देखते हैं, ‘मजीठिया’ से बचने को किस हद तक गिरता है जागरण

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चलो करते हैं न्याय की बात। दैनिक जागरण का कार्मिक प्रबंधक रमेश कुमार कुमावत खुद प्रताड़ना का शि‍कार हो रहा है। यह मैं नहीं कह रहा हूं, ये साक्षात माननीय कुमावत जी के ही वचन हैं। मैं नोएडा के सेक्टर-छह स्थि‍त कार्यालय में पुलिस अधि‍कारियों से मिलने गया था कि वहां रमेश कुमार कुमावत जी से मुलाकात हो गई। वह मुझसे कहने लगे-भइया मुझे क्यों फंसा दिया।

मैंने कहा-मैं क्यों फंसाऊंगा कुमावत जी। आप तो खुद फंसते जा रहे हैं। जब घटना वाले दिन पुलिस पीसीआर आई तो आपने पुलिस को जांच में सहयोग ही नहीं किया। दूसरी बात यह कि डीएलसी की जांच में भी आपने जिन लोगों को गवाह बनाया है, वे तो मौके पर थे ही नहीं। उनमें से कोई अवकाश पर था तो कोई बरेली में। मेरे स्मार्ट फोन से लिए गए फोटोग्राफ में भी आपके गवाह नजर नहीं आ रहे हैं। आप इस तरह से फर्जीवाड़ा करेंगे तो फंसेंगे ही। इस पर कुमावत जी ने जो बात कही, उसे जानकर आप दंग रह जाएंगे।

कहा, मैंने डीएलसी की जांच में कोई बयान नहीं दिया है। डीएलसी के यहां जो बयान गया है, उसे डीएलसी से सांठगांठ कर दैनिक जागरण प्रबंधन के किसी अधि‍कारी ने मेरे नाम से दर्ज कराया है। मैंने कुमावत जी के प्रति सहानुभूति जताई और कहा, खुराफातियों के नाम छिपा कर तो आप अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। इस पर कुमावत जी ने कहा, क्या करूं, मुझे नौकरी जो करनी है। आप पर जो हमला कराया गया, उसमें विजय सेंगर का हाथ है।

मैंने कुमावत साहब का बयान अपने स्मार्ट फोन में रिकार्ड कर लिया है, ताकि वह समय आने पर नजीर बने, लेकिन इससे साफ हो गया है कि दैनिक जागरण प्रबंधन मजीठिया वेतनमान देने से बचने और कर्मचारियों को परेशान करने के लिए किस हद तक गिर सकता है। खैर, इस मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। देखते हैं-क्या होता है। 

दैनिक जागरण में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार श्रीकांत सिंह के फेसबुक वॉल से

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