पुष्य मित्र-
पत्रकार के नोट्स… मंदीप पुनिया दो दिन जेल में रहा तो उसे वहां पहले से रह रहे किसानों की परेशानियों का पता चला। फिर क्या था रिपोर्टर शुरू हो गया।
नोट्स पांव पर ही लिख लिये। असली पत्रकार हर जगह पत्रकार ही होता है।
शाबाश।
साक्षी जोशी-
Wow… ye hota hai asli journalism. Ander bhi journalism karke Aa gaya Mandeep Punia.
Reminds me of Iranian director Zafar Panahi who was put under house arrest,and he took this opportunity and directed a film inside his house.
कुछ प्रतिक्रियाएँ देखें-
अभिषेक श्रीवास्तव-
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतवीर सिंह लाम्बा ने अपने फैसले में लिखा है कि ‘’ज़मानत नियम है, जेल अपवाद’’। फैसले में कहा गया कि आरोपित एक स्वतंत्र पत्रकार है और वो पुलिस को प्रभावित करने की क्षमता नहीं रखता। साथ ही उसके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है। इसलिए उसे न्यायिक हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।