राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले (वर्ल्ड बुक फेयर) में पीएम युवा ऑथर्स के इंट्रैक्टिव सेशन में ‘राष्ट्र निर्माण में लेखकों की भूमिका’ पर भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने संबोधन दिया.
उपेंद्र राय ने युवाओं को पुस्तकों का महत्व समझाते हुए कहा, ‘किताबें हमें बहुत कुछ सिखाती हैं, समझाती हैं. कहने वालों ने कहा भी है कि हजार पन्ने पढ़िए. तब एक पन्ना लिखिए…और लिखिए जरूर. यदि कुछ लिखने को नहीं बनता है तो अपनी दैनिक दिनचर्या ही लिखिए. बहुत गहराई से अपने किसी करीबी मित्र के बारे में जिसको आप चाहते हैं या जिसको आप नहीं चाहते हैं. दोनों के बारे में आप थोड़ा बहुत लिखिए. और उसको किसी को मत दिखाइए. एक हफ्ता जब बीत जाए तो उसको आप खुद पढ़िए. पढ़ने के बाद उस पर चिंतन-मनन कीजिए. चिंतन-मनन करने के बाद आगे बढ़िए.’
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि, ‘पश्चिम में 1453 में इस्तांबुल में (दो महाद्वीपों में स्थित दुनिया का एकमात्र शहर) जो यूरोप एशिया का मीटिंग पॉइंट है, जब रोमन एम्पायर ने उस पर कब्जा कर लिया तो जितने ग्रीस के स्कॉलर थे..उस वक्त वहां से किताबों को लेकर कोई रोम के लिए..कोई मिलान के लिए निकला. उसके बरसों बाद वहां इटली के लोगों को, यूरोप के लोगों को उन किताबों को पढ़ने का मौका मिला और उनको पढ़ने के बाद यूरोप में नव-जागरण आया. आगे चलकर जब फ्रांसिसी क्रांति हुई तो उसके सूत्रधार वाल्तेयर और रूसो थे जो किताबों को तकिए के नीचे रखकर सोते थे. किताबों ने कैसे सभ्यताएं बदली हैं..कैसे देश बदले हैं…कैसे सीमाएं बदली हैं…इसको आप किताबों को पढ़ते वक्त समझते होंगे. जानते भी होंगे. महसूस भी करते होंगे.’
‘राष्ट्र निर्माण में लेखकों की भूमिका’ इंट्रैक्टिव सेशन में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय ने पुस्तकों के महत्व पर जोर दिया।