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उत्तर प्रदेश

सीबीआई से डरे समाजवादी कुनबे ने यूपी में भाजपा को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की छूट दी!

Vishwanath Chaturvedi : मुलायम के मुंह में जमी दही, कठेरिया के बयान पर राम गोपाल की जवाबी कौव्वाली.. 5 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपनी हार के प्रति आश्वस्त भाजपा ने उत्तर प्रदेश में राजनैतिक ध्रुवीकरण की तैयारी शुरू कर दी है. मुलायम भाजपा के मोहरे की तरह इस्तेमाल होने को मजबूर हैं क्योंकि सीबीआई केंद्र के पास है और कुनबा 2007 से वांटेड है। यादव सिंह की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले में बात-बात पर बाहें चढ़ाने वाले राम गोपाल के बेटे व बहू का नाम आ जाने के बाद अब भाजपा के पास इनको नचाने का अवसर मिल गया है। 

Vishwanath Chaturvedi : मुलायम के मुंह में जमी दही, कठेरिया के बयान पर राम गोपाल की जवाबी कौव्वाली.. 5 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपनी हार के प्रति आश्वस्त भाजपा ने उत्तर प्रदेश में राजनैतिक ध्रुवीकरण की तैयारी शुरू कर दी है. मुलायम भाजपा के मोहरे की तरह इस्तेमाल होने को मजबूर हैं क्योंकि सीबीआई केंद्र के पास है और कुनबा 2007 से वांटेड है। यादव सिंह की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले में बात-बात पर बाहें चढ़ाने वाले राम गोपाल के बेटे व बहू का नाम आ जाने के बाद अब भाजपा के पास इनको नचाने का अवसर मिल गया है। 

अपने को समाजवादी डॉ राममनोहर लोहिया का शिष्य होने का दावा करने वाले मुलायम कुनबे द्वारा 6 करोड़ मजदूरों के प्रॉविडेंट फण्ड पर टैक्स लेने के भाजपाई बजट के फैसले के खिलाफ और पूंजीपतियों के हक़ में लिए गए बजटीय फैसले के खिलाफ मौन साधना इसी का नतीजा है। भाजपाई देशद्रोहियों चौधरी बाबू लाल व कठेरिया के ख़िलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल की सलाखों के पीछे भेजने के बजाए छुटभैयों के खिलाफ कार्यवाही कर मामले को रफा-दफा करने के पीछे क्या मज़बूरी है, इसे समझा जा सकता है।

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राज्य में हुए 2 लाख करोड़ के खाद्य घोटाले जिसकी जाँच सीबीआई कर रही है और मानिटरिंग इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच कर रही है, के आरोपियों को बचाकर मंत्री बनाने वाली सरकार को घोटाले रोकने का इंतजाम किये बिना जल्दबाजी में फूड गारन्टी बिल लागू कर संसद में भाजपा को मूक समर्थन देने के बाद उठने वाले सवालों से बचने के लिए समाजवादी पार्टी द्वारा अवाम का ध्यान बांटने से ज्यादा कुछ नहीं है। जब देश जल रहा था, नीरो बांसुरी बजा रहा था कि तर्ज पर मुलायम को जेल जाने का डर सता रहा है। खुद और कुनबे को जेल जाने से बचाने के लिए सौदे पर सौदे कर भाजपा को राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण कराने का प्लेटफार्म देकर राज्य को जलाने पर मुलायम आमादा हैं। मनमोहन की सरकार को 2004 से 2014 तक सीबीआई जाँच से बचने के लिए समर्थन देने वाले नकली सेकुलरिज्म का लबादा ओढे मुलायम का चेहरा जनता के बीच बेनक़ाब हो चुका है। जनवादी कबि अदम गोंडवी की पक्तियां सटीक बैठती हैं.

इलेक्शन भर मुसलमानों से हम रुमाल बदलेंगे।
अभी बदला है चेहरा देखिये अब चाल बदलेंगे।।
मिले कुर्सी तो दलबदलू कहो क्या फ़र्क़ पड़ता है।
ये कोई वल्दियत है पार्टी हर साल बदलेंगे।।

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सौदागर मुलायम की सीबीआई के भय से बदलती वफादारी… पहले मनमोहन अब मोदी.. 22 फरवरी से शुरू हुए बजट सत्र से पहले यादव सिंह की गिरफ्तारी से घबराये मुलायम कुनबे को संसद में मोदी सरकार के लिए हाथ उठाना मजबूरी हो चुकी है, क्योंकि उसमें कुनबे के सदस्य राम गोपाल यादव के बेटे और बहू की हिस्सेदारी सामने आ चुकी है. वहीं दूसरी ओर कोर्ट की अवमानना कर 2007 से अब तक आय से अधिक मामले मामले में एफआईआर ना करने वाली सीबीआई से डरा सहमा कुनबा अब पूरी तरह से मोदी के गुणगान में जुटा है.

