विशाल त्रिपाठी-
मीडिया जगत की अभी तक खबरों को पढ़कर देखता था और सोचता था कि क्या कोई ऐसा भी कर सकता है? तब जहन में ये बात सटीक नहीं बैठती थी। वर्ष 2020 में कोरोना का भय व्याप्त था। संस्थान था ईटीवी भारत जिसने बिना कुछ बताए दूध की मक्खी की तरह दरकिनार कर दिया।
लगा कि ईश्वर ने कुछ और रचा होगा। जहां विश्व भर कोरोना से डर रहा था वहाँ मैं परिवार के पालन पोषण के लिए सोच रहा था। न कोई वायरस का भय था न किसी बीमारी की चिंता। 17 /5/2021 को एक राह दिखी जिसने बताया कि इस विषम परिस्थिति में वो हमारे व अन्य टूटे बेसहारा के साथ है। नया प्रोजेक्ट है। नाम है पब्लिक वाइब। संस्थान ने one india के नाम से ज्वाइनिग कराई और रोजगार दिया।
हालांकि उस वक्त तक लगा कि सब हवा हवाई है मगर 27 हजार के मासिक ज्वाइनिंग पर एक पत्र प्राप्त होने के बाद भरोसा जगा।लगा कि बात में सच्चाई है। संस्थान द्वारा कहा गया कि कम्यूटर नेट की व्यवस्था आवश्यक है। मगर कमजोर होने के चलते दोनों से अक्षम था। मगर पुनः विश्वास जगा जब चंद दिनों में बिना कार्य किए खाते में पैसे आ गए। अब तो लगा कि ईश्वर का वरदान मिल गया।
कार्य चला। उतार चढ़ाव हुए। अपने पराए के भेद खुलने लगे। मुंहलगों को तवज्जो और अन्य को सिर्फ कार्यप्रणाली का पाठ मिलने लगा।
कुल मिलाकर जिंदगी पटरी पर चलने लगी। खण्डहर मकान में रहते रहते जी भर गया तो लगा कि बैंक से सहायता लेनी चाहिए। ली गई और 2 लाख का क़र्ज़दार हो गया। मगर एकाएक बिना कुछ बताए बिना आगाह किए इस संस्थान ने वो कर दिया जिससे लगता है कि इससे तो बेहतर वो हत्या कर देता।
अचानक रोजगार छीन कर उस मोड़ पर ला खड़ा कर दिया जहां बैंक का जूता एक लाचार की चांद पर रखा है और मजबूरी चिंता में है कि इस बार किस तरह ईएमआई भरेंगे।
बद्दुआ है उस मालिकान को जिसने पूस की रात किसी भूखे को अंधेरे में घर से भगाया! आगे ईश्वर ने क्या लिखा नहीं जानता मगर इतना जान गया कि इससे गंदी भद्दी और ओछी लाइन कोई नहीं। यहां भावना इंसानियत मानवता का कोई महत्व नहीं। धन्यवाद one india। बाकी कहानी कार्य करने के दौरान भेदभाव की भी लंबी है। कुछ लोग आज संस्थान बंद होने के बाद चाटुकारिता कर कुछ बेहतर पाने की मानसिकता में हैं। देखते हैं वो कब तक सुखी रह पाते हैं।
मूल खबर-
मंगल कुशवाह
July 30, 2023 at 1:13 pm
हमारे साथ भी यही हुवा सालो से लगन के साथ काम कर रहे थे ।बेहतरीन व्वालिटी ओर ऑन the स्पॉट जाकर खबरे कवर कर लगा रहे थे ।जबकि व्हाट्सअप ग्रुप से खबरे करने वालो को रख लिया हिमे निकाल दिया ।वाह क्या सिन बनाया ,,चहैतो ने अपनी फ़ौज रख ली ।बाकी को बाहर का रास्ता दिखा दिया ।जो 2 से 4 दिन पुरानी यहां तक कि 1 महिने पुरानी खबरो को आज की बताकर लगाते है ।
वाह रे पब्लीक वाइब बहुत अच्छा सिला दे गया ।
Lekhraj sharma
July 30, 2023 at 5:54 pm
ऐसा ही मेरे साथ हुआ है की अक्टूबर 2021 में दी नोकरी और 27 जुलाई 2023 को निकाल दिया बिना कोई जवाब दिए कह दिया की आपको नोकरी से निकाल दिया गया है