फेसबुक पर मैं जैसा दिखता हूं, वैसा हूं नहीं। मैं बड़ा चापलूस टाइप का व्यक्ति हुआ करता था। अनायास ही किसी मतलब के व्यक्ति की तारीफ कर देना मेरी आदत में शुमार था। लेकिन मेरी इस चापलूसी से मुझे कोई लाभ नहीं मिला। कारण। चापलूसी की कला इतनी विकसित हो चुकी थी कि वहां मेरे लिए कोई स्पेस नहीं रह गया था।
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मुझे दैनिक जागरण के प्रबंधकों के खिलाफ दर्ज करानी है एफआईआर : श्रीकांत सिंह
दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय में 7 फरवरी 2015 की रात में हुई हड़ताल के बाद तबादले वापस लिए जाने के आदेश पर मुझे जम्मू से वापस बुलाया गया था, लेकिन जब मैं नोएडा कार्यालय पहुंचा तो मुझ पर संस्थान के गार्डों से हमला करा दिया गया और मुझसे 36 हजार रुपये छीन लिए गए। 100 नंबर पर फोन कर मैंने पुलिस बुला ली, लेकिन दैनिक जागरण का बोर्ड देखकर पुलिस बैरंग लौट गई। उसके बाद मैं पुलिस चौकी, फेस तीन थाना, सीओ टू आफिस और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के चक्कर लगाता रहा, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दैनिक जागरण बहुत बड़ा बैनर है। उसके किसी भी प्रबंधक के खिलाफ हम एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते, भले ही उन्होंने कितना भी बड़ा अपराध क्यों न किया हो। तो यह है नोएडा जैसे प्लेटिनम शहर की सुरक्षा व्यवस्था।
दैनिक जागरण ने फिर छोड़ी खबर, जनहित से किया किनारा
दैनिक जागरण ने फिर एक खबर छोड़ दी है और उसने जनहित से किनारा कर यह साबित कर दिया है कि उसे जनहित से कोई सरोकार ही नहीं है, भले ही वह जनहित जागरण के जरिये लोकहित का कितना भी ढोल पीटे। वैसे इस खबर को दूसरे कई अखबारों ने भी नहीं छापा है, लेकिन दैनिक जागरण में इस खबर का न छपना यह साबित करता है कि उसका जनहित का नारा ढोंग ही है। उसे तो सिर्फ अपनी दुकान चलाने से मतलब है। शायद यही वजह है कि पाठकों का एक बहुत बड़ा वर्ग दैनिक जागरण से किनारा करने लगा है।
दैनिक जागरण प्रबंधन की घटिया हरकतों पर रहेगी नजर
दैनिक जागरण की हरकतों का अनावश्यक वर्णन कर अब मैं आपके मन को अधिक खट्टा नहीं करना चाह रहा हूं। अब जरूरत है मतलब की बातें जानने और समझने की। तो आपको बता दें कि जैसे जैसे मजीठिया मामले की सुनवाई की तारीख नजदीक आ रही है, प्रबंधन मजीठिया वेतनमान देने से बचने के लिए आपमें भयंकर फूट पैदा करने के प्रयास में लग गया है। उसकी घटिया हरकतों के प्रमाण मेरे पास मौजूद हैं, लेकिन मैं अपनी पोस्ट के जरिये उनका खुलासा नहीं करना चाह रहा हूं। आप मुझसे व्यक्तिगत तौर पर मिल कर अपनी शंका का समाधान कर सकते हैं।
अब आ गया दैनिक जागरण की धौंस का जवाब देने का समय
दोस्तो, दैनिक जागरण में अब बहू बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है। कहां कहां से पकड़ कर आ गए हैं चरित्रहीन लोग, कुछ पता ही नहीं चल पा रहा है। आए दिन ऐसे मामलों के खुलासे होते हैं, लेकिन जागरण प्रबंधन अखबार की धौंस दिखा कर उन्हें दबवा देता है। क्या यह वही अखबार है, जो स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों और आदर्शों पर शुरू हुआ था। अब ऐसा लगता तो नहीं है।
संजय गुप्ता के तीन बंदर चिंटू, मिंटू और चिंदी चोर
दोस्तो, महात्मा गांधी के पास तीन बंदरों की प्रतीकात्मक मूर्तियां थीं। एक बंदर अपने कान बंद किए था, जिसका अर्थ है-बुरा मत सुनो। दूसरा बंदर अपनी आंखें बंद किए था, जिसका अर्थ है-बुरा मत देखो और तीसरा बंदर अपना मुंह बंद किए था, जिसका अर्थ है-बुरा मत कहो। लेकिन बंदर की ऐसी कोई मूर्ति नहीं बनी, जो यह संकेत दे सके कि बुरा मत करो। वास्तव में ये बंदर हमारे समाज में भी हैं, जिन्हें पहचानना ज्यादा कठिन नहीं होता है। संजय गुप्ता के तीन चम्चे तो हूबहू महात्मा गांधी के तीन बंदरों की ही तरह हैं।
दैनिक जागरण में एक खबर रिपीट तो एक छूटी
आइए आपको दिखाते हैं दैनिक जागरण में विष्णु त्रिपाठी के चिंटुओं, मिंटुओं और चिंदीचोरों का एक कारनामा। नोएडा संस्करण में भाई लोगों ने एक ही खबर को दो बार छाप दिया है, जबकि नोएडा के इंदिरा गांधी कला केंद्र में पुलिस, पत्रकार और समाज की चिंताओं पर गहन चिंतन के लिए आयोजित एक जोरदार कार्यक्रम की नोएडा संस्करण में कोई कवरेज ही नहीं आई। उस कार्यक्रम में लोकतंत्र के तीन स्तंभों के दिग्गज जुटे थे। बदलते जमाने के अखबार में ऐसी जड़ता क्यों। जो खबर रिपीट हुई है, उसका शीर्षक है-”शहर में व्यावसायिक इस्तेमाल पर जब्त होगी ट्रैक्टर ट्राली”। यह खबर नोएडा संस्करण के पुलाउट पेज-चार और आठ पर छपी है।
सपने में मिले मोदी तो मांग लिया मजीठिया कि रामजी भला करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने मन की बात या यूं कहें मन मुताबिक बात अब लोगों के सपने में जाकर कहने लगे हैं। शायद उनका रेडियो से भी भरोसा उठने लगा है। मेरे आज के सपने से तो यही लग रहा है।