दैनिक जागरण के राजनैतिक संपादक प्रशांत मिश्रा पर यौन शोषण का आरोप

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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के करीबी और दैनिक जागरण के राजनैतिक संपादक प्रशांत मिश्रा पर यौन शोषण का आरोप लगाया गया है। आइर्एनएस में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी ने इस संबंध में संसद मार्ग थाने में जनवरी के पहले सप्ताह में एक तहरीर भी दी। इस महिला ने अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है। महिला की शिकायत पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने दैनिक जागरण के सीईओ और प्रधान संपादक संजय गुप्ता को इस शिकायत पर कार्रवाई कर आयोग को 15 दिनों में जवाब देने को कहा है।

एक पेज के शिकायती पत्र में महिला ने प्रशांत मिश्रा पर कई तरह के संगीन आरोप लगाए हैं। महिला का आरोप है कि प्रशांत मिश्रा उससे (शिकायतकर्ता) अपने व्यक्तिगत मेल पर अश्लीाल मेल मंगाकर पढ़वाते थे। इस तरह के मेल को डिलीट कर देने पर गुस्सा करते थे और अपने कमरे में बुलाकर अश्लील हरकत करते थे। महिला का हाथ तक पकड़ने का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि इस तरह की हरकत करने से मना करने पर उसे नौकरी से निकालने की प्रशांत मिश्रा दिया करते थे।

अपनी शिकायत में महिला ने कहा कि इसकी जानकारी सीएमडी, सीईओ सहित सभी वरिष्ठं अधिकारियों को उसने दी लेकिन प्रशांत मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई होने के बजाय उसे ही नौकरी पर न आने को कह दिया गया। गौरतलब है कि प्रशांत मिश्रा को प्रधानमंत्री के काफी करीब माना जाता है और 19 दिसंबर को जो प्रधानमंत्री राहत कोष में दैनिक जागरण की ओर से चार करोड़ रुपये दिए गए थे उसके लिए उन्होंने (प्रशांत मिश्रा) ही मालिकों को प्रधानमंत्री मोदी से मिलवाया था। इस मुलाकात के दौरान प्रशांत मिश्रा भी मालिकों के साथ ड्राफ्ट देने साथ गए थे।

दैनिक जागरण के अधिकारियों पर यह पहला अवसर नहीं है जब उनपर यौन शोषण का आरोप लगा है। इससे पहले कानपुर, नोएडा और पटना के कई संपादकों मैनेजरों पर यौन शोषण का आरोप लग चुका है। इस दौरान संस्थान में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार विशाखा समिति गठित करने की मांग उठती रही है लेकिन दैनिक जागरण के मालिकान को न तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की परवाह है और न ही देश के नियम-कानून की। उन्हें लगता है उनकी ऊंची पहुंच के कारण उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता।

फेसबुक पर मजीठिया मंच नामक पेज से साभार.

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Comments on “दैनिक जागरण के राजनैतिक संपादक प्रशांत मिश्रा पर यौन शोषण का आरोप

  • aise ghridit patrkaar ko kadi se kadi saja di jaani chahiye. unche pad par baithe aise log hi patrkaarita ko kalankit karate hain. sambandhit sanshthan ko bhi un par kadi karrvai karani chahiye anyatha uski chavi bhi kalankit hogi.

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  • patel dilip says:

    is sampadak ki ochi harkat ki jitani hi ninda ki jaaye vo kam hai. use tatkal giraftaar kiya jaana chahiye taaki samaj men ye snadesh jaa sake ki kanoon se koi bhi upar nahi hai. peedita ko tatkal nyay dilaya jana chahiye aur uski suraksha ki kadi vyavstha ki jaani chahiye taaki vo apni kanooni ladai theek se lad sake.

