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पत्रिका अखबार का मुंबई संस्करण चोरी-चुपके से किया गया बंद, 25 मीडियाकर्मी हुए बेरोजगार

राजस्थान पत्रिका समूह के लोग पत्रिका अखबार के मुंबई संस्करण का बोरिया-बिस्तर बांधकर राजस्थान की ओर रवाना हो गए हैं। बिना किसी को सूचना दिए ही अखबार का मुंबई संस्करण बन्द कर दिया गया।

कोरोना जैसी महामारी के बीच अचानक अखबार बंद किए जाने से संपादकीय विभाग के 25 कर्मचारियों को झटका लगा है। कोरोना काल में इनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है।

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लॉक डाउन लागू होते ही पत्रिका अखबार के अंधेरी का कार्यालय बन्द कर दिया गया। इसके बाद कंपनी ने परमानेंट स्टाफ रोहित तिवारी (सब एडिटर) ,सुभाष गिरी, नागमणि पांडे, अरुण लाल यादव, धीरज सिंह, दिनेशलाल, वसन्त मौर्या, बोहरा आदि को बिना सूचित किए ही बोरिया-बिस्तर बांधा और राजस्थान चल दिए।

बताया जाता है कि सूरत से मुंबई ट्रांसफर होकर आए विनोद पांडे का तबादला अहमदाबाद कर दिया गया है। मुंबई के संपादक सिद्यार्थ भट्ट पहले ही गमछा समेटकर जयपुर रवाना हो गए थे। रोज की तरह 1 अगस्त को भी रिपोर्टरों ने कामकाज से संबंधित मेल भेजना शुरू किया तो पता चला पत्रिका अखबार के मालिकों के इशारे पर मैनेजरों ने मुंबई से बोरिया-बिस्तर बांधकर राजस्थान के लिए कूच कर चुके हैं।

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लॉक डाउन में अखबार बन्द करने की सूचना किसी को नहीं दी गई। स्थानीय लेबर कमिश्नर अथवा पुलिस विभाग तक को अखबार बंद किए जाने की कोई अग्रिम सूचना नहीं दी गई।

राजस्थान पत्रिका प्रबंधन की इस ओछी और पत्रकार विरोधी हरकत से खफा मीडियाकर्मियों ने फैसला लिया है कि वे अदालत जाएंगे और पत्रिका समूह से अपना हक लेंगे.

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