सेवा में,
माननीय राष्ट्रपति
भारत सरकार, नई दिल्ली।
विषयः आरपीएफ इंस्पेक्टर संजय पांडे द्वारा सिविल लाइन थाना, इलाहाबाद में झूठा केस दर्ज कराने के संबंध में।
महोदय,
अधोहस्ताक्षरी (अश्वनी यादव) पेशे से एक पत्रकार है और फेथ आफ इंडिया नाम से साप्ताहिक पेपर व न्यूज पोर्टल संचालित करता है। दिनांक 14-8-2016 को इलाहाबाद आरपीएफ क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर संजय पांडे ने मेरे व मेरे साथी प्रकाश सिंह राठौर के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराया है। चूंकि अधोहस्ताक्षरी संजय पांडे की कार्यशैली और इनसे जुड़े अपराधिक मामलों को लगातार प्रकाशित कर रहा है और इनकी शिकायत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रेलमंत्री, कानून मंत्री, विधि आयोग, मानवाधिकार आयोग, माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद, राज्यपाल उत्तर प्रदेश, डीजी आरपीएफ, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, डीजीपी उत्तर प्रदेश व रेलवे के आला अधिकारियों से लगातार की जा रही है।
अपने ऊपर लंबित जांचों का शिकंजा कसता देख संजय पांडे ने सभी शिकायतें वापिस लेने का दबाव बनाया। ऐसा न करने पर परिवार समेत जान से हाथ धोने की धमकी भी दी। इस शिकायती पत्र के माध्यम से अधोहस्ताक्षरी करबद्ध प्रार्थना करता है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, यदि अधोहस्ताक्षरी दोषी पाया जाता है तो भारतीय संविधान और कानून के मुताबिक जो भी दंड मिलेगा, उसे स्वीकार होगा। संजय पांडे के खिलाफ अपराधिक मामलें व इनका भ्रष्ट कार्यशैली का ब्योरा निम्नवार है।
1. वर्ष 2012-14 तक संजय पांडे कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर बतौर आईपीएफ तैनात थे। चूंकि अधोहस्ताक्षरी ने इनकी कारगुजारियों के खुलासे की खबर व्यापार संदेश अखबार में प्रकाशित की थी। इसके चलते संजय पांडे ने अपने साथियों के साथ मिलकर मुझे घेरकर मारा पीटा और जान से मारने की नीयत से फायर किया। जिसका केस सीएमएम (मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट) कानपुर, केस संख्या 884/2013 चल रहा है।
2. वर्ष 2013 में संजय पांडे ने धन उगाही को लेकर तीन निर्दोष लोगों को जेल भेजा था. उक्त मामलें की शिकायत अधोहस्ताक्षरी ने तत्कालीन रेलवे मजिस्ट्रेट से शिकायत की थी। इस पर रेलवे मजिस्ट्रेट श्री मुकेश कुमार सिंह ने स्वतः संज्ञान लेते हुए शिकायत को सही पाया और संजय पांडे व अन्य लोगों के खिलाफ आरपीयूपी एक्ट की विभिन्न धाराओं 193, 465, 466, 471, 340 व 34 आईपीसी के तहत जीआरपी इलाहाबाद में केस दर्ज (286 of 2013 ) कराया था। उक्त केस में कोर्ट में लगातार पेश न होने पर रेलवे मजिस्ट्रेट ने गैर जमानती वारंट भी जारी किए थे। अपनी गर्दन फंसता देख संजय पांडे ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में झूठा शपथपत्र देकर प्रार्थना पत्र दाखिल किया। प्रार्थना पत्र U/S 482 NO. – 13445 of 2014 में माननीय उच्य न्यायालय ने कोई राहत न देते हुए गंभीर टिप्पणी की। इसके बाद संजय पांडे ने उच्च न्यायालय के आदेश को छिपाते हुए एडीजे-9 इलाहाबाद की कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया। मामले की सुनवाई वर्तमान रेलवे मजिस्ट्रेट कर रहे हैं।
3. वर्ष 2002 में संजय पांडे कानपुर सेंट्रल स्टेशन आरपीएफ पोस्ट पर बतौर सब-इंस्पेक्टर तैनात थे। हवालात में बंद शाहिद उर्फ कल्लू कबाड़ी को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित किया था कि उसकी मौत हो गई थी। जिसकी पुष्टि वीडियोग्राफी कर चिकित्सकों के पैनल ने की थी। मृतक के परिजनों ने उक्त मामलें में जीआरपी स्टेशन कानपुर में जमकर बवाल किया था। इस पर संजय पांडे के खिलाफ जीआरपी ने केस संख्या 220/2002 पंजीकृत (विभिन्न धाराओं 147, 148, 149, 452, 342, 504, 506, 304 आईपीसी) किया था। इसकी जांच सीबीसीआईडी में लंबित है।
4. संजय पांडे की अवैध वसूली और प्रताड़ना से परेशान होकर पार्सल एवं लीज होल्डर्स एसोसिएशन की शिकायत पर डीआरएम ने आरपीएफ एएससी जीपी मिश्रा व एसीएम चिरंजीलाल की कमेटी गठित की थी। दोनों अधिकारियों ने अपनी संयुक्त जांच में संजय पांडे को दोषी पाया और दिनांक 9/5/2012 को अपनी जांच रिपोर्ट डीआरएम को सौंप दी।
5. दिनांक 31/3/2014 को संजय पांडे की अनैतिक व भ्रष्ट गतिविधियों से परेशान होकर पार्सल व लीज होल्डर्स निर्धन समाज पार्टी आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस जे नियाजी से मिलकर बताया कि संजय पांडे एक कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देने का दबाव बना रहे है। इसकी शिकायत एस जे नियाजी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को रजिस्टर्ड पत्र भेजकर की थी।
6. अधोहस्ताक्षरी ने संजय पांडे के खिलाफ अनैतिक तरीके से आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने संबंधी जांच की शिकायत दिनांक 8/12/12 को सीबीआई एसपी लखनऊ के समक्ष उपस्थित होकर की थी, जिसकी जांच श्री जावेद अली के पास लंबित है। शिकायत की एक प्रति महानिदेशक आरपीएफ को भी प्रेषित की जा चुकी है।
7. लगातार भ्रष्ट मामलों में लिप्त पाए जाने पर वर्ष 2007 में डीजी आरपीएफ एम के सिन्हा ने तत्कालीन आईजी हरानंद को संजय पांडे को भविष्य में पब्लिक डीलिंग का चार्ज न दिए जाने के आदेश दिए थे। संबंधित दस्तावेज आज भी आईबीजी सेल के पास मौजूद हैं। ऐसी ही दर्जनों शिकायतें अधोहस्ताक्षरी द्वारा उच्चस्तरीय अधिकारियों तक भेजी गई हैं। जिसमें स्वयं को फसता देख संजय पांडे व इनके अन्य सहयोगी ने पहले तो मारपीट की और अब मामले को दबाने के लिए कुछ पेशेवर अपराधियों के साथ किसी घटना को अंजाम देने की फिराक में है। अधोहस्ताक्षरी और उसके परिवार के सदस्यों को जगह-जगह रोककर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी बराबर दी जा रही है। यदि अधोहस्ताक्षरी के साथ कोई भी अप्रिय घटना घटित होती है तो इसके लिए प्रत्यक्ष रुप से संजय पांडे व इनके सहयोगी जिम्मेवार होंगे।
नोट : सूत्रों से जानकारी मिली है कि यदि अधोहस्ताक्षरी या उसके साथी उक्त मामलें में इलाहाबाद जाते है तो उस पर अपराधिक गतिविधियों में फंसाकर या अन्य मामलों में दो-तीन केस दर्ज कराने की संजय पांडे की योजना है। क्योंकि संजय पांडे अपने पद और पैसे के रसूख से पूर्व में भी ऐसी गतिविधियों को अंजाम दे चुके है।
अधोहस्ताक्षरी
अश्वनी यादव
8423270275