Krishan Bhanu : पत्रकार प्रवीण राय को नमन! एक जुझारू और दमदार पत्रकार प्रवीण राय के असामयिक निधन की मनहूस खबर से मन-मस्तिष्क को कुछ देर के लिए मानो लकवा मार गया। शिमला से करीब दो सौ मील दूर धर्मशाला के कुछ पत्रकारों से प्रवीण की मौत का कारण जानना चाहा तो और भी झकझोर, झिंझोड़ देने वाले ऐसे कारण सुनने को मिले, जिन्हें मन सहज ही स्वीकार नहीं कर पा रहा है। प्रवीण जुझारू था, बला का साहसी था, दमदार था और अत्यंत विनम्र भी! वह कायर नहीं था, फिर यूं ही मौत को गले कैसे लगा लिया।
यदि मैं गलत नहीं, तो प्रवीण उम्र में मुझसे छोटा था। इकतीस साल पहले धर्मशाला से ‘हिमाचल केसरी’ साप्ताहिक अखबार निकाला। इस अख़बार का वह शून्य से लेकर शिखर तक अकेला ही सब कुछ था। मुख्य संपादक से लेकर हॉकर तक! विपरीत परिस्थितयों में प्रवीण ने हिमाचल केसरी को प्रदेश के साप्ताहिक अखबारी-जगत में शिखर तक पहुँचाया। न कभी थका, न कभी हारता हुआ दिखा। फिर वह अचानक ऐसे कैसे चला गया। जो सुना, उसपर यकीन ही नहीं हो रहा है। वह कलम का बहादुर सिपाही था। वह इस तरह आखिर मर कैसे सकता है।
प्रवीण मुझे हिमाचल केसरी डाक से भेजता था, लगातार। आखिरी अंक 14 जून को मिला। देखकर चौंका। यह धर्मशाला के स्थान पर पालमपुर से प्रकाशित था और प्रिंट लाइन में इसके संपादक प्रवीण राय नहीं, अभिमन्यु राय हैं। पालमपुर से छपने वाले हिमाचल केसरी का यह वर्ष 1 और अंक भी 1 ही था। लगा कि 31 वर्ष बाद हिमाचल केसरी का विस्तार हुआ है। मन प्रसन्न हुआ, लेकिन अब अचानक यह मनहूस खबर आ गई। मुझे अफ़सोस रहेगा प्रवीण, मैं इस विस्तार के बारे में बधाई देने की सोचता ही रह गया। बधाई के बहाने दुःख सामने आ जाता तो फिर तुम्हें मरने कौन देता।
इस दिलेर और जुझारू पत्रकार मित्र को भावभीनी श्रद्धांजलि! यकीन है कि तुम फिर आओगे, अपना अधूरा कार्य पूरा करने के लिए!
हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानु की एफबी वॉल से.