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मेरे अंगने में ‘चुनाव जिताऊ’ प्रधानसेवक का क्या काम है?

या ऐसे ‘लोकतांत्रिक’ चौकीदार का जो रिटायर जनरल को भी चौकीदार बना देता है

संजय कुमार सिंह

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चुनाव जीतने जिताने के लिए हर-हर मोदी, घर-घर मोदी नारा लग सकता है तो दस साल बिना प्रेस कांफ्रेंस किये गुजार देने पर यह सवाल क्यों नहीं उठ सकता है। आइये देखें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज में शासन व्यवस्था का क्या हाल है और चुनाव जिताऊ प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं और करते रहे हैं। वोट बटोरने के लिए उन्होंने नोटबंदी से लेकर जीएसटी और सिलेंडर की कीमत से लेकर पेट्रोल और डॉलर तक के भाव के लिए क्या किया क्या कहा मैं उसकी बात नहीं कर रहा। मैं देख रहा हूं कि बुरी तरह नाकाम रहे मोदी जी 15 लाख को जुमला कहकर अब वोट के बदले गारंटी बेच रहे हैं। आइये उनकी गारंटी और उनके राज का सच समझें।

आज के अखबारों में शराब व्यवसायी के ठिकानों से दो से लेकर तीन सौ करोड़ रुपये नकद बरामद होने की खबर है। मैं नहीं जानता पैसे कैसे हैं, किसके हैं और मैं किसी का कोई बचाव नहीं कर रहा हूं। पर तथ्य यह भी है कि नरेन्द्र तोमर के बेटे के वीडियो से संबंधित मामले की जांच भी शुरू नहीं हुई है। इस बीच नरेन्द्र तोमर सांसद से विधायक बन गये, मुख्यमंत्री बन जाएंगे तो वीडियो का इनाम होगा और नहीं बने तो इसे व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सिटी में सजा बता दिया जाएगा। भोले भक्त भयंकर खुश हो जायेंगे। इस बीच प्रचारक से प्रधानसेवक, बने माननीय ने ट्वीट किया है,

कहने की जरूरत नहीं है कि नोटबंदी के बाद देश का बच्चा-बच्चा जान गया है कि हर किसी की नकद काला नहीं होता है। भले ही पहले अच्छे समझदार दिखने वाले लोग भी नहीं जानते हों। लेकिन झारखंड भाजपा नेता बाबू लाल मरांडी @yourBabulal भी मैदान में हैं, कांग्रेस सांसद धीरज साहू के ठिकानों से अरबों रुपये नगद बरामद होना कोई सामान्य घटना नहीं है। इतनी बड़ी रकम किसी एक व्यक्ति की नहीं हो सकती… (यह अदाणी के 32,000 करोड़ के लिए भी सच है और मनीष सिसोदिया पर रिश्वत के लिए काम करने का आरोप है उसमें भी सच होगा)। हमें अंदेशा है कि, ज़ब्त की गई अरबों रुपये की राशि में मुख्यमंत्री का भी हिस्सा है… क्योंकि पूर्व में ऐसी सूचना प्राप्त हुई थी कि हेमंत के ठिकानों पर छापेमारी के बाद पैसों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित किया गया था। (अदाणी के पैसों के बारे में भी कुछ कहा जाता है)। भ्रष्टाचार के पर्यायी कांग्रेस पार्टी और INDI गठबंधन के लोग जनता की गाढ़ी कमाई से देश-विदेशों में अपने लिए नामी बेनामी संपत्ति खरीद रहे हैं। (यह बिना सबूत आरोप है। वैसे ही जैसे तमाम लोगों पर लगाये गये हैं और जहां वीडियो है उसकी जांच नहीं हो रही है)। धीरज साहू पर FIR दर्ज कर अविलंब उनकी गिरफ्तारी की जाय और कड़ाई से पूछताछ कर इस महा घोटाले में शामिल अन्य लोगों पर भी कार्रवाई हो। (मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि इसकी क्या जरूरत है। स्वतंत्र जांच एजेंसी अपना काम करेगी और जरूरत के अनुसार कार्रवाई होगी यह यकीन क्यों नहीं है)

