डॉ. अतुलमोहन सिंह गहरवार-
देश के वरिष्ठ पत्रकार राजकेश्वर सिंह के संपादन में प्रकाशित मासिक पत्रिका ”जन चुनौती’ का फरवरी अंक प्राप्त हुआ।
पत्रिका जनवरी से प्रकाशित हो रही है, यह दूसरा ही अंक है।
विषय सामग्री का चयन, प्रस्तुतिकरण और संपादन का स्तर पर जन चुनौती को मुख्यधारा की पत्रिका के समतुल्य खड़ा करता है।
उत्तर प्रदेश के संदर्भ में श्री कुमार भवेश चंद्र जी की लिखी स्टोरी ‘योगी, माफिया और बुलरोजर’ को पढ़ लिया है।
बाकी भी धीरे-धीरे समय मिलते पर अध्ययन करूंगा।
संपादन और प्रसाशन से जुड़े सभी महानुभावों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
पढ़ें मैग्जीन के लांचिंग एडिशन में प्रकाशित राजकेश्वर सिंह का संपादकीय-
नया साल, नई शुरुआत…
नये साल में सभी का स्वागत है। नई उम्मीदों और नये प्रयासों के साथ हम भी आपके सामने हैं। हम कामना करते हैं कि हमारे देशवासियों के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए बीता साल जितना खराब गुजरा, वैसा फिर कभी न हो। कोरोना महामारी ने लोगों को वह मंजर दिखा दिया, जिसके बारे में दुनिया ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। महामारी ने लाखों जिंदगियां हमसे छीन लीं। कारोबारी तबाही लाकर उसने सिर्फ गरीबों ही नहीं, अमीरों की भी विकास की रफ्तार रोक दी। नए साल में हम कोरोना वैक्सीन आने की नई किरण के साथ एक अच्छी सुबह की, अच्छी जिंदगी की ओर उम्मीद से देख रहे हैं। आशा भी करते हैं कि ऐसा ही होगा।
इस नई रोशनी की आस के बीच आपकी हर चुनौती में आपके साथ-साथ चलने के लिए हमने भी एक बुनियाद रखी है, जहां सिर्फ आपके हक और हुकूक की ही बात नहीं होगी, बल्कि उसके मुकम्मल हल के प्रयास भी होंगे। नोबल शांति पुरस्कार विजेता एली वीसेल ने कभी कहा था, ‘ऐसा वक़्त आ सकता है जब हम अन्याय को रोकने में असमर्थ हों…लेकिन ऐसा वक़्त कभी नही आना चाहिए जब हम विरोध करने में नाकाम रहें।’ मुझे लगता है कि वीसेल के उपरोक्त विचार हर उस दौर के लिए प्रासंगिक हैं, जिसमें आम जन की चुनौतियों को सारे जिम्मेदार पक्ष नजरअंदाज करने लगें। ‘जन चुनौती’ शब्द नया भले न लगे, किन्तु हमने एक शीर्षक के तौर पर इसको अभिव्यक्ति के मंच के लिए इसीलिए चुना है, क्योंकि इसमें उस साधारण अवाम की आवाज बन सकने की अद्भुत क्षमता है जिसके दुखों, मसायल और संघर्षों को सामने लाने के अपने कर्तव्य से देश का मीडिया कन्नी काट रहा है। 80 के दशक से लगभग ढाई दशक तक देश के सबसे बड़े पावर सेंटर उत्तर प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक एक सक्रिय पत्रकार के रूप में काम करने की प्रक्रिया के चलते पत्रकारिता के महत्वपूर्ण परिवर्तनों का एक साक्षी मैं भी रहा हूं। इस नाते भी कह सकता हूं कि इधर करीब दो दशक से पत्रकारिता की साख तेजी से गिरती हुई, अब रसातल पर है। हालात ये हैं कि सत्ता प्रतिष्ठान की और उसके हितों को पूरा करती खबरें ही कथित मुख्यधारा की पत्रकारिता का एजेंडा है; उसमें जन सरोकार और रोजमर्रा की चुनौतियों के लिए रत्ती भर जगह नहीं दिखती। लंबे अरसे से बनी इस स्थिति के कारण आम लोगों को, जिसमें जाहिर है कि हम भी शामिल हैं, तीव्र घुटन का अहसास हो रहा है।
आज पत्रकारिता और मीडिया दोनों ही विश्वसनीयता या तो खो चुके हैं या फिर वे बहुत महीन धागे से जुड़े हुए हैं। जन सरोकारों से विमुख होते चले जाने के चलते ये हालात पैदा हुए हैं। यह बेहद खतरनाक स्थिति है, क्योंकि एक लोकतांत्रिक परिवेश में अगर मीडिया ही विश्वास खो बैठेगा तो इसके गंभीर परिणाम समाज के हर वर्ग को भुगतने होंगे या यूं कहें कि उसका असर कहीं न कहीं अपना प्रभाव डालने लगा है। ऐसे में पत्रकारिता और मीडिया की विश्वसनीयता को बहाल करने, उसे मजबूती देने की जिम्मेदारी उन सभी की है, जो भी आमजन की दुश्वारियों को शिद्दत से महसूस करते हैं। मीडिया और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति समझते हुए हम आपके बीच आये हैं। ‘जन चुनौती’ शीर्षक के चयन की पृष्ठभूमि में यही सामाजिक, मानसिक स्थितियां रही हैं ।
हम अत्यंत विनय से कहना चाहते हैं कि ‘जन चुनौती’ के रूप में आपका यह अपना प्लेटफार्म उन सभी की आवाज बनेगा जिनकी सत्ता और मुख्यधारा की मीडिया के बहुतायत जिम्मेदार लोग लगातार अनदेखी करते जा रहे हैं। हम मीडिया की विश्वसनीयता फिर कायम करने और इसमें खरा उतरने की ईमानदारी से पूरी कोशिश करेंगे, यह हमारा संकल्प है। हम सिर्फ प्रिंट ही नहीं, बल्कि डिजिटल फॉर्मेट में भी आपके बीच आने की तमन्ना रखते हैं। दोस्तों, इसलिए हम आने वाले समय में आपको जन चुनौती यूट्यूब चैनल पर भी मिलना चाहेंगे। हम डिजिटल दुनिया के दूसरे प्लेटफ़ॉर्म पर भी आपसे मिलने, जुड़ने की चाहत रखते हैं, जहां आप उन सभी समाचारों से रूबरू होंगे जो आपके सपनों, हक और जिंदगी से वाबस्ता होंगे। हम घटनाओं के पीछे के कारणों और भविष्य में आप पर पड़ने वाले उनके असर से भी आपको रूबरू कराएंगे। इस काम में हमारे साथ होंगे प्रख्यात पत्रकार, लेखक, कथाकार, साहित्यकार और समाज के दूसरे जिम्मेदार लोग जो अपने विश्लेषणों और विचारों के जरिये आपको नए आयामों से परिचित कराएंगे।
हम यह भी चाहते हैं कि आप हमसे सिर्फ़ बतौर पाठक ही न जुड़ें, बल्कि हमारी उन कोशिशों के साझीदार भी बनें, जिससे हम आपके सवालों को, आपकी चुनौतियों को और नज़दीक से देख और महसूस करके उस फोरम तक पहुंचा सकें, जहां से उसका समाधान होना है। समय की मांग आज ‘जन चुनौती’ को स्वीकार करके एक बेहतर कल की बुनियाद डालने की है। हम इसमें जन-जन की आवाज़ बनेंगे और ‘जन चुनौती’ को पूरी जिम्मेदारी से पेश करेंगे, ये हमारा संकल्प है।
नये साल की ढेरों शुभकामनाओं के साथ…