
जिस संस्कृति में जीवेम् शरदः शतम् की बात कही गई थी, वहां जीवन शैली में बदलाव ने सौ साल तक स्वस्थ जीने की संभावनाएं घटा दी हैं। -अमिताभ श्रीवास्तव
विवेक उमराव-
जिनको फैटी-लिवर है (भले ही किसी भी ग्रेड का हो) उनको तुरंत सभी प्रकार का मीठा छोड़ देना चाहिए। यहां तक कि मीठे फल व ड्राई-फ्रूट्स भी छोड़ देना चाहिए। मीठे फलों सहित सभी प्रकार का मीठा छोड़ दिया जाए, आहार की संख्या अधिकतम दो कर दी जाए, दिन का अंतिम आहार व अगले दिन के पहले आहार के बीच लगभग 18 घंटे का अंतर रखा जाए (केवल सादे पानी का सेवन)। घुलनशील व अघुलनशील फाइबर वाले सब्जी व फल का सेवन कीजिए। जब खाली पेट रहते हुए लगभग 14-15 घंटे हो जाएं तब एरोबिक अवस्था मेंटेन करते हुए जितना तेज चाल में चल सकें या जितनी तेज साइकिल चला सकें, लगभग डेढ़-दो घंटे करना चाहिए।
फैटी-लिवर के ग्रेड के आधार पर, तीन महीने से लगभग एक साल तक फैटी लिवर ठीक हो जाएगा। बेहतर है कि फाइब्रोसिस व सिरोसिस की अवस्था में पहुंचने के पहले ही फैटी लिवर को ठीक कर लिया जाए। बहुत लोग दस-बीस साल तक फैटी लिवर के साथ ही जीवन जीते रहते हैं, उनको लगता है कि यह हानिकारक नहीं है, लेकिन फैटी लिवर अनेक गंभीर बीमारियों व शारीरिक अवस्थाओं में धीरे-धीरे पहुंचने लगता है। बुढ़ापा खतरनाक हो जाता है। कितना भी पैसा हो बुढ़ापे को चुस्त-दुरुस्त नहीं किया जा सकता है। बुढ़ापे को भी यदि युवावस्था की तरह बेहतर जीना है तो शरीर के प्रति जवाबदेही सबसे मूल बात है।
———
बहुत लोग जिनमें डाक्टर, डायटीशियन या थोड़ा-बहुत पढ़-पुढ़ कर खुद को विशेषज्ञ के रूप में प्रायोजित करने वाले या मिथकों को अद्वितीय ज्ञान मानने वाले लोगबाग हैं, ज्ञान देते हैं कि दिन की शुरुआत फलों से की जानी चाहिए और दिन में एक या दो बार बड़ा आहार लेने की बजाय हर दो-तीन घंटे बाद थोड़ा-थोड़ा आहार लेते रहना चाहिए।
यह सब खतरनाक बाते हैं। इन्हीं के कारण लोगों को फैटी-लिवर, डायबिटीज, प्रि-डायबिटीज, किडनी, जोड़ों में दर्द, कोलेस्ट्राल, ट्राइग्लिसराइड, ब्लड-प्रेशर इत्यादि-इत्यादि समस्याएं होती हैं।
———
दिन की शुरुआत किसी भी प्रकार की सुगर/गुड़/खांड/राब इत्यादि की बजाय प्रोटीन या अनसैचुरेटेड फैट से करना चाहिए।चाय, दूध, फल इत्यादि की बजाय चना, अंडा, बादाम इत्यादि से करना चाहिए।
यह थियरी बिलकुल ही गलत है कि सुबह खाली पेट कुछ हल्का लेना चाहिए, फलों को हल्का मानने का मिथक स्थापित है। पहली बात हल्का भारी जैसा होता नहीं है। दूसरी बात यह कि अनेक फलों में खूब सुगर होती है, सुगर शरीर के अंदर बहुत जल्द प्रासेस हो जाती है इसलिए यह मिथक स्थापित हो गया है कि फल हल्के होते हैं
सुबह जागने के कुछ घंटे बाद से शरीर बड़े आहार के लिए पूरी तरह से तैयार होता है। आप सीधे पूरी कचौरी सब्जी खा सकते हैं। सुबह जागने के कुछ घंटे तक, और शाम को सोने कुछ घंटे पहले से सादे पानी के अलावा कुछ भी नहीं खाना चाहिए। शाम को सोने के दो-तीन घंटे पहले से यदि पानी भी न पिया जाए तो अच्छा है (बशर्ते दिन में भरपूर पानी पिया गया हो)।
यह थियरी भी गलत है कि जब प्यास लगे तब पानी पीना चाहिए। पानी पीते रहना चाहिए, प्यास लगे या न लगे। पानी खूब पीना चाहिए, एक वयस्क शरीर जिसका वजन मानक के अंदर है और दिन में अधिकतर बैठा रहता है व आधा से एक घंटा पैदल चलने जैसी एक्सरसाइज कर लेता है, उसे भी लगभग दो से ढाई लीटर पानी पीना चाहिए।
पानी की मात्रा शरीर के वजन व एक्सरसाइज इत्यादि के आधार पर तय होती है। मेरा वजन लगभग 52 किलो है (जनवरी 2022 में 87 किलो था), मेरे वजन के अनुसार मुझे दिन में लगभग पौने-दो से दो लीटर पानी पीना चाहिए। लेकिन चूंकि मैं एक्सरसाइज बहुत करता हूं, दिन भर खूब सक्रिय रहता हूं। रोज सुबह लगभग चार घंटे लगातार एक्सरसाइज करता हूं। इसलिए मेरे शरीर की पानी की खपत अधिक है, इसलिए मैं प्रतिदिन साढ़े-चार से पांच लीटर पानी का सेवन करता हूं।
One comment on “उम्र घटने लगी मनुष्यों की!”
विवेक उमराव जी आपके चरण कहां हैं, मन हो रहा मोबाइल से ही छू लूं, ऐसा दिव्य ज्ञान कहां मिल सकता है आप जैसे महान इंसान के अलावा, आप 5 नही 10 घंटे कसरत किया कीजिए, फल न खाए शुगर बढ़ जाएगा। आप जैसे चुटिए ही लोगों को गुमराह करते हैं।
वैसे ये ज्ञान आपको कहां से प्राप्त हुआ ये नही बताया आपने, ये तपस्या के बाद बुद्ध बने आप लगता है