सैकड़ों निवेशकों की चिताओं पर सेंक रहे हैं रोटियां, सैकड़ों एजेंट और निवेशकों ने की आत्महत्या… मोतेवार परिवार की जेल में हो रही सरकारी मेहमान नवाजी, सरकार से लेकर विरोधी दल और सेबी बने तमाशबीन… मुंबई। 13 लाख से अधिक निवेशकों से लगभग 39 हजार करोड़ रुपए की माया अवैध तरीके से जमा करने वाले ‘समृद्ध जीवन’ चिट फंड का मालिक महेश मोतेवार आज जेल में सरकारी मेहमान नवाजी का मजा ले रहा है।
देशभर में मोतेवार और उसकी कंपनी की अरबों रुपए की प्रॉपर्टी है। यह प्रॉपर्टी नीलाम करके निवेशकों को उनका पैसा वापस मिल सकता है, लेकिन आर्थिक अपराध शाखा, सेबी और मोतेवार की आर्थिक सांठगांठ होने के कारण उसकी संपत्ति अभी तक जब्त नहीं की गई है, इसलिए निवेशकों का पैसा वापस नहीं मिल रहा है।
मोतेवार को 21 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी को 2 वर्ष बित गए। इस दौरान उसकी दो बीवियां वैशाली और लीना, बेटा अभिषेक, भतीजी पूजा कामले को पुलिस ने गिरफ्तार किया। फिर भी उनकी संपत्ति को पूरी तरह से जब्त नहीं किया गया। आज तक जितनी भी चिट फंड कंपनियां डूब गर्इं। उनके निवेशकों को फूटी कौड़ी तक नहीं मिली। यही हाल ‘समृद्ध जीवन’ के लाखों निवेशकों का हो रहा है।
गोरखधंधों को बढ़ाने के लिए शुरू किए चैनल और अखबार
‘समृद्ध जीवन’ की काली करतूतों को छिपाने और सरकारी स्तर पर कंपनी की दलाली करने के लिए ‘मी मराठी’ व ‘लाइव इंडिया चैनल’ और ‘मी मराठी लाइव’ अखबार शुरू किया गया था। इस प्रसार माध्यमों से समृद्धि चिट फंड का गोरखधंधा बढ़ाने की योजना बनाई गई। इन योजनाओं को सलाह और मोतेवार को संरक्षण देने के लिए उसके डायरेक्टर बोर्ड में कुख्यात पत्रकार कुमार केतकर, निखिल वागले, पूर्व सांसद भारत कुमार राऊत की नियुक्ति की गई थी, लेकिन कुछ महीनों बाद मोतेवार जेल में गया और यह सब कुख्यात पत्रकार भी उसका साथ छोड़कर चले गए।
नए ‘मोतेवार’ की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं वागले और राऊत
‘समृद्ध जीवन’ में निवेश करने वाले लाखों निवेशकों के खून-पसीने की कमाई फंसी है। यह पैसे रिकवर करने के लिए मोतेवार परिवार सहित कांग्रेस के सांसद और तत्कालीन संचालक कुमार केतकर, वागले, राऊत की नार्को टेस्ट होनी चाहिए। नार्को टेस्ट से कई बड़े खुलासे हो सकते हैं और कई बड़ी मछलियां भी हाथ लग सकती हैं। यह तीन कुख्यात पत्रकारों के संचालन कार्यकाल में फोन पर किए गए बातचीत की सीडीआर रिकॉर्ड की जांच भी करनी चाहिए। दुर्भाग्य की बात है कि यह तीनों कुख्यात पत्रकार बेलगाम घूम रहे हैं। केतकर को कांग्रेस ने सांसद पद देकर सम्मानित किया, तो वहीं वागले और राऊत अब नए मोतेवार की तलाश में घर पर बैठे हैं।
लेखक उन्मेष गुजराथी ‘दबंग दुनिया’ अखबार के संपादक हैं.