और खबर है जो बताती है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बांड योजना को खत्म किये जाने के तीन दिन पहले सरकार ने एक करोड़ रुपए के 10,000 बांड छापने की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत के आदेश के 13 दिन बाद एसबीआई से कहा गया कि (इसे) तत्काल रोकें।
पांच भारत रत्न की राजनीति
यह संयोग ही है कि इस बार पांच लोगों को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा हुई और अभी तक एक साल में अधिकतम तीन ही भारत रत्न दिये गये हैं। हालांकि, अमर उजाला ब्यूरो की खबर के अनुसार, …. गौरतलब है कि 2020 से 2023 तक किसी को भी भारत रत्न नहीं दिया गया था। वैसे यह इस तथ्य के सार्वजनिक होने के बावजूद लिखा गया है कि गृहमंत्रालय की सूचना के अनुसार इस वार्षिक पुरस्कार की संख्या एक वर्ष विशेष में अधिकतम तीन तक सीमित है। इससे पहले भी ऐसा हुआ कि किसी वर्ष किसी को यह सम्मान नहीं दिया गया और जब दिया गया तो एक ही या अधिकतम तीन। एक साल में (या कुछ महीनों में एक से ज्यादा बार में) पांच लोगों को भारत रत्न देने का कोई पुराना उदाहरण नहीं है। यही नहीं, 2020 से 2023 तक किसी को यह सम्मान नहीं दिया गया जबकि इसके लिए सिफारिश स्वयं प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से करते हैं और कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने लालकृष्ण आडवाणी से पहले प्रणब मुखर्जी को यह सम्मान दिया है। अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में ही सम्मानित किया जा चुका था और तब दो ही लोग थे। इसके बाद चुनावी वर्ष 2019 में यह सम्मान दिया गया और फिर 2024 में।
इस बार कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा के बाद बिहार में मुख्यमंत्री का पाला बदलना और चरण सिंह के बाद उनके पोते का दिल जीत लिया जाना तो याद ही था और आज राष्ट्रपति भवन में यह सम्मान देने की खबर है तो सुकेश चंद्रशेखर के बहाने मुझे नरसिंह राव को रिश्वत देने की याद आ गई। आज खबर पढ़कर यह भी याद आया कि किसानों से संबंधित कानून इस सरकार ने किसानों से सलाह किये बगैर बनाया था। कोई एक साल आंदोलन और सैकड़ों किसानों की मौत के बाद कानून वापस लेकर किसानों को वापस भेजा गया पर उनका काम नहीं हुआ। कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को जरूर पुरस्कृत किया गया। किसानों की ना मांग पूरी हुई ना उन्हें आंदोलन करने दिया गया। गनीमत यह रही कि स्वामीनाथन को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया। ऐसे में लाल कृष्ण आडवाणी को यह पुरस्कार इस साल क्यों दिया गया यह मुझे समझ में नहीं आया। किसी ने सरकार से पूछा हो या कारण जानता हो तो जानना चाहूंगा।
मुझे नहीं लगता कि 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने कुछ ऐसा किया है कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने के लिए अब उपयुक्त माना गया होगा। मेरा मानना है कि यह सब उनके पिछले योगदान के लिए ही है। अगर ऐसा है तो उन्हें 2014 से लेकर अब तक किसी भी साल अकेले दिया जा सकता था। 2015 में उन्हें पदम विभूषण से सम्मानित किया गया था। चार मरणोपरांत सम्मान के साथ पांचवा सम्मानित होने और करने की मजबूरी मुझे नहीं समझ में आई। शायद ही देश को कभी समझ में आये। पर अखबारों के लिए यह सब मुद्दा नहीं है। सम्मान से संबंधित ताजा खबर के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को 31 मार्च को भारत रत्न दिया जाएगा। न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर है – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को आडवाणी के घर जाकर उन्हें सम्मानित करेंगी। तबीयत खराब होने के कारण आज वे नहीं आ सके। आडवाणी के घर पीएम नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहेंगे।