पूर्व आईएएस एनपी सिंह से बातचीत के तीसरे और आखिरी हिस्से में मनुष्यों की कम, ब्रह्मांड और धरती के भविष्य की ज्यादा चर्चा हुई.
छंटनी के शिकार मीडियाकर्मियों को किन वैकल्पिक रोजगारों को अपनाना चाहिए, इस पर भी बातचीत हुई.
इलाहाबाद का पढ़ा हुआ उदात्त होता है। सिर्फ अपने पेट और पद की ही चिंता नहीं करता। उसके चिंतन में सकल ब्रम्हांड होता है। मनुष्येतर जीवन होता है। इविवि के छात्र रहे भाई एनपी सिंह बतौर आईएएस अफसर जमीनी स्तर पर कई प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं।
उनसे लंबी बातचीत के आखिरी दौर में कुछ विचित्र बातें हुईं। धरती से मनुष्य खत्म हो जाएंगे तो फिर एवोल्यूशन में किस प्राणी का नम्बर होगा यहाँ का राजा बनने का?
दुनिया को दैत्याकार कम्पनीज चला रहीं। इनके विधान में केवल टर्नओवर और मुनाफा है। मतलब इन कम्पनीज के कर्ताधर्ता आखिरी पहाड़, आखिरी नदी, आखिरी समंदर, आखिरी जंगल, आखिरी शुद्ध प्राकृतिक हवा, आखिरी जमीन के टुकड़े को नष्ट भ्रष्ट त्रस्त होने तक धरती का चीर हरण करते रहेंगे!
पोस्ट कोविड-19 में क्या ‘प्रभु’ मनुष्य सद्बुद्धि लिए होगा?
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