नवतेज टीवी के धोखेबाज प्रबंधकों का एक और कारनामा उजागर हुआ है। इन्होंने चैनल में उपयोग किए जाने वाले फोन और टेलीफोन नंबरों को अपने कर्मचारियों के निजी नाम से लिया था। अब जब चैनल बंद हो गया है तो उन नंबरों के बिल आने शुरू हो गए हैं। जिन कर्मचारियों के नाम पर नंबर लिए गए हैं, टेलीकॉम कंपनियों ने उन्हें फोन करके 4 से 5 हजार का बिल थमा दिया है और उसे भरने के लिए रोज फोन करके परेशान कर रही हैं।
यह बात जब कर्मचारियों को पता चली तो वो परेशान हो गए। चैनल चलाने वाली अनुराग पांडेय व रोहित तिवारी की टीम ने उनसे कहा था कि सब लोगों को एक पर्सनल नंबर दिया जाएगा। शुरू में इन्ही कर्मचारियों के नाम पर नंबर लेकर सारा काम किया गया। आज जब चैनल बंद हो गया तो पता चल रहा है कि उस फोन का बिल भी नहीं भरा गया।
आप सबको पता है कि कई महीने की सैलरी दिए बिना ही चैनल 26 मई को क्वारंटाइन के नाम पर झूठ बोलकर बंद कर दिया गया था। बाद में चैनल बेच दिया गया। जिन पत्रकारों के दो से तीन महीने की सैलरी नहीं मिली अब वो कहां से अपने नाम से लिए गए फोन नबर का बिल भरेंगे? बड़ा सवाल है कि जब ऐसे टुच्चे प्रबंधकों के पास पैसे नहीं होते, तो चैनल खोल के पत्रकारों का शोषण क्यों करते है। उन्हें दिन रात खटाते हैं और बिना पैसे दिए अपनी दुकान बंद कर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। कब तक चलेगा ऐसे ही। नवतेज के सभी पीड़ित कर्मचारी चाहते हैं कि जिन-जिन कर्मचारियों के नाम पर नंबर लिए गए हैं, उनका बिल प्रबंधन टीम खुद भरे।
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