Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

राजद्रोह कानून का दुरुपयोग : अदालत ने मोदी सरकार को दिखाया आइना!

Girish Malviya-

दिल्ली की एक अदालत ने मोदी सरकार को आइना दिखा दिया है. मोदी सरकार की इच्छानुसार पुलिस हर किसी पर सीधे राजद्रोह का आरोप लगा रही है. इस परंपरा पर दिल्ली की कोर्ट की यह टिप्पणी कड़ा तमाचा है

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोर्ट का कहना है कि कि उपद्रवियों पर लगाम लगाने के नाम पर असंतुष्टों को चुप करने के लिए राजद्रोह के कानून का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

राजद्रोह कानून के दुरुपयोग के मामले में अब तो पाकिस्तानी अदालतें भी कहने लगीं कि ये भारत नहीं है!

दरअसल यह टिप्पणी अडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राना ने किसान आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया पर फेक वीडियो पोस्ट कर अफवाह फैलाने और राजद्रोह करने के 2 आरोपियों को जमानत देते हुए की है. दोनों को इसी महीने दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

कोर्ट ने कहा कि समाज में शांति और लॉ ऐंड ऑर्डर को बरकरार रखने के उद्देश्य से राजद्रोह का कानून सरकार के हाथ में एक ताकतवर औजार है लेकिन इसका इस्तेमाल असंतुष्टों को चुप करने के लिए नहीं किया जा सकता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोर्ट की यह टिप्पणी विचारणीय है यह टिप्पणी बताती है कि सरकार किस तरह से आम नागरिक के लोकतांत्रिक व्यवस्था में मिले आंदोलन के अधिकार का दमन कर रही है.


दिनेशराय द्विवेदी-

Advertisement. Scroll to continue reading.

लॉ एंड ऑर्डर को काबू में रखने के लिए भी राजद्रोह की धारा का उपयोग में लिया जाना पूरी तरह अनुचित है तथा जनतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

अपराध संहिता में वर्णित कोई भी अपराध पर मुकदमा तभी चलाया जाना चाहिए जबकि उसके लिए प्रथम दृष्टया सबूत उपलब्ध हों।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यदि समस्या लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने की है तो उसके लिए पहले सिविल उपाय काम में लिए जाने चाहिए और उसके बाद अपराध प्रक्रिया संहिता में वर्णित उपायों का उपयोग करना चाहिए। बाकी सब सरकार और प्रशासन की असफलता ही होगा और तानाशाही कहा जाएगा।


Vijay Shanker Singh-

Advertisement. Scroll to continue reading.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने 21 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी का कारण बने ‘टूलकिट’ के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि, “मैं देख रहा हूं कि हिंसा के संबंध में टूलकिट में कुछ भी नहीं है या लोगों को उकसाने के संबंध में कुछ भी नहीं है … मैं नहीं देख पा रहा कि इस दस्तावेज में क्या देशद्रोह है। कोई प्रदर्शनकारियों के साथ सहमत हो सकता है या नहीं, यह एक अलग मामला है। लेकिन यह कहना कि यह देशद्रोह है, कानून में पूरी तरह से समझ में नहीं आ रहा है.”

न्यायमूर्ति गुप्ता ने 1962 केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य मामले का उल्लेख किया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A की संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा गया था, और कहा था कि राजद्रोह केवल तभी हो सकता है जब हिंसा के लिए उकसाया गया हो या सार्वजनिक अव्यवस्था हुई हो, जो तात्कालिक मामले में अनुपस्थित थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जस्टिस दीपक गुप्त ने कहा, “राजद्रोह कानून को साम्राज्यवादी, उपनिवेशवादी शासक, ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा लागू गया था, जो भारत पर शासन करना चाहते थे। उस समय भी, कानून ने देशद्रोह को आजीवन कारावास के साथ दंडनीय एक गंभीर अपराध बना दिया। मैं उम्मीद कर रहा था कि हमारे अनुभवों के साथ जिस तरह बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी को देशद्रोह के आरोप में सलाखों के पीछे भेजा गया था, हम इस कानून को रद्द कर देंगे या कम से कम इस खंड को हल्का कर देंगे। लेकिन दुर्भाग्य से, इस कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। असहमति पर अंकुश लगाने के लिए देशद्रोही कानून का दुरुपयोग हो रहा है।”

क्या दिशा रवि को न्यायिक हिरासत में भेजने के दौरान न्यायिक विवेक का उपयोग किया गया था?

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस पर उनका कहना है कि, “मैंने कई मामलों को देखा है, जहां लगता है कि वह भूल गए हैं कि जेल नहीं जमानत नियम है। इस स्तर पर, वे दस्तावेजों को भी नहीं पढ़ते। वे बस देखते हैं कि पुलिस उनसे क्या चाहती है। मुझे पता है कि इस स्तर पर एक विस्तृत जांच की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कम से कम उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं पढ़ा होगा, लेकिन न्यायाधीश से अपेक्षा की जाती है कि वह कम से कम इसे पढ़ें।”

वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने जस्टिस दीपक गुप्त की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि, “राजद्रोह का इस्तेमाल टोपी के गिरने पर ही किया जा रहा है।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

मामले के विस्तार में न जाते हुए, लूथरा ने कहा कि बेंगलुरु में मजिस्ट्रेट के सामने पेश ना कर रवि को दिल्ली लाने के साथ-साथ संवैधानिक मापदंडों की जांच करने की आवश्यकता होगी जैसे कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत वकील तक पहुंच का अधिकार आदि।

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि “राज्य असहमति को लेकर बहुत असहिष्णु हो गया है।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

विकास सिंह ने आगे कहा, “हमारे पास स्वतंत्र भाषण का अधिकार है जिसे सीधे प्रेस को प्रदान नहीं किया जा रहा है जैसा कि अमेरिका में किया गया है। यहां यह केवल भारत के नागरिकों को दिया जाता है … यह कुछ को फिर से रीट्वीट करने के लिए जाता है।”

एक अन्य वरिष्ठ वकील रेबेका एम जॉन ने भी इस पर वजन दिया और टिप्पणी की कि कहानी को तथ्य से अलग करने की आवश्यकता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आगे रेबेका जॉन का कहना है, “मैं निम्नलिखित कारणों से इस [दिशा रवि की गिरफ्तारी] की आलोचक हूं। मैं सप्ताहांत में गिरफ्तारी और पेश करने का विरोध करती हूं। दिल्ली पुलिस सोमवार की गिरफ्तारी और मंगलवार को पेश करने का इंतजार कर सकती थी। रविवार को एक आरोपी व्यक्ति को पेश करके, आप मूल रूप से यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उसके कानूनी अधिकारों से छेड़छाड़ की जाए क्योंकि वकीलों के लिए उपस्थित होना बहुत मुश्किल है। अधिकांश वकीलों को यह भी पता नहीं होता कि उनके मुव्वकिल को अदालत में पेश किया जा रहा है।”

रेबेका जॉन ने ” चूहे और बिल्ली के खेल” पर एक प्रकाश डाला, जो दिल्ली पुलिस और बचाव पक्ष के बीच होता है, जिसमें पेश करने से संबंधित समय और स्थान के बारे में भी नहीं बताया जाता है। इसी के चलते, रवि की पसंद का वकील उपस्थित नहीं हो सका और यह उसके अधिकारों का एक गंभीर उल्लंघन था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वकील डॉ अभिनव चंद्रचूड़, जो पैनल का एक हिस्सा भी थे, ने 1832 से पहले अंग्रेजी कानून के अनुरूप राजद्रोह के अपराध को लाने पर एक बयान दिया जिसमें अपराध को केवल एक साधारण अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement