Somu Anand-
ओम थानवी सर आज कुलपति के दायित्व से मुक्त हो गए। उनके कार्यकाल को याद करने के लिए सबके पास अलग-अलग वजहें होंगी। बतौर छात्र मैं उन्हें इसलिए याद करूंगा कि उन्होंने हमें बेहतरीन शिक्षकों से रोज संवाद का मौका दिया। विश्वविद्यालय के नियमित शिक्षकों के साथ उन्होंने बेहतरीन पत्रकारों को विश्वविद्यालय से जोड़ा।
शायद यही वजह रही कि एक नई स्टेट यूनिवर्सिटी में देश के अलग-अलग हिस्सों से विद्यार्थी आये। ओम सर न होते तो हमें राजेश जोशी सर, नासिरुद्दीन सर, त्रिभुवन सर, हिमांशु व्यास सर और तबीना मैम जैसे शिक्षकों से मिलने का, उनसे सीखने का मौका शायद ही मिलता।
हमने सोचा था कि उन्हें अकादमिक परिसर बुलाएंगे, एक समारोह आयोजित करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। सो आज हमलोग उनसे मिलने शिक्षा संकुल गए। आखिरी दिन की व्यस्तता के बीच थोड़ी बातचीत हुई। सर ने आश्वस्त किया कि वे हम विद्यार्थियों से मिलते-जुलते रहेंगे। यह आश्वस्ति जरूरी थी। क्योंकि मुझे हमेशा यह अफसोस रहा कि यहां रह कर उनसे जितना कुछ सीखा जा सकता था, उतना नहीं सीख पाए। लेकिन जो कुछ उनकी वजह से मिला उसके लिए उन्हें शुक्रिया तो जरूर कहूंगा। खासकर इन बेहतरीन शिक्षकों को एक जगह लाने के लिए।
शुक्रिया ओम सर
नई पारी के लिए शुभकामनाएं।