Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

नूतन ठाकुर के धरने की सूचना मिलते ही लखनऊ पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्यवाही शुरू की

हमारे घर हुई चोरी में भारी पुलिस निष्क्रियता के विरुद्ध मेरे द्वारा डीजीपी कार्यालय के धरने की सूचना मिलते ही पुलिस विभाग यकायक तेजी में आ गया. 15 अक्टूबर की रात हुई इस चोरी के बाद किसी पुलिस वाले ने मामले की सुध नहीं ली थी. घटना के दिन से ही मामले के विवेचक छुट्टी पर चले गए थे. पांच लाख से ऊपर की चोरी होने के बावजूद मामले में एसआर केस दर्ज नहीं किया गया था और एसएसपी लखनऊ सहित किसी भी वरिष्ठ पुलिस अफसर ने नियमानुसार घटनास्थल का निरीक्षण नहीं किया था.

<p>हमारे घर हुई चोरी में भारी पुलिस निष्क्रियता के विरुद्ध मेरे द्वारा डीजीपी कार्यालय के धरने की सूचना मिलते ही पुलिस विभाग यकायक तेजी में आ गया. 15 अक्टूबर की रात हुई इस चोरी के बाद किसी पुलिस वाले ने मामले की सुध नहीं ली थी. घटना के दिन से ही मामले के विवेचक छुट्टी पर चले गए थे. पांच लाख से ऊपर की चोरी होने के बावजूद मामले में एसआर केस दर्ज नहीं किया गया था और एसएसपी लखनऊ सहित किसी भी वरिष्ठ पुलिस अफसर ने नियमानुसार घटनास्थल का निरीक्षण नहीं किया था.</p>

हमारे घर हुई चोरी में भारी पुलिस निष्क्रियता के विरुद्ध मेरे द्वारा डीजीपी कार्यालय के धरने की सूचना मिलते ही पुलिस विभाग यकायक तेजी में आ गया. 15 अक्टूबर की रात हुई इस चोरी के बाद किसी पुलिस वाले ने मामले की सुध नहीं ली थी. घटना के दिन से ही मामले के विवेचक छुट्टी पर चले गए थे. पांच लाख से ऊपर की चोरी होने के बावजूद मामले में एसआर केस दर्ज नहीं किया गया था और एसएसपी लखनऊ सहित किसी भी वरिष्ठ पुलिस अफसर ने नियमानुसार घटनास्थल का निरीक्षण नहीं किया था.

पुलिस की इस घोर लापरवाही से क्षुब्ध हो कर मैंने कल रात यह घोषणा की थी कि मैं आज डीजीपी कार्यालय पर धरने पर बैठूंगी. यह सूचना मिलते ही पुलिस विभाग में तेजी आ गयी. सुबह पहले इंस्पेक्टर गोमतीनगर और उसके बाद सीओ गोमतीनगर सत्यव्रत और एसपी ट्रांसगोमती दिनेश यादव घर आये और शीघ्र अनावरण का आश्वासन दिया. फिर एसएसपी लखनऊ प्रवीण का मेरे पति अमिताभ ठाकुर को फोन आया कि उन्होंने एसपी क्राइम को यह मामला सौंप दिया है और तीन दिन में बरामदगी हो जायेगी, अतः मैं धरना स्थगित कर दूँ.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं पूर्व सूचना के अनुसार डीजीपी कार्यालय गयी जहां चोरी होने पर कोई कार्यवाही नहीं होने वाले कई और लोग भी आये थे. मैंने एसएसपी के कहने पर दस दिन का समय देते हुए धरना स्थगित किया है पर हमने एसपी लोक शिकायत से मिल कर उन्हें ज्ञापन दिया. हम इस तरह के चोरियों में एफआईआर नहीं लिखने अथवा अन्य निष्क्रियता दिखाने के तमाम मामलों को इकठ्ठा कर रहे हैं और इन सब मामलों को सामूहिक रूप से उठाएंगे.

ज्ञापन—

Advertisement. Scroll to continue reading.

सेवा में,
श्री ए एल बनर्जी,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- मेरे घर पर हुई चोरी में पुलिस के पूर्णतया उपेक्षात्मक रुख तथा इसके नाम पर मानवाधिकार विषयक  
महोदय,

कृपया निवेदन है कि दिनांक 15/16-10-2014 की रात्री को मेरे निवास 5/426, विराम खंड, गोमतीनगर, लखनऊ में नकबजनी/चोरी की घटना उस समय घटी थी जब हम गाजियाबाद गए थे. इस घटना के सम्बन्ध में मैंने दिनांक 16/10/2014 को थाना गोमतीनगर पर मु०अ०स० 884/2014 अंतर्गत धारा 457/380 आईपीसी पंजीकृत कराया है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस घटना में हमारा करीब छ-सात लाख रुपये का नुकसान हुआ है. यह हमारे लिए बड़ी धनराशि है.  दो लाख रुपये से ऊपर की चोरी होने के नाते यह प्रकरण पुलिस की परिभाषा में एसार केस की श्रेणी में आता हैं, अतः मेरे पति श्री अमिताभ ठाकुर ने अपने पत्र संख्या- AT/Security/01 दिनांक-17/10/2014 द्वारा एसएसपी को और मैंने थानाध्यक्ष गोमतीनगर को इसे एसआर केस में तरमीम करते हुए समस्त आवश्यक प्रक्रिया अपनाने हेतु निवेदन किया था. हमने इस प्रकरण में हमारे सामाजिक कार्यों से परेशान या नाराज किन्ही ताकतवर व्यक्तियों द्वारा किसी प्रकार की साजिश की सम्भावना के बारे में भी सम्बंधित अधिकारियों को अवगत कराया था.

उस दिन से अब तक किसी पुलिस वाले ने मौके का निरीक्षण नहीं किया था और ना ही हमसे इस बारे में कोई पूछताछ की थी. कल जब मैं इस घटना की प्रगति जानने थाना गोमतीनगर गयी थी तो पहले तो किसी पुलिसवाले ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया और जब मैंने बहुत जोर दिया तो मुझे यह बताया गया कि इस मामले में विवेचक श्री श्रीराम घटना से पहले ही छुट्टी पर रवाना हो गए थे. इस प्रकार इस मामले की विवेचना एक ऐसे दरोगा को दी गयी थी जो अवकाश पर थे. हम सभी जानते हैं कि चोरी के मामले में घटना के ठीक बाद का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है पर इस मामले में घटना के बाद कोई कार्यवाही ही नहीं हुई क्योंकि विवेचक छुट्टी पर थे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

दूसरी बात यह कि जैसा मैंने ऊपर बताया है, मेरे घर की चोरी लगभग पांच-छः लाख रुपये की है और दो लाख से ऊपर की चोरी एसआर केस होती है पर इस मामले में अब तक एसआर केस नहीं लगाया गया है. साथ ही सीओ से ऊपर किसी भी पुलिस अफसर द्वारा मौका मुआयना तक नहीं किया गया है जब कि मेरी जानकारी के अनुसार एसआर केस में थानाध्यक्ष से ले कर जनपद के एसएसपी तक को मौका मुआयना करना होता है और इन मामलों का पर्यवेक्षण डीआईजी और आईजी द्वारा की जाती है. हमारे घर की चोरी एसआर केस होने के बाद भी इसे एसआर केस नहीं बनाया जाना भी पुलिस की लापरवाही को स्पष्ट बताता है.

