Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

वर्दी वाले बाबू के गाल पर पड़ी है तो बहुत तेज दर्द हो रहा, न्याय के लिए आंदोलन चल रहा, हम तुम्हारे भी साथ हैं!

Yashwant Singh : जैसे वकीलों ने पुलिस वाले को मारा, वैसे ही पुलिस वाले कहीं भी कभी भी गरीब-निरीह लोगों के गाल पर बिना सोचे विचारे चटाक से लप्पड़-झापड़ जड़ देते हैं. आज खुद के गाल पर पड़ी है तो बहुत तेज दर्द हो रहा है खाकी वाले बाबू! समय का चक्र है वर्दीधारी पहलवान. पहिया घूमता रहता है. जो उपर होता है, वह एक रोज नीचे भी आता है. करो करो…. करो आंदोलन… न्याय के लिए… हम तुम्हारे भी साथ हैं!

Vivek Satya Mitram : पत्रकार पब्लिक पर रौब झाड़ता है। पुलिस पत्रकार पर रौब झाड़ती है। और वकील पुलिस की सीधे मरम्मत ही कर देते हैं। पर किराये पर मकान इनमें से किसी को भी नहीं मिलता। और वही इनकी सही औक़ात है!

Sanjaya Kumar Singh : जो पुलिस अदालत में कन्हैया को नहीं बचा सकी वो खुद कैसे बचती? अगर भीड़ (वकीलों की भी) ऐसे ही अनियंत्रित रही तो बारी सबकी आएगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Samar Anarya : अब बस भारत और दुनिया को दिल्ली पुलिस को अपने ही सिपाहियों और अधिकारियों पर वाटर केनन दागते और लाठी चार्ज करते देखना बाकी रह गया है! बाकी चाहे जो कहिये, भक्त होइए या भाजपाई- यह भारत के 56 इंच के साढ़े 5 साल में और ज़्यादा मजबूत और स्थिर होने का प्रमाण है! बढ़िया भी है कि सब दूतावास दिल्ली में ही हैं तड़ातड़ अपने फॉरेन ऑफिस को रिपोर्ट भेज रहे होंगे कि भारत में निवेश के लिए यही संबसे बढ़िया समय है!

Deepankar Pate : निहत्थे आदमी को पुलिस मारती है, वकील पुलिस को मारते हैं. निहत्था आदमी प्रोटेस्ट करता है तो फिर पुलिस मारती है. लेकिन इस तरह गांधीवादी तरीके प्रोटेस्ट करती पुलिस के लिए मेरे मन में सम्मान है. वकीलों ने जिस तरह उपद्रव मचाया, घेरकर एक पुलिस वाले की लिंचिंग करने की कोशिश की . वकीलों की समझदारी से डर लगने लगा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Pankaj Chaturvedi : छः घंटे से दिल्ली पुलिस के मुख्यालय पर अराजक हो रहे पुलिस वालों– याद करों जब अदालत में कन्हैया को पिटवा कर राष्ट्रवाद की दुहाई दे रहे थे- जब प्रशांत भूषण को पिटवा रहे थे? यह बीज आपने ही बोये हैं, — इस राष्ट्रवाद में आप भी पिसोगे.

Samarendra Singh : कानून के रखवाले और इंसाफ दिलाने वाले दोनों लड़ यहे हैं। इससे पता चलता है कि ये व्यवस्था कितनी सड़ गई है। किसी एक का पक्ष क्या लेना? आज आम आदमी पुलिस और अदालत के पास जाने से डरता है तो इसलिए कि दोनों का चरित्र आपराधिक हो गया है। खाकी वर्दी और काला कोट दोनों डराते हैं। समूह के तौर पर उनकी संवेदना मर चुकी है। वो गिरोह की तरह ऑपरेट करते हैं। ताजा मामला उसी का एक उदाहरण है। ये दोनों ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने पहले भी पेश कर चुके हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ashwini Kumar Srivastava : यह जो हो रहा है , यह लोकतंत्र का भारतीयकरण है … और यह शायद लोकतंत्र का सबसे वीभत्स चेहरा भी है। इसकी यह वीभत्सता इसलिए है क्योंकि वकील, पुलिस आदि के रूप में जिन्हें लोकतंत्र , संविधान और कानून का न सिर्फ पालन करना है बल्कि इस कड़ाई से पालन करना है कि देश की सवा अरब आबादी भी लोकतंत्र, संविधान और कानून से खिलवाड़ न कर सके , वही लोग आज लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं। वकील हों या पुलिस, दोनों ने ही न जाने कब से अपनी अपनी मर्यादाएं लांघ रखी हैं। आज जब इन दोनों में हिंसक टकराव चरम पर है तो एक दूसरे को दोषी ठहरा कर यह खुद को इस तरह पेश कर रहे हैं मानों ये तो पाक साफ हैं, दूसरा ही पक्ष हदें तोड़ कर अराजक हो चुका है।