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  • haal naidunia says:

    #15 news naidunia 2015-04-01 15:29

    यशवंत भाई साहब, भड़ास को मजीठिया पर सारे अखबार कर्मियों की आवाज उठाने के लिये साधुवाद और आभार। यहां नईदुनिया में भी मजीठिया को लेकर एकजुटता नजर आने लगी है। नवदुनिया कर्मियों ने तो नोटिस थमा ही दिये हैं अब इंदौर की बारी है। दरअसल नईदुनिया में आनंद पांडे की सनक और उसके गुर्गों की गुंडई ने इस मुहिह का रंग चौखा कर दिया है। जो कभी मैनेजमैंट के पिट्ठू थे वे भी पांडे से आजिज आ कर हक की लड़ाई में साथियों के साथ आ जुटे हैं। पेश है अखबार में पांडे के पट्ठों की गुंडई के हाल- नईदुनिया में इन दिनों चाय से
    ज्यादा गरम केतलियों के चर्चे
    नईदुनिया में इन दिनों चाय यानि आनंद पांडे से ज्यादा गरम केतलियों के चर्चे हैं। हालत यह है कि इन केतलियों से यहां सभी तौबा करने लगे हैं।
    कोई भी बात हो तो ये केतलियां इस कदर मुंह से आग निकाल रही है कि इनकी चपेट से बच पाना नामुमकिन है।
    हाल ही में ऐसी ही फ्रंट पेज की केतली ने अपनी चपेट में प्रदेश के पेज पर सालों से काम कर रहे प्रदीप दीक्षित को अपनी चपेट में लिया। मनोज प्रियदर्शी नाम की इस केतली से ऐसा ताप निकला कि प्रदीप दीक्षित पर अब शायद प्यार का महंगा से महंगा मलहम भी असर नहीं करेगा। बात भी जरा सी थी, लेकिन जब सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का कि तर्ज पर एक खबऱ को लेकर सभी लोगों के बिच मनोज ने चिल्लाते हुए कहा कि इस अखबार में काम करने वाले सारे लोग गधे हैं। यहां काम करने वालों में न्यूज सेंस बिल्कुल नहीं है। जब प्रदीप ने कहा कि आप बताएं कौन सी खबर लगाना चाहिए तो मनोज ने कहा कि जब इतनी अकल नहीं है तो यहां क्या इतने सालों से झक मार रहे थे।
    बेचार प्रदीप की आंखों से आंसू निकल आए। पूरा स्टाफ हतप्रभ गया। सभी लोग इस घटना के बाद से और ज्यादा लामबंद हो गए।
    इस घटना को अभी कुछ ही दिन हुए थे कि यही केतली फिर से छलकी और इस बार चपेट में आए प्रदेश का ही पेज देख रहे जाने माने पत्रकार राजेंद्र गुप्ता। जी हां, राजेंद्र जी वही पत्रकार हैं, जिनकी तूती पूरे प्रदेश में बोला करती रही है। …लेकिन मनोज ने इनकी भी बोलती बंद कर रखी है। यहां भी मुद्दा खबर ही थी। एक निहायत ही लोकल खबर को लेकर मनोज की जिद थी कि इसे प्रदेश के पेज की लीड लगाई जाए। उन्होंने कहा कि मेरा पेज आप दो बार बदलवा चुके हैं और पेज का टाईम भी हो चुका है। इसके बावजूद मनोज का कहना था कि नहीं मैं इंचार्ज हूं। हर हाल में मेरी बात मानना पड़ेगी। जमकर तू-तू मैं-मैं हुई, लेकिन अंत में गुप्ता जी को झुकना पड़ा।
    इस केतली में उबाल कई बार आ चुका है। इससे प्रताड़ित होकर ही फ्रंट पेज से मधुर जोशी, उज्जवल शुक्ला संस्थान छोड़कर भास्कर का दामन थाम चुके हैं। वरिष्ठ जयेंद्र गोस्वामी इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। अन्यंत गंभीर और शालिन सीमा से यह अशालिनता कर चुका है।
    आगे और भी केतलियों का खुलासा होता रहेगा।…

