Puneet Sharma : प्रशांत कनौजिया की रिहाई तक मैं चुप था। अब मैं कहना चाहता हूँ कि वो पोस्ट एक पत्रकार के लिहाज़ से काफ़ी घटिया थी। मैंने उनके और भी स्टेटस देखे और उनमें से बहुत से मुझे काफ़ी छिछली भाषा से भरे हुए लगे। आप सरकार के विरोध में लिखते हैं इसका ये मतलब नहीं है कि आप भद्दे और छिछले हो जाएँ। सबसे बुरे अपराधी के बारे में लिखते हुए भी या किसी बात का मज़ाक उड़ाते हुए भी आपको भाषा का ध्यान रखना होगा, वरना आप मेरे लिए उन्हीं लोगों की कतार में खड़े दिखेंगे, जो समाज को बर्बरता की तरफ़ ले जा रहे हैं।
Vikash Singh : भाई देखो बात सीधी है…यूपी में पत्रकारों की गिरफ्तारी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के निम्न विचार का प्रतीक था…क्योंकि जब आप उच्च पोजिशन पर होते हैं तो आपको छोटे-मोटे लोगों की छोटी-मोटी हरकतों को नजरअंदाज करके चलना पड़ता है…जो योगी जी ने दुर्भाग्य से नहीं किया…और मैं खुद योगी जी में परिपक्वता की कमी महसूस करता हूं…जो उनके छवि को नुकसान पहुंचा रहा है…योगी जी को मोदी जी से कुछ सीखना चाहिए…जिनके खिलाफ 10 सालों तक आलोचना की आड़ में किस हद तक निम्नतम स्तर पर जाकर अभियान चलाया गया…यहां तक की सर कलम करने जैसी धमकी तक भी दी गयी…जिसपर वो चाहते तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर सकते थे..लेकिन मोदी ने अपने आलोचना को ही अपना हथियार बनाया…और आज वो शिखर पर हैं…और योगी जी को भी बड़ी तादाद में लोग उस शिखर की बढ़ते हुए देखना चाहते हैं..ऐसे में उन्हें परिपक्वता दिखानी पडे़गी…
लेकिन दूसरी तरफ पत्रकारों को भी किसी खराब साबित करने के लिए घटिया स्तर पर नहीं उतरना चाहिए…कम से कम किसी के चरित्र पर तो बिना किसी ठोस वजह के अफवाह उड़ाने जैसी निचले स्तर पर नहीं जाना चाहिए…लेकिन दुर्भाग्य से पत्रकारों का एक समूह किसी खास एजेंडे के तहत किसी का विरोध करने के लिए वो किसी भी हद तक जाने के लिए उतावले दिखते हैं…वो हर चीज में अपने एजेंडे का उल्लू सीधा करने में लग जाते हैं…हद तो ये है कि किसी के चरित्रहनन, गाली-गलौच, धमकी और लफंगई जैसी ओछी हरकतों को भी अधिकार मान लिया गया है…जो समाज के लिए खतरनाक है…
युवा पत्रकार द्वय पुनीत शर्मा और विकास सिंह की एफबी वॉल से.
madan kumar tiwary
June 12, 2019 at 7:33 pm
यह प्रशांत वही न जिसकी मेहरिया उच्चतम न्यायालय गई बेल लाने ? सर जी बहुत थर्डग्रेड का जोकर है वह ,नियमतः उसके ऊपर एकाध सौ केस बीजेपी कार्यकर्ताओं को करना चाहिए , समझ मे आ जायेगा, मैंने वह वायरल वीडियो भी देखा है, प्रशांत वाला ट्वीट भी, ये घटिया लोग पत्रकारिता के पेशे में इसलिये है कि को8 नियामक संस्था हम वकीलों की तरह नही है अन्यथा इन सबका रजिस्ट्रेशन रदद् हो जाता
आशीष चौकसे
June 12, 2019 at 9:46 pm
योगी और मोदी दो अलग अलग व्यक्तित्व के लोग हैं। यूपी के CM ने वही किया जो उनका रवैया है स्वभाव है। एग्रेसिव प्लेयर को डिफ़ेंसिव गेम सूट नहीं करता। या तो आउट हो जायेगा या फिर ख़राब खेलेगा।