पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पत्रकार भावना गुप्ता के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया है। उन पर लापरवाही से गाड़ी चलाने और जातिवादी टिप्पणी के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। ये मामला मई 2023 का था।
दिल्ली की टीवी पत्रकार भावना गुप्ता, कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमिंदर को आईपीसी की धारा 279, 337, 427 और एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। हालांकि कोर्ट ने इन तीनों को बेल दे दी थी।
एफआईआर को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति जस्टिस अनून चितकारा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि याचिकाकर्ता को पीड़ित या उसके परिवार की जाति के बारे में कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं थी। ऐसे में कोर्ट यह बात नहीं मान सकती कि आरोपियों को पीड़ित की जाति या उसकी आदिवासी पहचान के बारे में कुछ पता था।
हाईकोर्ट ने कहा कि इसे साबित करने की जिम्मेदारी शिकायतकर्ता पर है। शिकायकर्ता और राज्य ने बताया कि याचिकाकर्ता को पीड़ित की जाति के बारे में पता था, फिर उनकी चुप्पी बहुत कुछ साबित करती है।
बता दें कि यह पूरा मामला गगन नामक व्यक्ति के बयान पर दर्ज हुआ था। गगन ने बताया था कि वो एसटी समुदाय से आता है। उसने आरोप लगाया था कि परमिंदर सिंह रावत नामक व्यक्ति कार चला रहा था। उसमें पत्रकार भावना गुप्ता और कैमरामैन मृत्युंजय कुमार बैठे हुए थें। गगन को कार से टक्कर मार दी गई जिसकी वजह से उसे चोटें आईं।
गगन ने एफआईआर में यह भी कहा कि पत्रकार भावना गुप्ता ने उसकी जाति को लेकर टिप्पणी भी की लेकिन भावना के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि गगन को वो जानती भी नहीं थी। ये अचानक से हुई दुर्घटना थी।
हाईकोर्ट ने तमाम तथ्यों पर गौर करते हुए एफआईआर और उसके बाद की सभी कानूनी कार्यवाही रद्द कर दी। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सिर्फ इस बात से कोई अपराधी नहीं हो जाता कि सूचना देने वाला एससी एसटी समुदाय से आता है। बिना जांच किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।