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सुख-दुख

रवीश जैसों की संख्या किसी भी दौर में बहुत ज्यादा नहीं होती

शशि भूषण-

रवीश कुमार जी शानदार हैं। लोग रवीश कुमार जी को शानदार एंकर मानते हैं। लेकिन मैं समझता हूँ रवीश कुमार हर दृष्टि से शानदार हैं। वे अगर शिक्षक भी होते तो इतने ही शानदार होते। रवीश कुमार ऐसे हैं जो किसी भी दौर में बहुत नहीं होते मगर अपनी मनुष्यता के चलते जहां भी हों शानदार, निर्भय और इंसाफ़ पसन्द लोगों के सर्वप्रिय होते हैं।

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रवीश कुमार जी के शानदार होने को हिंदी के अत्यंत उन्नत मस्तिष्क, हँसमुख और शानदार लेखक उदय प्रकाश जी के एक कालजयी वाक्य के सहारे समझा जा सकता है, “उनके भीतर इंसानों में कभी ख़त्म न होने वाला सही ग़लत का विवेक और न्याय की आकांक्षा है।” इसी कारण रवीश जी के पास सबकी समझ में आनेवाली और सबके दिलों को छू लेने वाली भाषा है।

पिछले कई महीनों में मैंने देखा है कि रवीश कुमार जी ने ख़ुद को ज़रूरत से ज़्यादा निचोड़ डाला है और वे अपनी उम्र से कहीं अधिक उम्र वाले दिखने लगे हैं।

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आज जन्म दिन की मुबारकबाद देते हुए मैं सच्चे दिल से कामना करता हूँ कि रवीश कुमार जी हमारे बीच हमेशा ऐसे ही बुलन्द रहें और जल्द से जल्द पहले जैसे भरे पूरे सुदर्शन और मुस्कुराते हुए दिखने लगें।

जन्म दिन की लाखों बधाईयाँ। मंगलकामनाएँ…

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