समाचार एजेंसी भाषा की खबर के मुताबिक बालाकोट चैट मामले में अर्नब गोस्वामी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने कहा है कि सरकार कार्रवाई के लिए कानूनी राय ले रही है. कुछ दिनों पहले अर्नब और बार्क के पूर्व सीईओ के बीच हुई चैट लीक हो गई थी. चैट के मुताबिक, गोस्वामी को 2019 में हुई बालाकोट स्ट्राइक के बारे में जानकारी थी. इसी बालाकोट स्ट्राइक से जुड़ी चैट के मामले में ऐक्शन को लेकर महाराष्ट्र सरकार कानूनी राय ले रही है. सरकार राय ले रही है कि क्या इस बातचीत को लेकर अर्नब के खिलाफ ऑफिशल सीक्रेट्स ऐक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से यह भी जानना चाहा है कि गोस्वामी को (बालाकोट हवाई) हमले के बारे में संवेदनशील जानकारी मिली कैसे? गृह मंत्री देशमुख ने कहा, ‘वॉट्सऐप बातचीत से चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि वास्तविक घटना से तीन दिन पहले अर्नब को बालाकोट हवाई हमले की जानकारी थी।’ मंत्री ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार से पूछना चाहते हैं कि गोस्वामी को हमले के बारे में इतनी संवेदनशील जानकारी कैसे मिली, जो केवल प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और कुछ चुनिंदा लोगों के ही पास होती है।’ उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और केन्द्र सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए। देशमुख ने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार इस संबंध में कानूनी राय ले रही है कि क्या राज्य का गृह विभाग सरकारी गोपनीयता कानून, 1923 के तहत इस मामले में कार्रवाई कर सकता है।’
इसी प्रकरण पर पत्रकार Soumitra Roy की टिप्पणी पढ़ें–
महाराष्ट्र सरकार कानूनी राय ले रही है कि क्या चैटगेट को लेकर अर्नब के खिलाफ ऑफिशल सीक्रेट्स ऐक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है?
मैंने पहले ही लिखा था कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून, 1923 के तहत कार्रवाई हो सकती है।
मैं फिर कह रहा हूं कि जिस दिन अर्नब सच उगलेंगे, उस दिन या तो वे नहीं बचेंगे या फिर नरेंद्र दामोदरदास मोदी और राजनाथ सिंह।
अमित मिश्रा जी के ट्विटर एकाउंट से जानकारी मिल रही है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए चैट लीक कांड के आरोपी (नाम जगजाहिर है) बीजेपी नेताओं से लगातार मदद मांग रहे हैं।
लेकिन हर बार उन्हें “हम बताते हैं” का जवाब मिल रहा है।
कल से उनका फ़ोन भी नहीं उठाया जा रहा है।
देखते है अब बीजेपी के दूसरी पंक्ति वाले नेता उन्हें कितना बचा पाते हैं।
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