Yashwant Singh : यथास्थितिवाद और कदाचार से उबी जनता ने दो नए लोगों को गद्दी पर बिठाया, मोदी को देश दिया और केजरीवाल को दिल्ली राज्य. दोनों ने निराश किया. दोनों बेहद बौने साबित हुए. दोनों परम अहंकारी निकले. पूंजीपति यानि देश के असल शासक जो पर्दे के पीछे से राज करते हैं, टटोलते रहते हैं ऐसे लोग जिनमें छिछोरी नारेबाजी और अवसरवादी किस्म की क्रांतिकारिता भरी बसी हो, उन्हें प्रोजेक्ट करते हैं, उन्हें जनता के गुस्से को शांत कराने के लिए बतौर समाधान पेश करते हैं. लेकिन होता वही है जो वे चाहते हैं.
नए चेहरों को लांच कर, सपोर्ट कर, फंड कर उन्हें आगे बढ़ाते हैं और उनकी क्रांतिकारिता से जनता को प्रभावित कराते हैं. जनता उन्हें चुनते हुए मस्त हो जाती है कि अब तो समस्याओं का स्थायी समाधान निकलने वाला है. पुराने को हटाते हुए नए को लाकर जनता को लगता है कि उसने दम दिखा दिया. इससे जनता का गुस्सा फौरी तौर पर शांत हो भी जाता है और ये फर्जी क्रांतिकारी टाइप नेता अंतत: पीएम सीएम बन जाते हैं.
सत्ता में आने के कुछ ही समय बाद इनका खोखलापन, इनका फर्जीपना, इनका बड़बोलापन, इनकी चिरकुटई, इनका व्यक्तिवाद, इनका अहंकार, इनका अलोकतांत्रिक व्यक्तित्व, इनका जनविरोधी रुख सामने आ जाता है. मोदी और केजरी को इस पैमाने पर देखिए कसिए तो समझ आएगा कि ये कितने बड़े फ्रॉड हैं. भ्रष्टाचार और महंगाई पर लगाम न लगा पाना मोदी की सबसे बड़ी विफलता है तो अलोकतांत्रिक किस्म के घटिया आदमी के रूप में पतित हो जाना केजरीवाल की सबसे बड़ी दिक्कत है. आइए, दो नए नेताओं के शीघ्र पतन पर मातम मनाएं व कुछ पल मौन रखें.
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.