बागेश्वर के दूरस्थ क्षेत्र कपकोट में प्रदेश सरकार द्वारा एक भव्य कार्यक्रम किया गया। इस कार्यक्रम को नाम दिया गया चेली ब्वारी महोत्सव। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम का उद्धघाटन किया था। दो चार घंटों के इस महोत्सव में तकरीबन 80-90 लाख रूपये खर्च कर दिये गये, लेकिन इनविटेशन कार्ड देकर बुलाये गये पत्रकारों के लिये यहां कहीं कोई स्थान नहीं था।
महोत्सव में सीएम के पहुंचते ही जिला प्रशासन के अधिकारी व पुलिस अधिकारियों ने जनता के साथ ही पत्रकारों से अभद्रता प्रारंभ कर दी। अपनी नौकरी के तहत कार्य करने जा रहे पत्रकारों को गेट से ही धकियाकर बाहर कर दिया। जब पत्रकार किसी तरह दूसरे रास्ते से कवरेज के लिए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो उन्हें बैठने के लिए कुर्सियां तक नहीं मिली, जिला मुख्यालय से दूरस्थ क्षेत्र कपकोट पहुंचे पत्रकार अव्यवस्था देख हैरान रह गए।
पत्रकारों ने शांति से सीएम के सामने जमीन में बैठकर नाराजगी जाहिर। बावजूद इसके ना सीएम ने और ना ही प्रशासन ने पत्रकारों की सुध ली। नतीजतन पत्रकार सीएम धामी के भाषण के दौरान ही वहां से उठकर चले गये। लेकिन हैरान करने वाली बात ये थी कि अमर उजाला जैसे अख़बार ने इस पर एक लाइन लिखना भी जरूरी नहीं समझा। हाँ हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और उत्तर उजाला ने एक बॉक्स बनाकर जरूर खानापूर्ति की।
लोगों की समस्या लिखने वाले पत्रकार अपनी आप बीती किसे सुनाये ये अब सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। पत्रकारों की इस नाराजगी को एक स्थानीय यूट्यूब चैनल ने चलाया भी तो उस पर भी प्रशासन ने नज़र तैड़ी कर ली और चैनल मालिक पर ख़बर हटाने का दबाव बनाने लगे।
आज बड़े-बड़े मीडिया घराने सत्ता के सामने इतने नतमस्तक हो गये हैं कि सरकार और प्रशासन के खिलाफ अधिकतर ख़बर मैनेज की जा रही हैं। सीएम के सामने पत्रकारों की नाराजगी की इस ख़बर का भी यही हस्र हुआ। पत्रकार कहते दिखे कि उन्होंने खबर भेजी थी जिसे ऊपर से ही हटाया गया। कार्यक्रम के दौरान इस तरह की तानाशाही से पत्रकार नाराज रहे वहीं पत्रकार अपनी आवाज को ही जनता के बीच नहीं पहुंचा सके।
सरकार और प्रशासन की इस तानाशाही से जहां पत्रकारों के हित प्रभावित हो रहे हैं, वहीं साफ हो गया है कि सच के साथ खबर और आम जनता के साथ खडे रहने की बात कहने वाले मीडिया घराने और उनके संपादक अपने पत्रकारों के साथ खड़े रहने के बजाय प्रशासन व सरकार के तलवे चाटते दिखे। कार्यक्रम के बीच ही कई पत्रकार सत्ता सरकार की थू थू तक करते दिखे।