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  • haal naidunia says:

    अपनी टुच्ची हरकतों के लिए मशहूर नईदुनिया इंदौर के संपादक आनंद पांडे ने एक और गिरी हुई हरकत की है। उससे सीधा पंगा लेने वाले नवीन और गजेन्द्र पर सैलरी रोकने का दबाव बनाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और उनसे जोर जबरदस्ती के बल पर माफीनामा लिखवा लिया। यहाँ तक भी ठीक है लेकिन उसने कमीनी हरकत करते हुए दोनों के माफीनामे नोटिस बोर्ड पे लगा दिए। दुर्व्यवहार के मामले में कुख्यात हो चुके पांडे इस हरकत की वजह से एक बार फिर नईदुनिया के साथ इन्दौरी मीडिया के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं । आगे आगे देखिये पांडे और क्या क्या हरकतें करतें हैं। वो अपने जाल में खुद ही फंसते चले जा रहे हैं।

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  • haal naidunia says:

    साथियों मैं दैनिक भास्कर मैं हूँ मुझे आनंद पांडे से अब कोई मतलब नहीं है लेकिन यहाँ इतने दिनों से पांडे जी के गुणों का बखान किया जा रहा है तो एक किस्सा मैं भी बताना चाहता हूँ। पांडे जी जब भास्कर भोपाल में संपादक हुआ करते थे तब एक न्यूज़ में भोपाल भास्कर अन्य पेपर से बुरी तरह पिटगया था। उस बात को लेकर कल्पेश जी बहुत गुस्सा हुए और हमारे प्यारे पांडे जी की पूरे न्यूज़ रूम के सामने लू उतार दी थी। इसकी खुन्नस पांडे जी ने स्टाफ पे निकाली। कुछ कर्मचारियों ने इसकी शिकायत सुधीर जी से की थी तब इनका ट्रान्सफर इंदौर कर दिया गया था। तो दोस्तों इस कहानी से तुम्हे क्या शिक्षा मिलती है? यही कि पांडे जी को खुन्नस निकालने और बदले में गाली खाने की पैदायशी आदत है।

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  • haal naidunia says:

    आनंद पांडे के खिलाफ इतने दिनों से जो चल रहा है वो बिलकुल सही है। वो दुर्व्यवहार करने में माहिर हैं। वो ये भी नहीं देखते की किसी महिला से बात कर रहे हैं। मेरे साथ भी यही हुआ। मैं उनके पास अपनी डेस्क बदलने के लिए गयी थी। किसी कारण मैं दूसरी डेस्क पे काम करना चाहती थी तो उन्होंने मुझे ये कहते हुए भगा दिया कि नौकरी आपकी सुविधा के हिसाब से नहीं बल्कि मेरी जरुरत के हिसाब से करना होगी। ठीक है अगर आप डेस्क नहीं बदल सकते कोई बात नहीं लेकिन बोलने का तरीका तो ठीक होना चाहिए। उन्हें महिलाओं से बात करने का लिहाज नहीं है। तानाशाह है पांडे। मैं चाहती तो उसके मुंह पे जवाब देती लेकिन मैं उसके जैसी गिरी हुई नहीं हूँ।

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  • haal naidunia says:

