एक माह में करनी होगी आदेश की पालना अन्यथा 6 प्रतिशत की ब्याजदर से करना होगा भुगतान
भोपाल श्रम न्यायालय क्रमांक 1 में वर्ष 2017 से लंबित नवदुनिया (ए यूनिट ऑफ जागरण प्रकाशन लिमिटेड) के 17 पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों के पक्ष में श्रम न्यायालय ने अवार्ड पारित किया है। इसमें 20 जे और नॉन 20 जे दोनों ही तरह के मामले शामिल थे।
श्रम न्यायालय ने प्रबंधन की तमाम रोड़े डालने वाली तकनीकी और 20 जे की आपत्ति को खारिज करते हुए सभी को मजीठिया वेतनमान का लाभ देने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि भोपाल श्रम न्यायालय में नवदुनिया (ए यूनिट ऑफ जागरण) के खिलाफ 100 से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 17 मामलों में निर्णय आया है। कर्मचारियों की इस जीत से सभी उत्साहित हैं।
मजीठिया के मामले वर्ष 2017 से लंबित थे और प्रबंधन मामलों को लेकर कई बार हाईकोर्ट गया लेकिन उसकी चाल कामयाब नहीं हो सकी। श्रम न्यायालय ने अपने आदेश में माना है कि सभी कर्मचारी मजीठिया के पात्र हैं। कर्मचारियों को प्रबंधन मजीठिया से आधा वेतन दे रहा था, इसलिए सभी कर्मचारियों को वर्ष 2011 से मजीठिया का लाभ एक माह में देने के आदेश हैं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रबंधन यदि एक माह में वेतन का लाभ नहीं देता है तो 6 प्रतिशत की दर से ब्याज लगाया जाएगा।
नवदुनिया को 5वीं श्रेणी में मानकर वेतन का निर्धारण
नईदुनिया मीडिया प्रायवेट लिमिटेड के अखबार नवदुनिया भोपाल का अधिग्रहण जागरण कानपुर समूह ने अप्रैल वर्ष 2013 में किया था। कर्मचारियों ने अपने दावे में जागरण प्रकाशन समूह को वर्ग-1 में रखकर गणना पत्रक तैयार किया था, वहीं प्रबंधन ने वर्ष 2007-08-09 और 09-10 की नवदुनिया भोपाल की बैलेंस शीट पेश की थी और अपनी श्रेणी को 7वीं कैटेगरी में रखा था। कोर्ट ने माना कि इन वित्तीय वर्षों में जागरण अस्तित्व में नहीं था, इसलिए नईदुनिया मीडिया प्रायवेट लिमिटेड की संपूर्ण बैलेंस शीट को गणना का आधार माना जाएगा।
प्रबंधन ने कोर्ट के आदेश के बाद भी जब समूह की बैलेंस शीट प्रस्तुत नहीं की तो कोर्ट ने नवदुनिया को दो श्रेणी बढ़ाते हुए 7वीं से 5वीं श्रेणी में माना और कर्मचारियों को 5वीं श्रेणी के अनुसार वेतन देने के आदेश दिए हैं।
वेतन में दो से तीन गुना की बढ़ोतरी
मजीठिया वेतनमान के निर्धारण के बाद कर्मचारियों के वेतन में दो से तीन गुना की वृद्धि होगी। कोर्ट ने अपने आदेश में सभी कर्मचारियों का नवंबर 2011 का बैसिक, 20 प्रतिशत वैरिवल पे, 165 प्रतिशत महंगाई राहत, 10 प्रतिशत टीए, एचआरए और प्रतिवर्ष 2.5 प्रतिशत की दर से वेतनवृद्धि के आदेश दिए हैं।
ज्ञात हो कि वर्ष 2011 में नवदुनिया में एक उप-संपादक का कुल वेतन ही 12000 हजार रुपए था। ऐसे में मजीठिया वेतनमान लागू होने के बाद अब कर्मचारियों के वेतन में दो से तीन गुना की वृद्धि होगी। कर्मचारियों की जीत पर स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन एमपी की ओर से सभी को जीत की बधाई दी गई।
कर्मचारियों की ओर से श्रम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री जीके छिब्बर और उनके साथी श्री महेश शर्मा ने दमदारी से पक्ष रखा।
देखें लेबर कोर्ट का ऑर्डर-
https://drive.google.com/file/d/1YvQj3_aJWUjGpYlpjpQPsoHijLPmO8cL/view?usp=drivesdk
साभार-स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन एमपी