अजमेर : बहुत शीघ्र आप एक ऐसी अदालत देखेंगे, जिसके न्यायाधीश नेत्र बाधित होंगे। यहां इन दिनो ब्रम्हानंद शर्मा जज की ट्रेनिंग ले रहे हैं। वह देश के संभवतः पहले नेत्रबाधित न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। उनका चयन पिछले दिनों ही राजस्थान न्यायिक सेवा में हुआ है। ब्रम्हानंद उस आखिरी बैच के हैं, जिन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग ने चुना है। अब राजस्थान हाईकोर्ट मजिस्ट्रेटों की भर्ती करेगा।
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: अखबारों-टीवी की विज्ञापन नीति और नैतिक मापदंडों के लिए मदद करें : बड़े नाम के किसी भी अखबार और पत्रिका को उठा लीजिए, मजीठिया वेतन बोर्ड आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पत्रकारों को वेतन देने में बहानेबाजी कर रहे अखबार मालिकों की माली हैसियत सामने आ जाएगी। लेकिन इनके अखबारों में विज्ञापनों की इतनी भरमार रहती है कि कभी तो उनमें खबरों को ढूंढना पड़ता है। लेखकों को दिए जा रहे पारिश्रमिकों की हालत यह है कि सिर्फ लेख लिखने के दम पर गुजारा करने की बात सोची नहीं जा सकती। हमारे देश में सिर्फ एक अखबार या पत्रिका में लेख या स्थायी स्तंभ लेखन के जरिए गुजारे की कल्पना करना, उसमें भी हिन्दी भाषा में, असंभव है।
शाहनवाज हुसैन की पत्नी रेनु की किताब का 11 साल बाद फिर विमोचन
पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन की पत्नी रेनु के कविता संग्रह ‘जैसे’ का शनिवार, 13 फरवरी 2015 को अजमेर में हुआ विमोचन राजनीतिक चर्चाओं का हिस्सा बन गया। बताया जाता है कि इस कविता संग्रह का विमोचन सन् 2003 में हो चुका है। इतने साल बाद फिर से विमोचन कई को बेनकाब कर गया। अजमेर के कुछ चाटुकार साहित्यकारों और राजनेताओं की जुगलबंदी ने राजनीतिक फायदे और शाहनवाज से निकटता बढ़ाने के मकसद से रेनु को अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में एक समारोह में आमंत्रित किया।
अब फिर रोज खुलने लगा अजमेर का अजयमेरू प्रेस क्लब
स्थापना के 14 सालों में कई साल बंद रहने के बाद अब अजयमेरू प्रेस क्लब फिर रोजाना खुलने लगा है। अजमेर नगर निगम की ऐतिहासिक बिलडिंग गांधी भवन के उपरी तले पर अगर आप किसी भी दिन सुबह दस से शाम 5 बजे तक जाते हैं तो वहां सेवा राम मिलता है। नाम का ही नहीं काम का भी सेवा राम। शुरूआत हुई है तो अब मात्र ढाई रूपए में चाय भी मिलने लगी है। यह व्यवस्था शुरू होने के बाद से तो याद नहीं कि वहां आने वाले किसी सदस्य ने अकेले चाय पी हो। पीछे स्थित मदार गेट पर हर तरह का नाश्ता मिलता ही है। वैसे बाजार में चाय के दाम दस से पंद्रह रूपए है। काफी लम्बा अरसा बंद रहने के बाद जुलाई 2014 में क्लब फिर शुरू हुआ।
मजीठिया वेज बोर्ड : यशवंत के साथ ना सही, पीछे तो खड़े होने की हिम्मत कीजिए
Rajendra Hada
मंगलवार, 20 जनवरी 2015 की शाम भड़ास देखा तो बड़ी निराशा हुई। सिर्फ 250 पत्रकार मजीठिया की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आए? दुर्भाग्य से, जी हां दुर्भाग्य से, मैंने ऐसे दो प्रोफेशन चुने जो बुद्धिजीवियों के प्रतीक-स्तंभ के रूप में पहचाने माने जाने जाते हैं। वकालत और पत्रकारिता। दुर्भाग्य इसलिए कि दुनिया को अन्याय नहीं सहने की सलाह वकील और पत्रकार देते हैं और अन्याय के खिलाफ मुकदमे कर, नोटिस देकर, खबरें छापकर मुहिम चलाते हैं लेकिन अपने मामले में पूरी तरह ‘चिराग तले अंधेरा’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हैं। अपनी निजी भलाई से जुडे़ कानूनों, व्यवस्थाओं के मामले में बुद्धिजीवियों के ये दो वर्ग लापरवाही और अपने ही साथियों पर अविश्वास जताते हैं। यह इनकी निम्नतम सोच का परिचय देने को काफी है।
पत्रिका के कार्यक्रम ‘हमराह’ को लेकर नवज्योति के मालिक दीनबंधु चौधरी का इगो टकरा गया!
राजस्थान पत्रिका और दैनिक नवज्योति की लड़ाई इतवार 14 दिसंबर की सुबह अजमेर की सड़कों पर नजर आई। पत्रिका का कार्यक्रम और नवज्योति के मालिक दीनबंधु चौधरी का इगो टकरा गया। पत्रिका ने पिछले कुछ दिनों से एक कार्यक्रम शुरू किया है, ‘हमराह’, इसके लिए इतवार की एक सुबह के लिए एक ऐसी सड़क का कुछ मीटर हिस्सा तय किया जाता है जहां दो घंटे सुबह 7 से 9 बजे तक शहर के लोग आकर बेलौस अंदाज में अपनी गतिविधियों, प्रतिभाओं का प्रदर्शन कर सकें।
पत्रिका में उठापटक का दौर : ज्ञानेश उपाध्याय, उपेंद्र शर्मा, संतोष खाचरियवास, अमित वाजपेयी के बारे में सूचनाएं
राजस्थान पत्रिका में इन दिनों जोरदार उठापटक का दौर है। दौलत सिंह चौहान को पत्रिका जयपुर का संपादक बनाए जाने के ठीक पहले के ये हालात हैं। करीब आठ महीने पहले ही अजमेर के स्थानीय संपादक बनकर आए बिहार मूल के ज्ञानेश उपाध्याय यहां अपने पैर जमा भी नहीं पाए थे कि उन्हें जोधपुर का स्थानीय संपादक बनाकर भेज दिया गया। उनकी जगह जयपुर से भीलवाड़ा मूल के उपेन्द्र शर्मा को अजमेर का स्थानीय संपादक बनाया गया है।
सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती और उनकी दरगाह पर हिन्दी का पहला वेब न्यूज पोर्टल तैयार हो रहा
पिछले एक दो साल से लगातार यह उधेड़बुन थी कि मीडिया के क्षेत्र में ही ऐसा कुछ किया जाना चाहिए जो नया हो। नए मीडिया न्यूज पोर्टल से थोड़ा आगे, थोड़ा हटकर और थोड़ा बहुआयामी भी। वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, न्यूज सोर्स, रिसर्च कुलमिलाकर ऐसा ही कुछ। विषय की तलाश अपने शहर अजमेर में ही पूरी हो गई। सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती और उनकी दरगाह। कुछ और भी वजह रहीं। ना गांठ में पैसा था और ना ही कोई संसाधन। बस कर दी शुरूआत। इस सच्चाई को स्वीकारने में कतई संकोच नहीं है कि इसकी शुरूआती प्रेरणा भड़ास के भाई यशवंत से मिली। उन्होंने भड़ास पर कई मर्तबा पत्रकार साथियों को इस बात के लिए प्रेरित किया है कि वे नए मीडिया में आगे आएं। उनकी इस सोच का ही परिणाम Media4Khwajagaribnawaz.com है।
‘वन बार वन वोट’ के हाईकोर्ट आदेश का नहीं हुआ पालन
: 9 नवंबर तक राज्य के सभी वकीलों को देना था हलफनामा : अजमेर। वकीलों के कल्याण और बार एसोसिएशनों के चुनाव सुधार की कवायद जल्द पूरी होती नजर नहीं आ रही है। राजस्थान हाईकोर्ट चाहता है कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के तहत राजस्थान में भी जल्द से जल्द ‘वन बार वन वोट’ की नीति लागू की जाए। हाईकोर्ट ने 9 अक्टूबर को एक जनहित याचिका का फैसला करते हुए यह निर्देश भी दिए थे कि राजस्थान के सारे वकील ‘वन बार वन वोट’ की नीति का एक हलफनामा चार सप्ताह के भीतर अपनी बार एसोसिएशनों में दाखिल करें। 9 नवंबर को चार सप्ताह की यह अवधि पूरी हो रही है और अभी तक ऐसा कोई हलफनामा नहीं दिया गया है।