    Ye hakikat hai ki in dino naidunia mai hadkammp macha hoa hai. Ye sab aanand sir aur unki team k aane se hoa hai, kyoki hum 60 saal poorane us akhbaar ko doobane aur uske taboot mai aakhiri khil thaukane aaye hain. Jo kabhi patrakarita ka viswavidhyala mana jata tha. Jis akhabaar mai rajendra mathur se lekar shrawan garg jaise sammpadk rahe ho, wahan aane ki aanand sir ki aukaat nahi thi. Par billi k bhagya se chika toota aur jagaran smooth ki sabse badi galati we aanand sir ko yahan baitha diya gayyaa. Ab hum tho wahi kaam karenge na John hame saupa gaya ho. Iske liye hamane yahan sallon we sewa de rahe pratibhasali aur vafadaar logon ko sabse pahale bahar kar apane aadamiyo ko lana shuru kar diya. Jab tak jagaran mgnmt ko yah baat samajh mai aayegi hum is 60 saal poorane akhabaar ko dooba denge. Aapko yakin na ho tho mera aur mere malik ka record dekh len, 2 saal mai hum har jagah se Maal koot kar aur wahan ka battha baitha kar nikal lete hain. Yahan bhi sanjay gupt dekhate rah jaayenge, kyoki aankh band kar unhone ucche pad aur viatan par rakh liya hai, jisske hum katai kaabil nahi hain. Haan mai sweekar karta hon sir ne aate hi arvind tiwari ko niptaya, kyoki press club mai apne guru hradyesh dixit ki tajpooshi mai rooda bane arvind ko kamjor kiya ja sake. Press club k salana 2-3 crore k budget par hamari nazar hai. Phir saare samikaran samajhane wale vinod purohit ko niptaya. Ab hamari rah aasan hai…. Shesh charcha agali baar.

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  • haal naidunia says:

    मयंक और विनोद नाम से पोस्ट डालने वाले चाटूकार और मूर्ख मनोज-प्रमोद-नित िन एक कहानी सुनो- कुछ नन्हीं चींटीयां (नईदुनिया की तमाम टीम)रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम अपना काम समय पर करती थी…..

    वे जरूरत से ज्यादा काम करके भी खूब खुश थी…….

    जंगल के राजा शेर (वैसे पांडे गीदड़ है, क्योंकि शेर कभी खुद की टीम नहीं लाता) नें एक दिन चींटीयों को काम करते हुए देखा, और आश्चर्यचकित हुआ कि चींटीयां बिना किसी निरीक्षण के काम कर रही थी……..

    उसने सोचा कि अगर चींटीयां बिना किसी सुपरवाईजर के इतना काम, कर रही थी तो जरूर सुपरवाईजर के साथ वो अधिक काम कर सकती थी…….

    उसनें काक्रोच (मनोज तुझे)को नियुक्त किया जिसे सुपर्वाईजरी का 10 साल का अनुभव था, और वो रिपोर्टों का बढ़िया अनुसंधान करता था …..

    काक्रोच नें आते ही साथ सुबह आने का टाइम, लंच टाईम और जाने का टाईम निर्धारित किया, और अटेंडेंस रजिस्टर बनाया…..

    उसनें अपनी रिपोर्टें टाईप करने के लिये, सेकेट्री (नितिन तू)भी रखी….

    उसनें मकड़ी (प्रमोद तू-फर्जी खबरें देने वाले, क्या उखाड़ा सीबीएससी की खबरों से, रोज नईदुनिया की हंसी उड़वाई)को नियुक्त किया जो सारे फोनों का जवाब देता था और सारे रिकार्डों को मेनटेन करता था……

    शेर (गीदड़)को काक्रोच की रिपोर्टें पढ़ कर बड़ी खुशी हुई, उसने काक्रोच से कहा कि वो प्रोडक्शन एनालिसिस करे और, बोर्ड मीटिंग (कोर टीम के नाम पर चरण वंदन)में प्रस्तुत करने के लिये ग्राफ बनाए……

    इसलिये काक्रोच को नया कम्प्यूटर और लेजर प्रिंटर खरीदना पड़ा………

    और उसनें आई टी डिपार्टमैंट संभालने के लिए मक्खी (जो अभी सिटी टीम को तलने के लिये लाने के लिये हाथ पैर मार रहा है)को नियुक्त किया……..

    चींटी जो शांति के साथ अपना काम पूरा करना चाहती थी इतनी रिपोर्टों को लिखकर और मीटिंगों से परेशान होने लगी…….

    शेर (गीदड़)ने सोचा कि अब वक्त आ गया है कि जहां चींटी काम करती है वहां डिपार्टमेंट का अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिये….

    उसनें झींगुर (ये भी मनोज तू ही है, पांडे की बेअकली के मजे तो तू ही ले रहा है ना)को नियुक्त किया, झींगुर ने आते ही साथ अपने आॅफिस के लिये कार्पेट और ए.सी. खरीदा…..

    नये बाॅस झींगुर को भी कम्प्यूटर की जरूरत पड़ी और उसे चलाने के लिये वो अपनी पिछली कम्पनी में काम कर रही असिस्टंेट (इस्तीफों की बाढ़ के बाद फटे में चूतियों की भर्ती अधिक दाम पर करने की कोशिश)को भी नई कम्पनी में ले आया………

    चींटीयां जहां काम कर रही थी वो दुःख भरी जगह हो गयी जहां सब एक दूसरे पर आदेश चलाते थे और चिल्लाते रहते थें……

    झींगुर ने शेर (गीदड़) को कुछ समय बाद बताया कि आॅफिस मे टीमवर्क कमजोर हो गया है और माहौल बदलने के लिए कुछ करना चाहिये……

    चींटीयों के डिपार्टमेंट की रिव्यू करते वक्त शेर (गीदड़) ने देखा कि पहले से उत्पादकता बहुत कम हो गयी थी…….

    उत्पादकता बढ़ाने के लिये शेर (गीदड़) ने एक प्रसिद्ध कंसलटेंट उल्लू (बस आएंगे कुछ और चूतिये) को नियुक्त किया…….

    उल्लू नें चींटीयों के विभाग का गहन अघ्ययन तीन महीनों तक किया फिर उसनें अपनी 1200 पेज की रिपोर्ट दी जिसका निष्कर्ष था कि विभाग में बहुत ज्यादा लोग हैं….. जो कम करने की आवश्यकता है……

    सोचिये शेर (गीदड़) ने नौकरी से किसको निकाला….???
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    नन्हीं चींटीयों को
    क्योंकि उनमें “नेगेटिव एटीट्यूड, टीमवर्क, और मोटिवेशन की कमी थी…….“
    इसे कहते हैं पांडे (गीदड़) की मैनेजमेंटगिरी

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  • haal naidunia says:

    भडास फॉर मीडिया। नईदुनिया इंदौर मे स्टेट एडिटर के अभद्र बर्ताव और संस्थान का माहोल खराब करने के खिलाफ रिपोर्टर फोटोग्राफरो ने अनोखा विरोध शुरू कर दिया है। लगातार हो रही दुर्व्यवहार की घटना के बाद गुरूवार शाम से सभी रिपोर्टर फोटोग्राफरो ने अपने वाट्स एप dp मे विरोध का ब्लैक डॉट लगा लिया। सिटी के साथ पुल आउट और फिर डेस्क के लोग भी विरोद मे शामिल हो गए। पाण्डेय और उनके द्वारा बिठाए गए मुर्ख लोगो के खिलाफ नईदुनिया का स्टाफ एक जुट हो गया है। विरोध अभियान के अगले चरण मे कर्मचारियों ने पाण्डेय को सबके बिच आइना दिखाने का मन बना लिया है। इन्तजार हो रहा है की पाण्डेय या साथी अभद्रता करे और नईदुनिया के लोग उन्हें सरेआम आइना दिखाए। दरअसल रिपोर्टरों ने पाण्डेय के पुराने कारनामो की लिस्ट भी जुटा ली है। तिन दिन पहले पाण्डेय अपने आका प्रदेश टुडे के मालिक हृदयेश दीक्षित का बड़ा फोटो एक इवेंट के नाम पर छाप चुके है। इस फोटो को पाण्डेय ने खुद दीक्षित से मंगवा कर छापा। इसके लिए देर रात पेज तुडवाया गया। और तो और दुसरे दिन फिर से उस खबर को छापा गया। नईदुनिया का नमक खा रहे पाण्डेय की इस नमक हरागमी को ग्रुप मेनेजमेंट के सामने रखने वाले है। पाण्डेय के एक गुर्गे ने महिला पत्रकार से बदतमीजी की थी। पाण्डेय रिपोर्टरों को सरेआम कुत्ता और मदारी का बन्दर भी बोल चुके है। इस सब को मुद्दा बना कर अचानक कलम बंद करने का मौका ढूंढा जा रहा है। पहले से परेशान ब्यूरो और डॉक के सेण्टर भी इस से जुड़ गए है। सूत्रों के मुताबिक़ भास्कर के कुछ लोग पाण्डेय विरोध की इस मुहीम मे पुराने कर्मो का असलाह बारूद मुहेया करवा रहे है। इन्तजार कीजिये नईदुनिया मे सुलग चुके विरोध के बड़े धमाके मे बदलने का।..bhadas4med ia. co

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  • haal naidunia says:

    #4 pankaj 2015-03-13 21:30

    नईदुनिया इंदौर में आनंद पांडे के कारण फैली अराजकता के विरोध में पूरा स्टाफ एकजुट हो गया है। कई कर्मचारियों ने अपने व्हाट्स एप प्रोफाइल में ब्लैक डॉट लगा लिया है। जल्द ही पांडे के इस्तीफे की मांग की जाएगी।

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    +28#3 rashmi 2015-03-13 19:47

    इसमें कोई शक नहीं कि आनंद पांडे बेहद बदतमीज किस्म का इंसान है। मैं रायपुर में रहती हूँ और अभी अभी पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया है। मैंने वहां दैनिक भास्कर में जॉब के लिए अप्लाई किया था। मुझे ऑफिस से इंटरव्यू के लिए कॉल आया। मैं जब वहां पहुची तो मेरा सामना आनंद पांडे नाम के शख्श से हुआ। उसने फ्रेशर कहते हुए मेरा मजाक बनाया। भाई जॉब मत दो लेकिन किसी की खिल्ली तो मत उड़ाओ। मैं उसके मुह पे जवाब दे के आई थी कि एडिटर बनने की औकात नहीं नहीं है आपकी।

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  • haal naidunia says:

    उतरने लगी आनंद की मेहंदी,
    दबाव में लगातार गलत निर्णय
    कर रहे हैं पांडे

    भास्कर से हाल ही में बड़ी उम्मीद से इंदौर नईदुनिया में लाए आनंद पांडे की मेहंदी उतरने लगी है… ऊंची और बड़ी बातों से अपनी मार्केटिंग कर रहे पांडे नईदुनिया में आ तो गए पर काम के दबाव से दो ही महीनों में सांसे फूलने लगी है… पांडे के दबाव में आने की एक बड़ी और है… गलत साथियों का चयन… पांडे के साथ रायपुर भास्कर में काम कर रहे मनोज प्रियदर्शी को मोटी सेलेरी देकर नईदुनिया लाया गया… भाषा ज्ञान और अंग्रेजी में कमजोरी के बावजूद उन्हें सेंट्रल डेस्क का प्रभारी बना दिया… स्वाभाविक था प्रतिभाशाली लोग परेशान होने लगे… भरे संपादकीय हॉल में जब सेंट्रल डेस्क के वरिष्ठ सहयोगी सचींद्र श्रीवास्तव ने मनोज को उनके कमजोर न्यूज सेंस पर आईना दिखाया तो पांडे के प्रिय पात्र प्रियदर्शी हत्थे से उखड़ गए… दोनों में जमकर तू-तू मैं-मैं हुई… सचींद्र तब और दुखी हो गए जब बेकसूर होने के बाद भी पांडे ने उन्हें आड़े हाथ लिया… अच्छे लोगों पर नजरें जमाए बैठे भास्कर ने मौके का फायदा उठाया और काम के जानकार सचींद्र को तुरंत ऑफर दे दिया… सचींद्र ने भी जमकर शॉट मारा, पद और पैसे में प्रमोशन के साथ अपना भाग्य भास्कर से जोड़ लिया… ऐसी ही कहानी उज्ज्वल शुक्ला की है… पंडित जी ने पिछले 10 सालों से नईदुनिया से नाता जोड़ रखा था… पांडे परिवार से सार्वजनिक भिडंत होने के बाद उन्होंने सधा हुआ वक्तव्य जारी किया – यदि हाड़तोड़ मेहनत के बाद जिल्लत ही सहनी हो तो ज्यादा पैसे व बड़े पद के ऑफर को क्यों ठुकराया जाए… नईदुनिया सेंट्रल डेस्क पर ऑनलाइन एडिटिंग-पेजमेकि  ंग का यह आजमाया खिलाड़ी अब भास्कर की ओर से बेटिंग कर रहा है… अब कहानी में थोड़ा आक्रामक घुमाव है… सेंट्रल डेस्क की पुरानी साथी सीमा शर्मा ने पांडे जी के पहियों से सीधा पंगा लिया… पूरे संपादकीय के सामने मनोज प्रियदर्शी का ऐसा पानी उतारा कि एकबारगी तो सभी को सांप सूंघ गया… सीमा ने तर्क के साथ अपनी बात भी रखी, तार्किक परिणाम भी निकाला… असर देखिए अब उनके नाम से, उनसे जुड़ी सारी बातें अपने आप सध जाती हैं… अब जोर का झटका धीरे से… नईदुनिया की मिट्टी में पले बढ़े मधुर जोशी ने सेलरी और थुक भरा तमाचा इस्तीफे के रूप में दे मारा… जोशी जी की सुबह अब भास्कर के उजाले में हो रही है… जानकारी के लिये बता दूं कि गजेंद्र मिटिंग से गालियां देकर नहीं गया। बस उसने पांडे की गालियां खाने से इंकार कर दिया और तमीज से बात करने की नसीहत दे डाली। जबकि पांडे को जूते लगाये जाने चाहिये थे। ऐसे ही जो जयेंद्र जी को जानता है वो सपने में भी नहीं सोच सकता कि वे गलती करें और उनको भाफी मांगना पड़े। एक मूर्ख और जाहिल को यदि किसी समझदार का हेड बनाया जाएगा तो समझदार जयेंद्र जी की तरह खुद को किनारे कर लेगा। गधे को घोड़े पर सवार होते देखना है तो अभी नईदुनिया आ जाओ।

    खुफिया विभाग पर पांडे खर्च कर रहे डेढ़ लाख रुपए महीना

    शोले का मशहूर पात्र हरिराम नाई आपको याद ही होगा… ठीक यही भूमिका में इन दिनों काम कर रहे हैं सेंट्रल डेस्क के मनोज प्रियदर्शी, सिटी डेस्क के नितिन शर्मा और रिपोर्टर प्रमोद त्रिवेदी… तीनों का कुल वेतन करीब डेढ़ लाख रुपए महीना है… लेकिन जिम्मेदारी है केवल सूचना संग्रह… कहां क्या हो रहा, कौन क्या कर रहा, किसने किससे कितनी देर क्या बात की, पल-पल के अपडेट पर नजर रखना और सीधे सिंहासन तक खुफियापंथी करना… जिम्मेदार पद-मोटा वेतन और काम केवल हरिराम नाई का… बस यही वजह है कि इन दिनों ये तीनों पूरी टीम के निशाने पर हैं… कोई आश्चर्य नहीं कि किसी दिन कोई सिरफिरा कोई बड़ी खबर दे दे…

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