प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने मन की बात या यूं कहें मन मुताबिक बात अब लोगों के सपने में जाकर कहने लगे हैं। शायद उनका रेडियो से भी भरोसा उठने लगा है। मेरे आज के सपने से तो यही लग रहा है।
सपना कुछ यूं था- मैंने आज सपना देखा कि मोदी जी का कोई भव्य कार्यक्रम है पर वहां पर मुझे छोड़कर कोई पत्रकार नहीं गया था कवर करने। मेरे मन में पता नहीं क्या बात आई कि मैंने अपना पैंट और शर्ट उतार कर एक पेड़ के नीचे रख दिया और अपना स्मार्ट फोन लेकर कार्यक्रम पर वीडियो बनाने लगा। कपड़े के नाम पर मैंने एक तौलिया लपेट रखा था।
वीडियोग्राफी के दौरान मोदी जी मेरे सामने आ गए। उन्होंने मुझसे पूछा-आप किस अखबार से हैं तो मैंने जवाब दिया-दैनिक जागरण से। उन्होंने पूछा-इतने बड़े अखबार से हैं, लेकिन आपके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं है। मैंने कहा-मोदी जी, मजीठिया वेतनमान लागू न हुआ तो सभी अखबारों के पत्रकार इसी गणवेश में आ जाएंगे। मुझे दैनिक जागरण के कार्यालय में पिछले दो माह से घुसने नहीं दिया जा रहा है। सैलरी भी नहीं दी जा रही है। आखिर कपड़ा आएगा कहां से। यह वीडियोग्राफी तो मैं फेसबुक के लिए कर रहा हूं।
इस पर मोदी जी ने अपने एक मंत्री (जो आज कल सोनिया पर बयान मामले में कुख्यात हो रहे हैं) से कहा-इन्हें मेरा एक सूट दे दो। इस पर मैंने कहा-मोदी जी आपके सूट तो बहुत महंगे बिक रहे हैं तो उसे मुझे मुफ्त में क्यों दे रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा-मेरे सूट की मार्केट में मंदी आ गई है और अब कोई खरीद नहीं रहा है। इसलिए सोचा है कि उन्हें पत्रकारों में बांट दूं।
इस पर मैंने कहा-मोदी जी पत्रकारों को सूट नहीं सैलरी चाहिए और वह भी मजीठिया की। कपड़ा मैं पहन कर आया था, लेकिन आपको देख कर उतार दिया था। वह रहा पेड़ के नीचे। मैं तो सिर्फ आपको बताना चाह रहा था कि मजीठिया वेतनमान के बिना पत्रकार कपड़े नहीं पहन पाएंगे। इस पर कुछ कर सकते हैं तो कर दें। रामजी आपका भला करेंगे।
श्रीकांत सिंह के एफबी वॉल से