नई दिल्ली: महुआ चैनल के मालिक पीके तिवारी यानि प्रबोध कुमार तिवारी को सात साल का अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने के लिए दिल्ली की एक अदालत ने चार साल के कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने इसे आर्थिक अपराध बताते हुए कहा कि यह कर चोरी और काले धन के दायरे में आता है.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट देवेंद्र कुमार शर्मा ने दोषी प्रबोध कुमार तिवारी को कैद की सजा के साथ ही उन पर 13 लाख रपये का जुर्माना भी किया है. अदालत ने कोर्ट में मौजूद तिवारी को सजा काटने के लिए उन्हें हिरासत में ले लिया. तिवारी महुआ मीडिया के निदेशक हैं. अदालत ने सामाजिक एवं आर्थिक अपराधों पर मुकदमा और दंड पर विधि आयोग की 47 वीं रिपोर्ट का उल्लेख किया. उसमें कर चोरी के अपराध के पहलुओं पर चर्चा की गई है और इसे ‘व्हाइट कॉलर’ अपराध बताया गया है.
अदालत ने कहा, ‘‘यह कहा जाता है कि कर चोरी जैसे मामलों में पीड़ित राज्य होता है और अपराधी के काम करने का तरीका धोखाधड़ी का है, न कि बल का, और इस तरह के अपराध का कृत्य जानबूझकर किया जाता है.’’
तिवारी को छह शिकायत वाले मामलों में चार साल का साधारण कारावास और दो लाख रपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई जबकि एक शिकायत के संबंध में उन्हें दो साल के कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई.