पुलिस गिरफ्त में भी हंस रहा है मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर
मुजफ्फरपुर के मूल निवासी वरिष्ठ पत्रकार कुमार हर्षवर्धन दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स जैसे संस्थानों में वरीय पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वे एक समय उसी प्रात:काल नामक अखबार में कार्यरत थे जिसके मालिक ब्रजेश ठाकुर व उनके करीबी सफेदपोशों पर चौंतीस बच्चियों से रेप का आरोप लगा है. हर्षवर्धन का कहना है कि वे करीब साल भर तक ब्रजेश ठाकुर के अख़बार प्रातः कमल में कार्यकारी संपादक रहे. उस दौरान ब्रजेश ऑफिस में ही कैसेट लाकर ब्लू फिल्म देखा करता था.
हर्षवर्धन के मुताबिक ब्रजेश ठाकुर के पिता राधामोहन ठाकुर की पत्रकारिता की शुरुआत साप्ताहिक विमल वाणी से हुई. वे हैण्ड कंपोजिंग कराकर उसे सिर पर लेकर पैदल ही दूसरे प्रेस में जाते थे. वे भी अय्याशी में सच में ब्रजेश के पिता थे. गोरखपुर रेलवे के अधिकारियों को शराब-शबाब के माध्यम से करोड़ों का विज्ञापन लेते थे. उसी की कमाई से उनकी संपत्ति बढ़ती गई. दिल्ली में भी पहाड़गंज में एक होटल खरीदने वाले थे. उसी होटल में रंगरेलियां मैंने खुद अपनी आँखों से देखा था. मुझे देख अपने साथ की 2 लड़कियों के बारे में बताया कि ये दिल्ली में मेरे अख़बार का काम देखती हैं. फिर होटल वाले को बोल दिया कि हर्षवर्द्धन जी से बिल नहीं लेना है और अपने साथ ही खिलाया-पिलाया.
सेक्स रैकेट के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के अलावा इस महापाप में बड़े-बड़े सफेदपोश शामिल हैं. अगर जाँच ढंग से हुई तो बिहार की सियासत में जलजला आना तय है. एक अदना सा व्यक्ति से अरबों में खेलने वाले ब्रजेश ठाकुर आखिर है कौन? ब्रजेश ठाकुर रहने वाला मुजफ्फरपुर का ही है. इसके पिता राधामोहन ठाकुर ने 1982 में मुजफ्फरपुर से एक हिंदी अखबार शुरू किया था.
इस अखबार का नाम था प्रात: कमल. राधामोहन ठाकुर की पत्रकारों के बीच अच्छी पहुंच थी. बिहार में छोटे अखबारों को शुरू करने वाले शुरुआती नामों में से एक नाम राधामोहन ठाकुर का भी था. धीरे-धीरे राधामोहन ठाकुर ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर अपने अखबार के लिए सरकारी विज्ञापन लेने शुरू कर दिए. इन विज्ञापनों से राधामोहन ठाकुर ने खूब पैसे बनाए और फिर उसे रियल स्टेट में लगा दिया.
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वो रियल स्टेट का शुरुआती दौर था, तो राधामोहन ठाकुर ने इससे भी खूब पैसे बनाए. जब पिता की मौत हो गई, तो विरासत संभालने का जिम्मा आया ब्रजेश ठाकुर पर. पैसे पहले से ही थे और पिता का रसूख भी था. इसलिए ब्रजेश के हाथ में कमान आते ही उसने रियल स्टेट के कारोबार से एक कदम आगे बढ़कर राजनीति में हाथ आजमाना शुरू कर दिया.
1993 में जब बिहार के एक चर्चित नेता आनंद मोहन ने जनता दल से अलग होकर अपनी पार्टी बिहार पीपल्स पार्टी बनाई तो ब्रजेश ठाकुर उसमें शामिल हो गया. 1995 में बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए, तो ब्रजेश ठाकुर मुजफ्फरपुर के कुड़हानी विधानसभा सीट से बिहार पीपल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ गया. हालांकि ब्रजेश कभी चुनाव नहीं जीत पाया। 2004 में बिहार पीपल्स पार्टी के मुखिया आनंद मोहन ने अपनी पार्टी का कांग्रेस के साथ विलय कर दिया. इसके बाद ब्रजेश ठाकुर के चुनाव लड़ने के रास्ते बंद हो गए. लेकिन ब्रजेश ठाकुर की आनंद मोहन से नज़दीकी बरकरार रही. इसके साथ ही राजद और जदयू के नेताओं के साथ भी ब्रजेश ठाकुर का उठना-बैठना जारी रहा.
जब आनंद मोहन को गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या में जेल हो गई, तो भी ब्रजेश ठाकुर आनंद मोहन से मिलने जेल में जाता रहा. इतना ही नहीं, जब-जब आनंद मोहन की जेल बदली हुई, ब्रजेश आनंद मोहन के साथ खड़ा दिखा.
इसी बीच ब्रजेश ठाकुर ने अपने अखबार प्रात: कमल का मालिक अपने बेटे राहुल आनंद को बना दिया. कागज़ात के मुताबिक ब्रजेश खुद उस अखबार में सिर्फ पत्रकार है. स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक 2005 में जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर में अपने घर बेटे राहुल आनंद के जन्मदिन की पार्टी दी. इस पार्टी में शामिल होने के लिए उस वक्त के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे थे. ब्रजेश के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि प्रात: कमल जैसे अखबार को भारी सरकारी विज्ञापन मिलने लगे और उसे बिहार सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त पत्रकार का तमगा भी मिल गया.
ब्रजेश ठाकुर के अंदर का सियासी कीड़ा मरा नहीं था. उसकी खुद की सियासी पारी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई, जिसके बाद उसने अपने बेटे राहुल आनंद को 2016 में जिला परिषद के चुनाव में कुड़नी से उतार दिया. चुनाव हुआ और राहुल आनंद ने जीत भी दर्ज कर ली. इसके बाद से लगातार ब्रजेश ठाकुर सेवा संकल्प एवं विकास समिति एनजीओ चलाता रहा, जिसमें बालिका गृह भी चलता था.
अब ये बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि ब्रजेश ठाकुर के बालिका गृह की 44 बच्चियों में से 34 बच्चियों के साथ रेप हुआ है. आठ बच्चियों की मेडिकल रिपोर्ट आनी बाकी है. दो बच्चियों की हालत ऐसी नहीं थी कि उनकी मेडिकल जांच करवाई जा सके. इसलिए उनका मेडिकल बाद में होगा. इस बालिका गृह में एक बच्ची की हत्या कर शव दफनाने की भी बात सामने आई है, जिसके लिए बालिका गृह की खुदाई की गई है और वहां की मिट्टी को जांच के लिए भेजा गया है.
डीजीपी केएस द्विवेदी के मुताबिक 2013 से 2015 के बीच इस बालिका गृह से चार बच्चियों के गायब होने की भी पुष्टि हो चुकी है. मामला अब सीबीआई के हाथ में जाने वाला है, जिसके बाद ब्रजेश ठाकुर जैसे और भी सफेदपोशों के नाम सामने आ सकते हैं.
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