7 रेस कोर्स प्रधानमंत्री आवास पर z news के मालिक के बुक रिलीज कार्यक्रम में मुलायम की मोदी से रिरियाते हुए जेल जाने से बचने की भीख मागते हुए तस्वीरें जरूर देखी होगी. मुलायम द्वारा ठगे गए लोगों की फेहरिस्त स्व. कर्नल अर्जुन भदौरिया से शुरू होकर आज तक जारी है. अब मोदी की बारी है. मुलायम द्वारा मनमोहन से मोदी तक ठगे गए लोगो की लंबी फेहरिस्त है. स्व. देवी लाल, स्व. चौधरी चरण सिंह, स्व. वीपी सिंह, स्व. चंद्रशेखर और 1990 में कार सेवकों पर चली गोली के बाद भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री रहे मुलायम से भाजपा द्वारा समर्थन वापसी के बाद धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कांग्रेस के 90 विधायकों के समर्थन से सरकार बचाने के बाद एक रात स्व. राजीव गाँघी को धोखा देकर सरकार भंग करने की सिफारिश कर 1991 में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाने वाले मुलायम ही थे। 2003 में भाजपा ने मुलायम का कर्ज उतारते हुए उस समय के विधानसभा अध्यक्ष रहे केसरी नाथ जी से कह कर विधायकों की मंडी लगाकर बिना बहुमत की गुंडागर्दी से सरकार बनवा दी. अब मुलायम फिर भाजपा से मिलकर साझा सरकार की सौदेबाजी कर रहे हैं.

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1991 में भाजपा को सत्ता सौंपने के बाद 1993 के चुनाव पूर्व स्व. काशी राम से समझौते के बाद प्रदेश में हर मौके मुलायम के साथ खड़े रहे वाम पंथी दलों के विधायकों को तोड़कर मुलायम ने एक विचारधारा और दल को खत्म कर सत्ता में आए. सत्ता में आते ही 1994 में गेस्ट हाउस कांड कर बसपा को धोखा दिया. 1991 से कांग्रेस की बैसाखियों के सहारे सरकार चलाने वाले मुलायम, 1999 में 1 वोट से संसद में हारी भाजपा सरकार के पतन के बाद वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंची काग्रेस के साथ धोखा दिया.

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इस तरह देश को मध्यावधि चुनाव में झोंक कर भाजपा की मदद की. फिर 2003 में भाजपा बसपा गठबंधन टूटते ही स्व. प्रमोद महाजन और अमर सिंह की जोड़ी के सहारे तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी की कृपा से विधायकों की खरीद फरोख्त की. फिर गुंडा गर्दी के सहारे की गई लोकतंत्र की हत्या. 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनते ही बिन बुलाये मेहमान की तरह जबरदस्ती समर्थन और हर समर्थन के हर मुद्दे की कीमत मोल भाव कर वसूलते रहे. जेल जाने के डर से हर मुद्दे पर ब्लैकमेल कर मनमोहन के लिए हाथ उठाते रहे. मौसम विज्ञानी मुलायम अपने वकीलों व हलफनामों के माध्यम से कोर्ट में मुझे कांग्रेसी बताते रहे और वहीं दूसरी तरफ 2004 से 2014 तक मनमोहन की सरकार चलाने के बाद अब पूरे कुनबे के साथ मोदी जी के साथ हैं.

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सौदागर मुलायम का भाजपा से चार दशक पुराना याराना यानि “धोती के नीचे खाकी”… 1999 में भाजपा सरकार के पतन के बाद देश में सेकुलर सरकार बनाने के लिए वामपंथियों की पहल पर कांग्रेस के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन गए प्रतिनिधि मंडल को मुलायम ने ऐन वक्त धोखा दे दिया. उन्होंने कहा कि वे विदेशी मूल की महिला को समर्थन नहीं देंगे. वामपंथियों सहित सारे सेकुलर दलों को धोखा देकर भाजपा के पाले में दिखे. 2002 में गुजरात दंगों के बाद हुए चुनाव में भाजपा को लाभ देने की नीयत से और सेकुलर वोटों के विभाजन के लिए बिना आधार पूरे गुजरात में चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. वहां भाजपा की सरकार बनवा दी.

2003 में भाजपा की कृपा से विधायकों की खरीद फ़रोख्त की. गुंडागर्दी से विधायकों का अपहरण कर बिना बहुमत की सरकार को उस समय के विधानसभा अध्यक्ष श्री केसरी नाथ जी की कृपा से मुलायम को शपथ दिला दी गयी. मुख्यमंत्री बनते ही मुलायम ने भाजपा का कर्ज उतारते हुए सुप्रीम कोर्ट में 18 नवम्बर 2003 में बाबरी विध्वंस मामले में हलफनामा दाखिल कर कहा कि 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाये जाने में कोई साजिश नहीं हुई थी. इस प्रकार मुलायम ने सरकारी तोते सीबीआई के हलफनामे को समर्थन कर दिया. बिहार चुनाव से पूर्व संयुक्त जनता दल परिवार के मुखिया बने मुलायम ने सीबीआई के डर से एन वक्त गठबंधन तोड़कर भाजपा को लाभ देने के लिए पूरे बिहार में मतदाताओ को भ्रमित करने व भाजपा की सरकार बनवाने का पूरा जी तोड़ प्रयास किया लेकिन बिहार के मतदाताओ ने मुलायम की “धोती के नीचे खाकी” को पहचान लिया.

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कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल करने वाले विश्वनाथ चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से.


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