लखनऊ : मंत्री आज़म खान के निजी ट्रस्ट को सौंपे गए जौहर अली शोध संस्थान के सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा दायर परिवाद में लोकायुक्त एन के मल्होत्रा ने जहां यह कहा है कि वह मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के निर्णय की जांच नहीं कर सकते हैं, वहीँ उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता शिकायती पट्टा निरस्त कराने और दोषी अधिकारियों को दण्डित कराने के लिए सक्षम न्यायालय जा सकती है.
लोकायुक्त ने अपनी जांच में बताया कि यह प्रकरण मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा रामपुर में 10 दिसंबर 2012 में की घोषणा से प्रारंभ हुआ था. आदेश में कहा गया है कि आज़म खान ने पत्रावली पर पृष्ठांकन किये लेकिन मंत्रिपरिषद द्वारा निर्णय लेने के बाद उनकी संस्तुति उसी में विलीन मानी जायेगी. डॉ ठाकुर ने कहा है कि अब वे इस मामले को सक्षम प्राधिकारी के सामने ले जायेंगी.