और भी कई ट्वीट हैं। टीम वर्क चल रहा है जो सरकार चलाने में भले न दिखा हो। जाहिर है, भाजपा इसे मुद्दा बनाने की कोशिश में है। कुछ लोग कह रहे हैं कि इसपर कांग्रेस की चुप्पी संदिग्ध है। लेकिन नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर कोई कुछ नहीं कहता है। हालांकि वह अलग मामला है। कहने की जरूरत नहीं है कि पैसा गलत है तो कार्रवाई होनी चाहिये, हो ही रही है, प्रचार किसलिये? और प्रचार ही करना है तो मामला पूरा साफ होने दिया जाना चाहिये। पर वह सब राजनीति है। लेकिन पीएम केयर्स तो नहीं है। पर वह आरटीआई के तहत नहीं है। उसमें सीएसआर का ही नहीं चीनी कंपनियों का पैसा है जिसके आरोप पर एक मीडिया संस्थान के खिलाफ जांच चल रही है। वहां राशि 3000 करोड़ के आस-पास बताई जाती है, नकद जिसपर हंगामा है 300 करोड़ ही है। फिर भी प्रधानमंत्री जवाब मांग रहे हैं, गारंटी दे रहे हैं। गनीमत यही है कि ट्वीटर हैंडल नरेन्द्र मोदी के नाम से है, प्रधानसेवक, भारत होता तो हम आप क्या कर लेते? मुद्दा यह भी है कि प्रधानमंत्री हैं, कार्रवाई चल ही रही है, तो प्रचार किसलिए और गारंटी किसलिये? क्या यह तय है कि इसमें कुछ नहीं मिलेगा और इसके लिये तीसरा कार्यकाल चाहिये?    

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प्रधानमंत्री के इस ट्वीट पर दीपक शर्मा (@DeepakSEditor) ने लिखा है, इम्तिहान अब साहू का नहीं मोदीजी की गारंटी का है! देसी शराब की भट्टी, सैकड़ों ठेकों के मालिक और कांग्रेसी सांसद धीरज साहू के कैश पर जबरदस्त स्ट्राईक करके मोदीजी ने कालेधन की पाई पाई वसूलने की गारंटी दी है। उम्मीद है मोदीजी नम्बर दो में कैश डील करने वाले बाकी शराब कारोबारी, गुटखा व्यापारी, सटोरिये, आढ़ती, बिल्डर, अंगड़िये, सर्राफा व्यवयासी और किस्म किस्म के दलालों के यहां भी छापे डलवायेंगे।सबका हिसाब करेंगे और चुनाव से पहले करेंगे। उम्मीद है कि कालेधन पर हमला करने में इंकम टैक्स अफसरों को पूरी आजादी दी जायेगी। कौन किस पार्टी के साथ जुड़ा है ये छापेमारी का पैमाना नहीं होगा। उम्मीद ये भी है कि धीरज साहू को टारगेट करके बाकी सेठों को ये संदेश नहीं दिया जायेगा कि अगर विपक्ष के साथ खड़े होगे तो साहू जैसा हाल कर देंगे! मोदीजी इंकम टैक्स के इंवेस्टीगेशन यूनिट में सभी नम्बर दो वाले कोरोबारियां का डेटा अपडेट है, तुरंत तलब करिये और छापेमारी की गारंटी शुरू करिये। देश इंतजार कर रहा है !

भ्रष्टाचार के मामले में हालत यह है कि 10 साल बाद भी इतनी बड़ी मात्रा में नकद बरामद हो रहा है और अवैध या काला है तो पैदा भी हो रहा है। सरकार ने क्या किया? 1) विदेश से काला धन वापस लाना था नहीं आया, 2) शेल कंपनियां बंद करके भी भारत का पैसा विदेशी रास्ते से निवेश किया जाना नहीं रुका, 3) अदाणी मामले में जवाब नहीं है, सेबी ने जांच नहीं की उसपर कोई स्पष्टीकरण नहीं है आदि आदि। पर प्रधानमंत्री और उनके नेतृत्व में बाबू लाल मरांडी का चुनाव जिताऊ ट्वीट देखिये। और बात इतनी ही नहीं है, रुचि कोकचा @ruchikokcha ने अंग्रेजी में ट्वीट कर बताया है कि ट्रेन में उन्हें खाने की थाली 150 रुपये में दी गई। रसीद चाहिये कहने के बावजूद। रसीद में थाली और पनीर की सब्जी 80+70=₹150 लिखा था जबकि उन्होंने पनीर की सब्जी नहीं ली थी और कहा कि रसीद में इसका जिक्र नहीं चाहिये सिर्फ थाली का रसीद दो (₹80 या ₹150 का)। वह नहीं दे पाया क्योंकि (शिकायत के अनुसार) थाली ₹80 की ही है। जाहिर है प्रति थाली ₹70 ठगने की कोशिश थी और चल रही है। यह रेलवे में हर रोज सैकड़ों यात्रियों के साथ हो रहा है। खुलेआम, बिना डरे क्योंकि ये भी किसी की अलमारी में जमा हो रहा है और पकड़ा नहीं जा रहा है क्योंकि जांच नहीं हो रही है। फिर भी बातें बड़ी-बड़ी और यही राज है चुनाव जिताऊ पीएम होने का। आप सोचिये कि आपको क्या फायदा है और प्रचारकों की फौज आपके किस काम की है।  

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आइये अब फर्जी आरोप, उसका प्रचार और वास्तविकता का एक मामला देखें। यह मनीष सिंह @RebornManish का ट्वीट है, हमका माफी दई दो…

सोशल मीडिया पर सोनिया गांधी के जन्मदिन की बाते चल रही हैं। उन्हें विश्व की चौथी अमीर महिला बताने वाले व्हाट्सप फार्वर्ड आपके पास भी आये होंगे। 2009-10 में बीजेपी ने एक कमेटी बनाई थी जिसमे निम्न लोग शामिल थे

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1- अजीत डोवाल, पूर्व आईबी चीफ, आजकल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

2-एस गुरुमूर्ति, तब संघी अर्थशास्त्री और आजकल रिजर्व बैंक के डायरेक्टर

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3- महान वकील महेश जेठमलानी, सुपुत्र श्री राम झूठबोलानी। आज भी भाजपा के तमाम मामलों में वकील होते हैं। कोर्ट की टिप्पणियों में शर्मिदा किये जाते हैं, फैसलों में जिता दिए जाते हैं।

4- प्रोफेसर आर वैद्यनाथन, तब IIM बंगलौर के  पूर्व प्रोफेसर। आजकल ऑथर और यू ट्यूबर हैं। खुद लिखते, खुदई पढ़ते और मोदी चालीसा जपते अपने चैनल को सब्स्क्राइब करते हैं। 

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इस कमेटी का काम था कि राजीव गांधी और सोनिया गांधी के विदेश में बैंक खातों और काले धन के बारे में रिपोर्ट दें। ध्यान रहे, बीजेपी लीडर आडवाणी द्वारा, बीजेपी की तरफ से बनाई कमेटी थी। याने ये लोग अपनी प्रोफेशनल नेकनामी को भाजपा के उपयोग के लिए विक्रय कर रहे थे।

बहरहाल, इन्होंने बताया कि 25 लाख करोड़ इनके नाम से विदेशों में जमा हैं। तत्कालीन प्रवक्ता, नथुना भाई उर्फ रविशंकर प्रसाद ने बताया कि यह आंकड़े बहुत सारे अखबारों, मैगजीनों से इकट्ठा किये गए हैं। उन्होंने कहा कि गांधी परिवार इसका खंडन नही करता, याने ये आरोप सच है। खैर, सोनिया ने भाजपा अध्यक्ष को एक चिट्ठी लिखी। जिसमे माफी मांगने या आरोप साबित करने को कहा। अन्यथा कानूनी कार्यवाही की धमकी दी। और फिर … आडवाणी जी ने दांत दिखाते हुए माफी मांग ली।

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हमसे भूल हो गयी। हमका माफी दई दो।

आज भी आडवाणी के चेलों को सत्ता में 10 साल होने को है। 25 लाख करोड़ का अता पता नही। माफी मांगकर भूल गए। एक नया शगूफा है – नेशनल हेराल्ड का.. 2012 में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर की। आज तक इस केस में हवाबाजी ही चल रही है। शिकायत पर FIR तो हो गयी, जांच आगे बढ़ती नही। साल दो साल में, जब कोई चुनाव सामने हो, कोई समन जारी होता है, कोई पूछताछ होती है, कभी कोई धूल खाती प्रोपर्टी अटैच कर ली जाती है। एक हेडलाइन बनती है, और फिर से फुसस्स..

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अगले चुनाव तक के लिए।

64 करोड़ की बोफोर्स दलाली के की जांच के नाम पर अफसरों ने घूमने घामने में 250 करोड़ खर्च किये। अंत मे अटल बिहारी के दौर में, बेनतीजा क्लोजर दाखिल कर दिया। इतने बड़ी माफिया, जिसके पास 25 लाख करोड़ काला धन धरा है, उसे 40 साल में कोई मकाम तक न पहुँचा पाना किसी निम्न कोटि के निकम्मे के लिए भी शर्मनाक है।

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इन बरसो में 20 साल NDA/BJP सरकारें रही। निकम्मेपन का इससे बड़ा सबूत क्या ही होगा भला। बहरहाल, नतीजा हमने तब भी देखा, आगे भी देखेंगे। और वह नतीजा शर्तिया एक पंक्ति का होगा… कोई भाजपाई नेता आडवाणी की तरह हाथ जोड़कर कह देगा- हमसे भूल हो गयी। हमका माफी दई दो।

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