Samar Anarya : भारत में 72 साल में शायद एक और पहली बार में दिल्ली पुलिस कर्मी खुद अपने मुख्यालय पर प्रदर्शन कर रहे हैं- वकीलों के लगातार हमले और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उन्हें छोड़ दिए जाने पर! तमाम वरिष्ठ पुलिस अधिकारी- आईपीएस रैंक के डीसीपी अधिकारियों सहित- प्रतिरोध का समर्थन भी कर रहे हैं- तस्वीरें ट्वीट कर रहे हैं. अभी तक न हों तो अब बहुत चिंतित हो जाएँ- समाज की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी वाले खुद असुरक्षित महसूस करने लगें तो यह प्रशासन के पूरी तरह ढह जाने जैसा है!

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैसे भी कांस्टेबुलरी- पुलिस का सबसे निचला हिस्सा- सबसे ज़्यादा दबावों में काम करता है- स्थानीय नेताओं से लेकर अफसरों तक- कानूनी से लेकर ग़ैरकानूनी तक आदेशों और अनुरोधों के बीच- वह भी बेहद कम वेतन पर- पर फिर भी वर्दी वाले किसी भी अनुशासित बल का ऐसे खुले प्रतिरोध पर उतर आना- मुझे आजाद भारत के किसी पिछड़े जिले तक में नहीं याद- देश की राजधानी दिल्ली में तो भूल ही जाइये! इसके पहले इसके करीब का कुछ याद है तो बस पिछले साल लखनऊ में एप्पल अधिकारी की एक पुलिसकर्मी द्वारा हत्या के बाद पुलिसकर्मियों द्वारा काले फीते बाँध कर विरोध करना!

डरिये, बहुत डरिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पुलिस और वकील दोनों बहुत जरुरी हैं समाज के लिए- बावजूद इसके कि दोनों के सांविधानिक मर्यादाओं के उल्लंघन करने के मामले भी सामने आते रहते हैं पर समाज का काम दोनों के बिना एक मिनट भी नहीं चल सकता! आम आदमी को, गरीब को न्याय की जो जरा बहुत उम्मीद हो सकती है- यही दोनों दिला सकते हैं. और हो सके तो अब भी रुक जाइये- सुधर जाइये। समाज को भीड़ बनने देंगे तो यही होगा। भीड़ एक बार निकल गई तो किसी को नहीं पहचानती। देश को भीड़ बनने से बचा लीजिये। यह आज कन्हैया कुमार पर हमला करेगी, तो कल न सुबोध कुमार सिंह को छोड़ेगी न आपको।

और हाँ, इस भीड़ को ‘वकीलों’ में समेटने की कलाबाजी चाहें तो कर लें- पर असल में ये बस भीड़ है! सत्ता की, ताक़त की हनक वाली भीड़. गोरखपुर में महिला आईपीएस अधिकारी को रोने पर मज़बूर कर देने वाली भीड़ वकीलों की नहीं भाजपाइयों की थी. सुबोध सिंह वाली बजरंगियों की. एक और महिला अधिकारी की जगह नहीं याद रही- फिर से भाजपाइयों की. वरना फिर तो ठीक ही है- दोष देना हो तो दिल्ली पुलिस अंग्रेजों ने बनाई थी- नेहरू जी ने 1948 में इसका पुनर्संगठन किया। उधर भारत में न्याय व्यवस्था भी अंग्रेज ही लाये- और तीस हज़ारी अदालत 1958 में बनी- नेहरू जी के जमाने में. दोनों को दिया जा सकता है- दिल्ली पुलिस चाहे केंद्रीय गृह मंत्रालय के मातहत हो!

Advertisement. Scroll to continue reading.

सौजन्य : फेसबुक

इसे भी पढ़ें-

Advertisement. Scroll to continue reading.

दिल्ली पुलिस का इक़बाल ख़त्म हो जाएगा, सुप्रीम कोर्ट से लेकर साकेत कोर्ट तक के जज क्यों चुप हैं? : रवीश कुमार

कन्हैया कुमार से कचहरी में मारपीट करने वाले वकील को तब राजनाथ ने आशीर्वाद दिया था, देखें तस्वीर

https://youtu.be/pZp37521XN8
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement