आजतक न्यूज चैनल के डिजिटल विंग में कार्यरत पत्रकार राम कृष्ण ने अपने यहां की अंदरुनी राजनीति को लेकर पीएमओ को चिट्ठी लिख दिया है. इसके चलते पीएमओ ने मामला की जांच शुरू करा दी है. नोएडा में डीसीपी स्तर के एक अधिकारी द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है. राम कृष्ण का पद सीनियर सब एडिटर का है. उनका इंप्लाई कोड T04604 है.
राम कृष्ण ने अपने पत्र को पीएमओ के अलावा ग्रुप के चेयरमैन समेत कई लोगों को मेल किया है. उनके तरफ से जो पत्र सबको भेजा गया है उसकी एक कापी भड़ास के भी पास है जिसे नीचे प्रकाशित किया जा रहा है. पत्र पढ़कर लग रहा है कि राम कृष्ण पूरे भक्त किस्म के पत्रकार हैं और वो मोदी भक्ति के इतर कुछ भी देखना सुनना पसंद नहीं करते. पत्र देखकर ये भी लग रहा कि शायद एक बड़ी साजिश के मोहरे हों राम कृष्ण. इसी कारण उन्होंने इतने आत्मविश्वास से हर कहीं पत्र भेजा है. इस मामले में अगर पाणिनी आनंद व अन्य अपना पक्ष भेजते हैं तो उसे ससम्मान प्रकाशित किया जाएगा.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
पढ़ें राम कृष्ण का पत्र….
आदरणीय सर,
हिंदुस्तान के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार देश को आत्मनिर्भर बनाने और आगे बढ़ाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं. दुनिया के शीर्ष नेता पीएम मोदी जी की लगन और मेहनत का ही नतीजा है कि हिंदुस्तान तेजी से आगे बढ़ रहा है और भ्रष्टाचार मुक्त है. हालांकि तथाकथित बुद्धिजीवी वामपंथियों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है और ये लोग केंद्र की मोदी सरकार, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और दूसरे राज्यों की बीजेपी सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं. इसके लिए ये वामपंथी प्रोपेगैंडा चला रहे हैं और मीडिया संस्थानों पर कब्जा कर रहे हैं.
बीजेपी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री श्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मु्ख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, श्री संबित पात्रा, श्री जेपी नड्डा समेत बीजेपी के अन्य नेताओं और आरएसएस के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करने और प्रोपेगैंडा नहीं चलाने पर ईमानदार पत्रकारों पर अत्याचार किया जा रहा है और धमकी दी जा रही है. साथ ही इस्तीफा देने का गैरकानूनी तरीके से दबाव बनाया जा रहा है. पिछले कुछ समय से मैं राम कृष्ण भी इसका शिकार हो रहा हूं. वामपंथी संपादक लॉकडाउन में मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं.
मैं 9 अगस्त 2017 से aajtak.in में बतौर पत्रकार काम कर रहा हूं. मैंने साल 2014 में अमर उजाला से पत्रकारिता के कैरियर की शुरुआत की थी. Aajtak.in के संपादक पाणिनि आनंद और विजय रावत अपनी वामपंथी विचारधारा के लोगों के साथ मिलकर बीजेपी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री श्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मु्ख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, श्री संबित पात्रा, श्री जेपी नड्डा समेत बीजेपी के अन्य नेताओं और आरएसएस के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत के खिलाफ प्रोपेगैंडा चला रहे हैं.
इसके लिए पाणिनि आनंद और विजय रावत Aajtak dot in, इंडिया टुडे ग्रुप और सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार समेत कई राज्यों की बीजेपी सरकारों को गिराने की साजिश रच रहे हैं. इसके लिए पाणिनि आनंद अपने घर में भी आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों, नक्सलियों और बीजेपी विरोधियों को जुटाते हैं और साजिश रचते हैं.
पाणिनि आनंद और विजय रावत अक्सर अपनी विचारधारा के लोगों से कहते हैं कि हम Aajtak.in और इंडिया टुडे ग्रुप को छोड़कर मोदी और बीजेपी के खिलाफ कुछ नहीं कर पाएंगे. इसलिए संस्थान में बने रहना और अपने लोगों की भर्ती करनी जरूरी है. अगर इंडिया टुडे ग्रुप में हमारी विचारधारा और हमारे करीबियों की संख्या बढ़ जाए, तो हम संस्थान को अपने मुताबिक चला लेंगे. चुनाव के दौरान मोदी विरोधी और बीजेपी विरोधी अभियान को तेज कर देंगे. इस काम के लिए Aajtak.in में बने रहना जरूरी है.
पाणिनि आनंद और विजय रावत की प्लानिंग
एक बार पाणिनि आनंद ने टीम की मीटिंग के दौरान अपनी विचारधारा के लोगों से कहा था, ‘इंडिया टुडे ग्रुप मुझको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ लिखने और बोलने से रोक रहा है. इंडिया टुडे ग्रुप अब मोदी टुडे ग्रुप बन गया है. लिहाजा हम लोगों के लिए यह बेहतर होगा कि हम शहीद होने की बजाय संस्थान में बने रहें और धीरे-धीरे अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाएं. अपने करीबियों और विचारधारा के लोगों की भर्तियां करें. इस तरह Aajtak.in समेत पूरे इंडिया टुडे ग्रुप में हमारी पकड़ मजबूत होगी और फिर हम जो चाहेंगे, वो कर सकेंगे.’
पाणिनि आनंद के ये शब्द आज भी मेरे कान में गूंज रहे हैं. पाणिनि आनंद और विजय रावत का कहना है कि Aajtak.in में सिर्फ उन लोगों को प्रमोट किया जाए और आगे बढ़ाया जाए, जो हमारे करीबी हैं. जो पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ सोशल मीडिया समेत हर जगह प्रोपेगैंडा चलाना चाहते हों. अगर टीम का कोई सदस्य हमारे खिलाफ जाए, तो उसको बाहर का रास्ता दिखाया जाए और काम छीन लिया जाए. साथ ही उसका प्रमोशन व अप्रेजल रोक दिया जाए और एचआर डिपार्टमेंट से मिलकर ऐसे लोगों को जबरन सस्पेंड और टर्मिनेट करा दिया जाए.
पाणिनि आनंद और विजय रावत, Aajtak dot in टीम के कई सदस्यों के साथ ऐसा बर्ताव कर चुके हैं. अब मुझको भी धमकी दी है. इनके डर से Aajtak dot in टीम के एक भी सदस्य मोदी सरकार के अच्छे कामों की भी तारीफ नहीं कर पाते हैं. अगर पाणिनि आनंद, विजय रावत और इनकी विचारधारा के लोगों की साजिश के खिलाफ कोई आवाज उठाता है, तो उसको पाणिनि आनंद और विजय रावत कुचल देते हैं. उसकी नौकरी खा जाते हैं और उसका जीना दुश्वार कर देते हैं.
पाणिनि आनंद, विजय रावत और इनके लोग मिलकर टॉर्चर और दुर्व्यवहार भी करते हैं. ईमानदार पत्रकारों के साथ गाली गलौज करना और धमकी देना इनके लिए आम बात है. पाणिनि आनंद और विजय रावत, टीम के पुराने काबिल पत्रकारों को गैरकानूनी तरीके से बाहर निकालकर अपनी विचारधारा के लोगों की टीम में भर्ती भी कर चुके हैं. यह सिलसिला लगातार जारी है.
क्यों मेरी हत्या कराना चाहते हैं पाणिनि आनंद और विजय रावत?
पाणिनि आनंद और विजय रावत मुझ पर बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के अन्य नेताओं के खिलाफ प्रोपेगैंडा चलाने का दबाव बना रहे हैं. मुझको सोशल मीडिया पर इन नेताओं और बीजेपी के खिलाफ पोस्ट करने को कह रहे हैं. ऐसा नहीं करने पर पत्रकारिता से कैरियर खत्म करने की धमकी दे रहे हैं.
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और बीजेपी की तारीफ करने पर पाणिनि आनंद ने फोन पर मुझको धमकी दी और गाली गलौज किया. पाणिनि आनंद ने फोन पर मुझको धमकी देते हुए कहा, ‘साले तुम कीड़े-मकोड़े हो. मुझको जो मन आएगा करूंगा. मैं गधों को बड़ी जिम्मेदारी दूंगा और उनका प्रमोशन करूंगा व अप्रेजल करूंगा, क्योंकि वो मेरी विचारधारा के लोग हैं. तेरी क्या औकात है. साले तुझको सड़क पर ला दूंगा और तेरे परिवार को बर्बाद कर दूंगा. अगर सुधरा नहीं, तो साले तुझको जूतों से मारूंगा और तेरी हत्या करवा दूंगा. तेरी लाश को कुत्ते खाएंगे. तुझको न मोदी बचाने आएगा और न बीजेपी.’
पाणिनि आनंद की इस धमकी के बाद से मैं और मेरा परिवार दहशत में है. मुझको डर है कि पाणिनि आनंद और विजय रावत और इनके लोग मुझ पर हमला कर सकते हैं और मेरी हत्या करवा सकते हैं. ये लोग मेरे परिवार को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. पाणिनि आनंद और विजय रावत ने मुझको पागल घोषित कराने की भी धमकी दी है, ताकि मैं अपने अधिकारों की लड़ाई भी न लड़ सकूं.
मैंने पाणिनि आनंद और विजय रावत की शिकायत इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरपर्सन और वाइस चेयरपर्सन को लिखकर भी की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. मैंने अंजना ओम कश्यप और राहुल कंवल को भी मेल करके जानकारी दी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
मेरे काम का विश्लेषण कर सकते हैं
मेरा काम और खबर की गुणवत्ता का विश्लेषण सीएमएस और बेवसाइट पर जाकर किया जा सकता है. साथ ही पाणिनि आनंद और विजय रावत के करीबियों से तुलना भी की जा सकती है. मैं ऑनलाइन वेबसाइट के काम में दक्ष हूं और पिछले करीब चार साल से कुशलतापूर्वक काम कर रहा हूं. आप मेरा टेस्ट कभी भी ले सकते हैं. मैं पाणिनि आनंद और विजय रावत के करीबियों से कम्पटीशन करने को भी तैयार हूं.
अगर पाणिनि आनंद और विजय रावत के करीबी मुझसे बेहतर खबर बना लेंगे या मुझसे अच्छा काम करके दिखा देंगे, तो मैं पत्रकारिता से सन्यास ले लूंगा. जब मैंने इंडिया टुडे ग्रुप ज्वॉइन किया था, तब aajtak.in का रियल टाइम व्यू सिर्फ 8 हजार था, जो आज काफी हो चुका है. इसमें मेरी और टीम के दूसरे सदस्यों की भी कड़ी मेहनत लगी है.
चुनाव के दौरान मुझको दूसरे मीडिया संस्थानों से ऑफर मिले थे. हालांकि मैंने सैलरी कम होने के बावजूद aajtak.in में काम करने का विकल्प चुना. मुझको इंडिया टुडे ग्रुप के स्टैंडर्ड और नियमों पर पूरा विश्वास है. मैंने लीगल की जो खबर बनाई हैं, उनको गूगल पर legal news aajtak ram Krishna इन कीवर्ड से सर्च करके ढूढ़ीं जा सकती हैं. इन कीवर्ड से गूगल में सर्च करने पर जितनी खबर आएंगी, वो सब मेरी बाइलाइन हैं. इसका स्क्रीन शॉट सबसे आखिरी में लगा है.
मेरी अपील और मजबूरी
आदरणीय सर मैं अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला हूं. मेरी पत्नी हाउस वाइफ है और एक बेटा है. मेरे बेटे का जन्म लॉकडाउन के दौरान 3 अप्रैल 2020 को हुआ था. मुझको पहले से ही कम सैलरी मिल रही है, जिससे परिवार का गुजारा तक नहीं होता है. कई बार सब्जी भी नहीं खरीद पाता और नमक रोटी खानी पड़ती है. पैसे के अभाव में मैं अपने बेटे के लिए दूध तक नहीं खरीद पा रहा हूं. कई बार बीमारी में इलाज के लिए उधार पैसे लेने पड़ते हैं. पिछले 6 महीने में मुझ पर 2 लाख 32 हजार रुपये का कर्ज भी हो गया है. लॉकडाउन के दौरान मेरे पास खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं थे और जब किसी से उधार पैसा नहीं मिला, तो मैंने पाणिनि आनंद को अर्जेंट में ई-मेल (जिसका स्क्रीन शॉट नीचे संलग्न है) लिखा था. हालांकि पाणिनि आनंद ने दो दिन तक कोई जवाब नहीं दिया. जीवन बचाने के लिए मुझको मजबूरन शेल्टर होम में जाकर खाना खाना पड़ा था. इन सब कष्टों के बावजूद मैंने काम को कभी प्रभावित नहीं होने दिया. अगर मेरी सैलरी रोकी गई, तो मैं और मेरा परिवार भूख से ही मर जाएगा. इस लॉकडाउन में नया रोजगार भी मिलने की संभावना बेहद कम है. मेरी इसी मजबूरी का पाणिनि आनंद और विजय रावत फायदा उठा रहे हैं और मुझ पर नौकरी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं.
