Mithilesh Priyadarshy : तमाम हथियारों के अलावे सेना के पास एक और हथियार है ‘ओसा’ (ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट ). इसका प्रयोग सेना की जासूसी करने वाले लोगों पर किया जाता है. पर इसके अलावे ऐसे लोगों पर भी ‘ओसा’ लगाया जाता है जो सेना के भीतर के सड़ांध को ज़ाहिर करते हैं. पूनम अग्रवाल क्विंट की इनवेस्टीगेशन एसोसिएट एडिटर हैं. इन्होंने सेना में ‘सहायकों’ के दुरुपयोग पर एक स्टोरी की कि कैसे शांति वाले स्टेशनों पर भी आर्मी ऑफिसर के परिवारवाले जवानों से नौकरों वाले काम कराते हैं.
बस अपनी किरकिरी से बौखलायी सेना ने पूनम अग्रवाल के खिलाफ एक जवान को आत्महत्या के लिए उकसाने (दस साल तक की जेल) और ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट की धारा 3 (जासूसी) और धारा 7 के तहत मुकदमा लिखवा दिया. ‘क्विंट’ का कहना है, उन्होंने स्टिंग की खबर प्रकाशित प्रसारित करने में पीड़ित की पहचान को उजागर नहीं किया था न ही उसकी नौकरी खतरे में डाली थी…. बावजूद इस पूरे मामले में OSA के दुरुपयोग का मामला साफ है..
जेएनयू के रिसर्च स्कालर मिथिलेश प्रियदर्शी की एफबी वॉल से.