‘मुंगेर में प्रभात खबर की कॉपियां फूंकी जा रही है‘ शीर्षक से भड़ास पर श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट को देखने का अवसर मिला और इसके पीछे के सच को तलाशने की कोशिश एक पत्रकार निगाह से मैंने की. रिपोर्ट में जिस छाया चित्र का इस्तेमाल किया गया है, वे स्वयं इस बात का गवाह है कि इसमें दल के लोग शामिल नहीं हैं. बल्कि यह स्वयं उसका अभियान है और इसे वही पत्रकार तूल दे रहे हैं जिसे काफी पहले चुनाव के दौरान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के तत्कालीन उपनिदेषक सुरेश पांडेय ने दूसरे के प्रेस प्राधिकार पत्र पर घूमते हुए पाया था.
मामला चारसौबीसी का ही था. पुलिस के हवाले करने की बात हो रही थी. लेकिन लिखित माफीनामा के पश्चात उन्हें छोड़ा गया. यह सच है कि इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और वर्तमान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ-साथ जदयू के कई नेताओं ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. कारण सिर्फ एक था कि आपराधिक किरदार के कार्यकर्ताओं को मदद करने से शासन और प्रशासन के बीच गलत संदेश जाता है.
मुंगेर के पुलिस अधीक्षक वरूण कुमार सिन्हा ने पूरे प्रकरण की जांच मुंगेर रेंज के आरक्षी महानिरीक्षक के निर्देश पर अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार सिंह से करवायी और उसकी रिपोर्ट 26 जून को ही समर्पित की जा चुकी है. लेकिन 21 अक्तूबर के पोस्ट में संघर्षशील पत्रकार कृष्णा प्रसाद ने सारे तत्वों को दर किनार कर न सिर्फ भडास डॉट कॉम को दिग्भ्रमित किया बल्कि इससे दिलचस्पी रखने वाले तमाम लोगों को गुमराह भी किया. एएसपी के पत्रांक 1892 दिनांक 24 जून 2014 के माध्यम से जांच के दौरान नरेंद्र कुशवाहा को इस कांड में दोषी माना और पुलिस ने 30 जून को आरोप पत्र संख्या 109/13 के माध्यम से अभियुक्त नरेंद्र के विरूद्ध शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1 बी) ए/26 के तहत न्यायालय में चार्ज शीट सबमिट किया है. अब यह मामला न्यायालय में है. इस परिस्थिति में एक पत्रकार द्वारा आरोपी को प्रोत्साहित कर अखबार जलवाने की घटना कहां तक सही है. आरोप पत्र की प्रति एवं एएसपी की रिपोर्ट इस खबर के साथ संलग्न है.
मनोज सिन्हा की रिपोर्ट. संपर्क : manojphotovision@gmail.com
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