19 अप्रैल को जब भोजन खत्म हो गया और पैसा नहीं रहा, तब पाणिनि आनंद को किए का स्क्रीनशॉट
Ram Krishna
सीनियर सब एडिटर
Emp code- T04604
Website: aajtak.in
इंडिया टुडे ग्रुप
ramk.aajtak@gmail.com
अपडेट-
रामकृष्ण के उपरोक्त आरोपों पर पाणिनी आनंद की प्रतिक्रिया यूं है-
इस लेख में रामकृष्ण की ओर से लगाए गए सभी आरोप निराधार, अनर्गल और अप्रत्याशित हैं और इनमें कोई सच्चाई नहीं है. रामकृष्ण को अनुशासनहीनता और कामकाज में लापरवाही के चलते संस्थान द्वारा 10 अगस्त, 2020 को बर्खास्त किया जा चुका है. ऐसा किए जाने में संस्थान की ओर से पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है. रामकृष्ण द्वारा प्रचारित बातें केवल संस्थान और संपादक के प्रति दुष्प्रचार और दुर्भावना को ही प्रकट करती हैं. संपादक की ओर से रामकृष्ण को प्रोत्साहन और मदद के अलावा कुछ नहीं दिया गया. इस प्रकार के निराधार आरोप दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
Comments on “इंडिया टुडे में कार्यरत पत्रकार ने आंतरिक राजनीति को लेकर पीएमओ को भी लिख दी चिट्ठी! जांच शुरू”
ये आदमी तो हिला हुआ संघी लग रहा है
अगर कोई पत्रकार अपनी व्यथा लिख रहा है तो वो संघी हो गया। पत्रकारों की इसी मानसिकता के कारण उनको हर जगह नुकसान उठाना पड़ रहा है। राम कृष्ण ने pm को लेटर भेजने से पहले अपने प्रबंधन को भी तो लेटर भेजा, उसका क्या किया गया। शर्म आनी चाहिए हमें की हमारा साथी परेशान है और हम उसमें संघी ढूंढ रहे है। अगर वो वामपंथी होता तो क्या उसके सारे पाप धुल जाते। पत्रकार को सिर्फ पत्रकार रहने दो और उसकी मदद करो। और नहीं कर सकते तो चुप रहो।
धिक्कार है ऐसे लोग जो एक ईमानदार पत्रकार को सता रहे हैं।
राम कृण्ण को अमरउजाला से जानता हूं। तब ट्रेनी थे रामकृण्ण। लोग तारीफ करते थे। आजतक वेबसाइट ज्वाइन करने के बाद फेसबुक से पता चलता था कि वे किसी दुबे और पाणिनी के भक्त बन गए हैं। खैर ऐसा करना उनकी व्यक्तिगत पसंद थी। जैसे अब वे संघी लग रहे हैं। कुल मिला कर रामकृष्ण को काम तो आता है। बाकी जैसे तमाम संस्थानों में संपादक या मैनेजमेंट के इशारे पर खबरों को खास मकसद से एंगल दिया जाता है। वह आजतक में भी होता है। और पणिनी आनंद का लिखा पढ़ा छिपा तो नहीं है और न ही उनकी अगुवाई में आजतक डॉट इन पर चलीं खबरें। उनकी अगुवाई में ही आजतकडॉटकॉम दो साल पहले एलआईसी को बंद करा रहा था। एलआईसी की इस खबर ने इतना रायता फैलाया कि एलआईसी के कर्मचारी और एजेंट तक घबड़ा गए। इसके जवाब में moneybhaskar.com में एक खबर भी लिखी थी कि एलआईसी में सुरक्षित है आपकी रकम। फैक्ट और बीमा इंडस्ट्री के बड़े जानकारों के कोट के साथ। खैर तमाम संस्थानों में डिजिटल विंग में जिस तरह से काम होता है उसके बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है।
हद है,एक पत्रकार अपनी समस्या रों रहा है और यशवंत सिंह समेत बाकी लोग उसे भक्त बता रहे हैं। मीडिया में वामपंथियों और कांग्रेस पालितों की करतूतें हमें तो ठीक ठाक पता है। आपको नहीं पता है तो ये आपकी समस्या है।