इस प्रकरण का एक तीसरा दुखद पहलू यह है कि आज जब सुबह मेरे पति सब्जी लेने गए तो वहां दूकान पर सब्जीवाले और अन्य लोगों ने बताया कि परसों (18/10/2014) की रात करीब नौ बजे गोमतीनगर थाने के पुलिसवालों ने विराम खंड पांच के जीवन प्लाजा से ले कर हुसडिया चौराहे तक सड़क के किनारे खोमचा, ठेलिया आदि लगाने वाले कई गरीब दुकानदारों को हमारे घर में हुई चोरी के नाम पर यह कहते हुए बुरी तरह पीटा कि वे लोग ही चोरी करते हैं. इनमे से कई लोगों को शारीर पर काफी चोटें भी आयीं. इनमे ज्ञान (मोबाइल नंबर 080819-66943), शोभित पान वाला, हुसडिया मंडी आदि सब्जीवाले की दुकान पर मिले. यह निश्चित रूप से अनुचित और अमानवीय आचरण है और इन गरीब लोगों का स्पष्टतया मानवाधिकार हनन भी. उन लोगों ने मेरे पति से कहा कि आप इतने दयालु आदमी हैं और आपके नाम पर हमारे ऊपर यह अत्याचार हो रहा है. मैं निवेदन करना चाहूंगी कि भले हमारे घर की चोरी नहीं खुले पर इसने नाम पर इस प्रकार के अत्याचार नहीं किये जाएँ.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस मामले में सबसे दुखद पहलू यह है कि जब मैंने आज विरोध प्रदर्शन की घोषणा की तो सुबह से ही पुलिस के अफसर हमारे घर आना शुरू कर दिए. पहले इंस्पेक्टर गोमतीनगर हमारे घर आये जिन्होंने बताया कि हमारे मामले में विवेचक बदल दिए गए हैं और एसएसआई गोमतीनगर नए विवेचक हैं. यह भी बताया कि इस मामले में एसआर रिपोर्ट भेजी जा चुकी है. इसके बाद एसपी ट्रांसगोमती श्री दिनेश यादव और सीओ गोमतीनगर हमारे आये. उन्होंने भी हमें तमाम बाते कहीं. अंत में एसएसपी लखनऊ श्री प्रवीण कुमार का मेरे पति के पास फोन आया जिन्होंने कहा कि वे इस मामले को क्राइम ब्रांच को दे रहे हैं और एसपी क्राइम स्वयं इसका पर्यवेक्षण करेंगे. उन्होंने मेरे पति से मुझे धरना नहीं करने का निवेदन किया और आश्वासन दिया कि तीन दिनों में यह केस खुल जाएगा.

जाहिर सी बात है कि धरने की बात जानने के बाद इस तरह की सक्रियता पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में सब कुछ कह देती है. यदि पहले ही यह सब किया गया होता तो यह स्थिति ही नहीं आई होती. फिर भी मैं एसएसपी लखनऊ के आश्वासन पर तीन दिन की जगह दस दिनों के लिए अपना यह विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम स्थगित कर रही हूँ.

Advertisement. Scroll to continue reading.

उपरोक्त समस्त तथ्यों के दृष्टिगत मेरा आपसे निम्न अनुरोध हैं-

1. कृपया इस घटना के परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश पुलिस को सभी चोरी की घटनाओं में बराबर सक्रियता और संवेदनशीलता बरतने हेतु आदेश देने की कृपा करें ताकि किसी धरना प्रदर्शन आदि अथवा किसी के कथित रूप से बड़े आदमी होने पर ही नहीं बल्कि प्रत्येक आम आदमी के मामले में भी तत्काल गंभीरता पूर्वक कार्यवाही हो

Advertisement. Scroll to continue reading.

2. कृपया पुलिस को चोरी या अन्य आपराधिक घटनाएँ रोकने के लिए इस प्रकार के अवैधानिक तरीके अपनाने से रोकने के आदेश देने की कृपा करें 

भवदीय,
डॉ नूतन ठाकुर )
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34525
पत्र संख्या- AT/Security/01                                            
दिनांक-20/10/2014

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement