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रवीश कुमार ने ‘न्यूज चैनल कनेक्शन कटवाओ’ आंदोलन शुरू किया!

दलित दस्तक के नाम से मैग्जनी और वेब चैनल चलाने वाले समूह में एक वेकैंसी है। समूह के वेब चैनल के लिए एक प्रोड्यूसर की जरूरत है। ​इच्छुक उम्मीदवार को कम से कम दो साल का अनुभव होना जरूरी है। बहुजन आंदोलन और बहुजन नायकों के बारे में समझ होने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। इच्छुक पत्रकार [email protected] पर अपनी CV भेज सकते हैं। सब्जेक्ट लाइन में पद का उल्लेख जरूर करें।

<p>दलित दस्तक के नाम से मैग्जनी और वेब चैनल चलाने वाले समूह में एक वेकैंसी है। समूह के वेब चैनल के लिए एक प्रोड्यूसर की जरूरत है। ​इच्छुक उम्मीदवार को कम से कम दो साल का अनुभव होना जरूरी है। बहुजन आंदोलन और बहुजन नायकों के बारे में समझ होने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। इच्छुक पत्रकार <strong>[email protected]</strong> पर अपनी CV भेज सकते हैं। सब्जेक्ट लाइन में पद का उल्लेख जरूर करें।</p>

Ravish Kumar : भारत को बचाना है, न्यूज़ चैनलों को भगाना है। बंद करो टीवी बंद करो। गुजरात के लाखों युवाओं को बधाई। आखिर उन्होंने सरकार को मानने के लिए बाध्य कर दिया। अब 12 वीं की योग्यता वाले भी इम्तहान दे सकेंगे। परीक्षा की तारीख़ भी आ गई है। 17 नवंबर को परीक्षा होगी। छात्रों इसी बहाने आपसे अपील है। न्यूज़ चैनल राम के बहाने उन्माद फ़ैलाने में लग गए हैं। राम मर्यादा पुरुष कहे गए हैं। उनके नाम पर पत्रकारिता की सारी मर्यादाएं तोड़ी जा रही हैं।

उन्हें पता है कि आप राम को आदर्श मानते हैं। लेकिन चैनल वाले उनके नाम पर हर ग़लत और झूठ को हवा दे रहे हैं। उनकी भाषा में जो आग है वो झूठ की आग है। उन्हें राम से मतलब नहीं है। वे राम के नाम पर एक पार्टी का वोटर बना रहे हैं। आप दर्शक हैं। टीवी के सामने आपकी एक ही पहचान है। सिर्फ और सिर्फ दर्शक की।

आपकी पहचान पर हमला हो रहा है। आप मरते हैं तो चैनल नहीं आते। आपकी नौकरी के सवाल पर चैनल नहीं आते हैं। आपकी शिक्षा के सवाल पर चैनल नहीं आते हैं। यह राम का भारत नहीं हो सकता है।

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इसलिए एक बार सोच समझ कर फ़ैसला कर लीजिए। अगर आपको अंधेरे का यह रास्ता सही लगता है तो उसी तरफ़ निकल पड़िए। लेकिन फ़ैसला सोचा-समझा होना चाहिए। अगर चैनलों का यह रास्ता सही नहीं लगता है तो फिर घर-घर से टीवी कनेक्शन कटवाने के आंदोलन में शामिल हो जाइये।

भारत की पत्रकारिता भारत को शर्मसार कर रही है। मर्यादा राम को कलंकित कर रही है। राम सत्य के प्रतीक हैं। चैनलों पर हर दिन हुज़ूर-ए-हिन्द की शान में झूठ परोसा जा रहा है। जनता की आवाज़ का गला घोंटा जा रहा है।

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मेरी बात न मानिए लेकिन कुछ देर के लिए सोच कर देखिए। आस्था के नाम पर यूपी और बिहार को लंबे समय के लिए अंधेरे में धकेला जा रहा है। इन दो प्रदेश के लोग पूरे देश में दर-बदर हैं। कालेज ठप्प हैं। कोचिंग कोचिंग शहर-शहर बदल रहे हैं। मज़दूरी के लिए केरल तक जा रहे हैं। महानगरों में हाड़ तोड़ रहे हैं। राम के नाम पर नेताओं को आराम है।

देश में इतनी समस्याएं हैं। सवाल हैं। सारे सवाल स्थगित कर उन्माद फैलाया जा रहा है। मेरी बात मानिए। न्यूज़ चैनल नहीं देखेंगे तो आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा। इन चैनलों में अब कोई सुधार की संभावना नहीं बची है। इसलिए टीवी देखना बंद कीजिए।

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बहुत ही प्यारा मुल्क है ये। इसकी फिज़ा को बर्बाद कर दिया गया है। भारत के न्यूज़ चैनल लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। आप इस हत्या के मूक साक्षी नहीं बन सकते। पंजाब महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक के तीन लोगों की मौत हो गई। चैनलों पर मंदिर का कार्यक्रम चल रहा है। उनका सारा पैसा ऐसे विषयों पर खर्च हो रहा है। पत्रकारिता पर नहीं।

आप यकीकन भारत से बहुत प्यार करते हैं। आप इसके लोकतंत्र को चंद चैनलों के ज़रिए कैसे बर्बाद होने दे सकते हैं। आप राम को भी प्यार करते हैं। यकीनन आप उनके देश में कैसे मर्यादाओं की धज्जियां उड़ने दे सकते हैं? भारत को बचाना है, न्यूज़ चैनलों को भगाना है। बंद करो टीवी बंद करो।

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एनडीटीवी के चर्चित एंकर और मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार की एफबी वॉल से.

https://www.facebook.com/bhadasmedia/videos/2354827918067323/

गुजरात के छात्रों का मामला क्या है, जानने के लिए रवीश की ये पोस्ट पढ़ें-

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Ravish Kumar : की फर्क पैंदा जी, सब चंगा सी। पूछिए गुजरात के 10.50 लाख परीक्षार्थियों और दिल्ली में 4000 शिक्षकों से… गुजरात में 18 महीने से साढ़े दस लाख विद्यार्थी 3,738 पदों की परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे थे। 20 अक्तूबर को परीक्षा होनी थी लेकिन 12 अक्तूबर को ख़बर आती है कि परीक्षा रद्द हो गई है। गुजरात सबोर्डिनेट सर्विसेज़ सलेक्शन बोर्ड परीक्षा का आयोजक है। इस परीक्षा का विज्ञापन 12 नवंबर 2018 को आया था। इस संबंध लोकसभा चुनावों से पहले नौजवानों को बरगला कर रखने से है या नहीं, ये गुजरात के विद्वान नौजवान तय करेंगे।

12 अक्तूबर को GSSSB की वेबसाइट पर सूचना आती है कि परीक्षा रद्द कर दी गई है। क्योंकि सरकार ने 2014 के नियम में बदलाव कर दिया है जिसका नोटिफिकेशन 30 सितंबर को जारी हुआ है। इस कारण नई परीक्षा रद्द की जाती है। सरकार अपने फ़ैसले को पीछे से लागू कर रही है। जो फार्म भरे जा चुक हैं, उसे क्यों प्रभावित होना था। अदालतों के कई आदेश हैं कि बीच में परीक्षा के नियम नहीं बदले जा सकते हैं।

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बहरहाल, परीक्षा रद्द कर दी गई। इस परीक्षा में 65-70 प्रतिशत बारहवीं पास के नौजवान थे। उन्हें बाहर कर दिया गया। कहा गया कि वे अब इस परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते। सिर्फ स्नातक के छात्र शामिल हो सकते हैं। तो साढ़े दस लाख का सत्तर प्रतिशत कितना हुआ?

जब भी बहाली आती है, कोचिंग उद्योग की चांदी हो जाती है। इस परीक्षा की तैयारी में दस लाख छात्रों से कोचिंग ने कितने करोड़ कमाए होंगे, आप सोच नहीं सकते। एक छात्र ने बताया कि साल की फीस 50,000 दी। गांव से शहर में आकर रहने का किराया 3000 महीने का दिया और 2000 रुपया खर्च हुआ खाने पीने पर। किताब कापी पर भी 1000-2000 खर्च हो गए। अब इन सभी को परीक्षा से बाहर कर दिया गया कि बारहवीं पास वाले शामिल नहीं हो सकते। अगली परीक्षा कब होगी, नहीं बताया।

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क्या 8 दिन पहले परीक्षा का नियम बदला जा सकता है? अदालतों के कई आदेश हैं कि बीच में परीक्षा के नियम नहीं बदले जा सकते हैं। लेकिन जब नौजवान बौद्धिक और राजनीतिक रूप से अपनी चेतना नष्ट कर चुका हो तो उसके साथ कुछ भी किया जा सकता है। सभी राज्यों की सभी सरकारों ने ऐसा करके दिखा दिया है। तभी मैं कहता हूं कि भारत के नौजवानों से संवैधानिक और लोकतांत्रिक राजनीति की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। इनकी राजनीतिक समझ झुंड बनने की योग्यता तक ही सीमित है। हिन्दू मुस्लिम के नेशनल सिलेबस ने इन्हें ग़ुलाम सा बना दिया है। अब तो इसमें कश्मीर पर बोला गया झूठ भी शामिल हो गया है। पता कुछ नहीं है लेकिन कश्मीर पर सब हां-हां करते मिलेंगे। शायद झूठ का प्रयोग पूरी तरह सफल हो गया है तभी तो हरियाणा और महाराष्ट्र जहां सूखा, आत्महत्या और बेरोज़गारी पर बात होनी चाहिए वहां धारा 370 और एन आर सी के झूठ पर युवाओं में जोश भरा जा रहा है।

यह बात मैं बार-बार भारत के युवाओं से कहता हूं। उनके अंदर मुसलमानों के प्रति नफ़रत की परत जम गई है। जब तक वे इस झूठ और प्रोपेगैंडा से दबे रहेंगे उनकी मुक्ति नहीं होगी। वे अपने आस-पास खराब कालेज से लेकर नौकरी की हालत देख सकते हैं। यह स्थिति किसी भी सरकार या राजनीतिक दल की हालत ख़राब करने के लिए काफी है मगर सब निश्चिंत हैं। उन्हें यकीन है भारत का युवा मुसलमानों से नफ़रत के बोतल में बंद हो चुका है। अब वो कभी नहीं निकल पाएगा। नफ़रत उसकी पहली अभिव्यक्ति हो गई है। आप भागते रहिए इस सच को स्वीकार करने से। आपकी मर्ज़ी। मैं जानता हूं कि आप क्यों भाग रहे हैं। मुझे गाली देकर आप इस झूठ का कब तक सुख लूटते रहेंगे?

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पिछले साल 2 दिसंबर को पुलिस भर्ती की परीक्षा होनी थी। 8.75 लाख से अधिक परीक्षार्थी 2440 केंद्रों पर पहुंच गए थे लेकिन कुछ घंटे यह कह कर स्थगित कर दी गई कि पर्चा लीक हो गया है। बाद में यह परीक्षा हुई लेकिन अभी तक इसके नतीजे घोषित नहीं हुए हैं। यह गुजरात मॉडल भी बोगस है। दूसरे राज्यों में जहां गुजरात मॉडल नहीं है, वहां भी 4000 पदों के लिए दस लाख परीक्षा देने जाते हैं। तो अंतर क्या रह गया।

अच्छी बात है कि परीक्षा रद्द होने पर गुजरात के नौजवानों ने बोर्ड के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया है। लेकिन उन्हें इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान अपनी लोकतांत्रिक और राजनीतिक चेतना का विस्तार करना होगा। बग़ैर वे झूठ और नफ़रत से मुक्त हुए अपने प्रदर्शनों से कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। लाचार होकर हिंसा करेंगे और ये ग़लती कर दी तो सरकार के लिए कुचलना और आसान हो जाएगा।

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दिल्ली में 15 अक्तूबर तक 4000 शिक्षकों को ज्वाइन करना था। दिल्ली सबोर्डिनेट सर्विसेज़ सलेक्शन बोर्ड ने इनका बायोडेटा तैयार कर अलग-अलग निगमों को भेज दिया था। निगमों की तरफ पत्र जारी कर दिए गए कि शिक्षक अपनी हामी भरें। एक दिन पहले यानि 14 अक्तूबर को केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट इन नियुक्तियों पर रोक लगा देता है। उन छात्रों का होगा जो बगैर शिक्षक के पढ़ने के लिए मजबूर हैं ?

पंजाब में 23 साल से कालेजों में नियमित नियुक्ति नहीं हुई है। या तो ठेके पर पढ़ा रहे हैं, कम पैसे पर या क्लास में टीचर नहीं है। वहां पहले अकाली बीजेपी सरकार थी। उसके पहले कांग्रेस सरकार थी और अब कांग्रेस सरकार है।

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अब भी अगर आपको यह सब खेल समझ नहीं आता है तो ईश्वर मालिक है। जितनी जल्दी हो सके खुद को कश्मीर पर बोले जा रहे झूठ से मुक्त कर लें और अपनी अंतरात्मा से हिन्दू मुस्लिम का नेशनल सिलेबस उतार कर फेंक दें।

नोट- मुझे अलग अलग राज्यों से और अलग-अलग परीक्षाओं के लिए न लिखें। मुझे किसी को साबित करने की ज़रूरत नहीं है। इसी लेख को अपनी नौकरी पर लिखा गया लेख समझ कर पढ़ें और विचार करें। टीवी के लिए नौकरी सीरीज़ मैंने बंद कर दी है। कुछ नया मिलेगा तो उसे फेसबुक पर लिखूंगा। डेढ़ दो साल से इसी टापिक पर लिखता जा रहा हूं। बोलता जा रहा हूं। आपको फर्क ही नहीं पड़ा। खुद से उम्मीद करें। खुद को बदलें। खुद से लड़ें। मुझे नए विषयों की तरफ प्रस्थान करना है। आशा है आप समझेंगे।

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6 Comments

6 Comments

  1. Lal Bahadur

    October 22, 2019 at 7:12 am

    लोकतंत्र के प्रहरी,गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत,रामनाथ गोयनका पुरस्कार से सम्मानित इण्डियन टेलीविजन पुरस्कार ,कुलदीप नैयर पुरस्कार’ 2016 में इण्डियन एक्सप्रेस ने 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में एक,ब्राह्मण शिरोमणि परशुराम जी के वंशज एनडीटीवी इण्डिया के वरिष्ठ कार्यकारी सम्पादक,एएशिया का नोबेल रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित नौजवानों के प्रेरणास्रोत श्री रवीश कुमार पाण्डेय उर्फ रवीश कुमार जी आपको सादर सम्मान

  2. Anant Nerurkar

    October 22, 2019 at 7:13 am

    Ravish Kumar hates Modi, and will keep spewing venom at him.he has gotten emboldened after receiving some awards. Please ignore him, he is irrelevant.

  3. Dr Ashok Shukla

    October 22, 2019 at 10:51 am

    Thoughtful

  4. अनामी शरण बबल Anami sharan Babal

    October 22, 2019 at 11:07 am

    निसंदेह मैं रवीश कुमार को पसंद करने वालों में हूँ पर अब कालीदास बनने का पागलपन बेकार है। इतनी ही शिकायत हैं तो पहले अपनी लखटकिया नौकरी छोड़कर मुहिम जनजागरण आरंभ करें। पुरस्कार सम्मान रवीश के काम आ सकारात्मक पक्ष है। न्यूज़ चैनलों में सुधार की जरूरत है इसके लिए पहल करें। तमाम चैनल हेड के लिए हेडक बनिए तो कुछ सकारात्मक भूमिका उर्जा का संदेश जाएगा। जंतर-मंतर रामलीला मैदान छाप मुहिम रवीश के प्रतिकूल है। कालीदास बनने की बजाय प्रेमचंद बनने की कोशिश करे। अन्यथा बगावती तेवर का क्या फायदा?

  5. राहुल

    October 22, 2019 at 3:20 pm

    क्यों न सबसे पहले ndtv को बंद किया जाए, हम सब आपके साथ हैं, आपका चेनल भी एक खास वर्ग को ही पसन्द करता है और एक ही पार्टी के विरोध में रिपोर्टिंग करता है,क्या दिसम्बर 2018 के बाद मध्यप्रदेश में किसानों पर हो रहे अत्याचार और बहुत सी किसान हितेषी योजनाओ पर कोई रिपोर्टिंग की, 2लाख का कर्ज माफ करने वाली हक़ीक़त पता कि,इस तरह कोई bjp वाले राज्य में हुआ होता तो आप नागिन की तरह बल खाये खाये फिरते, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में खराब हुई फसलो को लेकर कोई राहत राशि नही दी इस पर क्या कोई शो हुआ,नही क्योंकि आपकी sickular इमेज को शोभा नही देता, और भी बहुत सी बातें है,आप मुद्दों की आड़ में जो खेल खेल रहे है इसकी आहट होती है जनता को तभी आपके आंदोलित विचार आप तक ही सीमित है, आप आइये सरकार में बैठिये और कुछ बदल कर दिखाईये ताउम्र आपके आभारी रहेंगे
    आपका भूतपूर्व श्रोता

  6. Divitiay Kumar

    October 22, 2019 at 4:55 pm

    Right and rational you are.
    The only thing you have yo add is start sending the right things to the court also through your lawyer friends also in curbing these menaces as we are not capable enough to take on mighty politicians and media houses and even hire lawyers.
    The rational thinking is to be percolated through your efforts to the last end i.e. general public

    These days the news channels are standardising India against Pakistan. Please all have to know through you that our competitor or benchmark is not Pakistan but is China in neigbourhood and Europe America Japan Singapore israel Hong Kong etc on other hand.

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