पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन की पत्नी रेनु के कविता संग्रह ‘जैसे’ का शनिवार, 13 फरवरी 2015 को अजमेर में हुआ विमोचन राजनीतिक चर्चाओं का हिस्सा बन गया। बताया जाता है कि इस कविता संग्रह का विमोचन सन् 2003 में हो चुका है। इतने साल बाद फिर से विमोचन कई को बेनकाब कर गया। अजमेर के कुछ चाटुकार साहित्यकारों और राजनेताओं की जुगलबंदी ने राजनीतिक फायदे और शाहनवाज से निकटता बढ़ाने के मकसद से रेनु को अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में एक समारोह में आमंत्रित किया।
उनके आमंत्रण के पीछे वसुंधरा सरकार के एक अति उत्साही और स्वार्थी मंत्री का दिमाग बताया जाता है। रेनु को बुलवाने के पीछे मंत्री का शातिर दिमाग इतनी हरकत में रहा कि उसने जानते बूझते इस हकीकत की जानकारी किसी को नहीं दी। यही नहीं, विश्वविद्यालय के अफसरों को बेवकूफ बनाते हुए उनसे यह घोषणा भी करवा दी कि इस काव्य संग्रह की कविताओं को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल करवाया जाएगा। उनका बस नहीं चला वरना रेनु के मुंह पर लगाम भी लगा देते और वह कुछ नहीं कहने देते जो उन्होंने यहां कहा।
रेनु ने अपने भाषण और अखबारों को दिए इंटरव्यूज में साफ कहा कि लव के साथ जेहाद जैसा कुछ नहीं होता। उन्होंने खुद बीस साल पहले शाहनवाज से लव किया था। उन्हें जेहाद जैसी किसी परिस्थिति का सामना नहीं करना प़ड़ा। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम दोनों संस्कृतियों को नजदीक से देखा है। जो आज लव जेहाद का मुद्दा उठा रहे हैं, उन्हें शायद लव के बारे में भी कुछ नहीं पता। प्यार सच्चा हो तो वह कोई सीमाएं नहीं मानता। शाहनवाज हुसैन के हंसमुख स्वभाव और आदतों का जिक्र करते हुए उन्होंने अपनी शादी, दो बच्चों और खुशहाल जिन्दगी के लिए सूफी संत गरीब नवाज ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की जमकर तारीफ की।
अजमेर से राजेंद्र हाड़ा की रिपोर्ट. संपर्क: 09549155160 और 09829270160