Sanjaya Kumar Singh-
कानपुर में एक कारोबारी के घर से बरामद 177 करोड़ रुपए की नकदी को टर्नओवर की रकम माना गया है। तकनीकी रूप से यह कितना सही और कितना मुमकिन है इसकी बात किए बिना यह जरूर कहा जा सकता है कि मामला छापे के नाम पर कारोबारियों को परेशान करने का है।
अगर कानूनन ऐसा संभव है और विभागीय तौर पर इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो सरकार को चाहिए कि कानून बनाकर छापे जैसी कार्रवाई बंद करे। अगर इतनी बड़ी नकदी में कुछ गत नहीं है तो कुछ लाख या करोड़ को गलत कहने का अधिकार किसी को नहीं है। और जिसे यह अधिकार मिलेगा वह बेईमानी कर सकता है।
कहने की जरूरत नहीं है कि अधिकारी (और अब सरकार भी) कारोबारियों से वसूली करती है। अगर इस मामले में किसी कार्रवाई की जरूरत नहीं है और कारोबारी के खिलाफ या छापा मारने वाली टीम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है तो सब कुछ बेकार है। पूरी व्यवस्था चौपट है। सरकार पर कारोबारों को ब्लैकमेल करने के आरोप में दम है और सरकारी धन व समय का दुरुपयोग है।
कहने की जरूरत नहीं है कि यह नामुमिकन इसलिए मुमकिन हुआ लगता है कि कारोबारी पीयूष जैन का समाजवादी पार्टी या पार्टी के एमएलसी से संबंध नहीं है। ऐसे में बहुत संभावना है कि वह भाजपा का समर्थक हो या बना लिया जाए। यह तभी संभव है जब उसे आर्थिक नुकसान न हो और उसे अपराधी साबित नहीं किया जाए।
रोहिनी सिंह का ट्वीट है कि एक जैसा नाम होने के कारण गलत कारोबारी के यहां छापा पड़ गया। छापा समाजवादी पार्टी वाले के यहां पड़ना था और पड़ गया जुमला पार्टी वाले के यहां। अब उसे बचाने के लिए जुमले गढ़े जा रहे हैं।
Tera jeeja
December 30, 2021 at 7:09 pm
O land reporter bhosdi ke tu khud kisi party ka
Paltu suar lag raha hai