देवरिया : एसपी साहब ने कविता और शायरी को सोशल मीडिया पर इतना ज्यादा पोस्ट किया है कि इससे अब सबको पता चल गया है कि हमारे एसपी साहब राकेश शंकर जी एक बढ़िया शायर है और अच्छी शायरी करते हैं। लेकिन कल मतगणना स्थल पर हुए पुलिस लाठीचार्ज में घायल हो गए हमारे पत्रकार मित्र चन्द्र प्रकाश पाण्डेय के बारे में कोई शायरी नहीं पोस्ट की। प्रश्न यह उठता है कि क्या इस लाठीचार्ज की जिम्मेदारी किसी पुलिस अधिकारी ने ली है? यदि नहीं तो किन लोगों ने किन परिस्थितियों में लाठियों से बर्बतापूर्वक पीटा? क्या इसकी मजिस्ट्रेटी जांच में पीड़ित व्यक्तियों को न्याय मिल पाएगा और वह भी कितने दिनों में?
क्यों नहीं जिला प्रशासन वीडियो फुटेज के आधार पर फौरी तौर पर जो पुलिस कर्मी पीट रहे हैं उन्हें निलंबित कर रहा है? हालांकि पुलिस की लाठियां भाजपा के नेताओं और एक अधिवक्ता पर भी गिरी है। लेकिन इन दोनों समुदायों की तरफ़ से किसी हलचल की सूचना नहीं है। हो सकता है अधिवक्ताओं द्वारा घटना के विरोध में कचहरी में हड़ताल हो जाय और पुराना इतिहास दुहराते हुए अधिवक्ता भाई पुलिस को कचहरी परिसर में दौड़ा दौड़ा कर पीटें।
वैसे कल शाम को घटना के बाद दीवानी कचहरी के कुछ बड़े अधिवक्ताओं द्वारा कोई रणनीति बनाई जा रही थी। दूसरी तरफ सपा नेताओं द्वारा अक्सर कुछ उलटा ही बोल वचन किया जाता है। जैसे कल शाम को ही कचहरी के पास कुछ बड़े सपा नेता यह कहते हुए जरूर सुने गए कि… ”पत्रकार पीटे गए हैं तो बड़ा अच्छा हुआ… पत्रकार और मीडिया वाले साले दलाल हो गये हैं… इनकी पिटाई इसी तरह से होनी चाहिए।” समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर हम पत्रकारगण पुलिस और नेताओं की नजर में इतना चुभते क्यूं है? फिलहाल यह भी आश्चर्यजनक है कि भाजपा की सरकार है और भाजपाइयों को पुलिस ने विधिवत धोया। लेकिन घटना के बारह घंटे बाद भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
देवरिया से एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.