यशवंत सिंह-
जैसे ख़रबूज़ा अपना जीवन पूर्ण करते हुए फट जाता है….
एनपी सिंह जी (पूर्व आईएएस और भारतीय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष) से जब भी मुलाक़ात होती है, कुछ नया सीखने को मिलता है। इन्हें मैं अपना आध्यात्मिक गुरु मानने लगा हूँ। जो आंतरिक गहराई, ज्ञान-समझ, विनम्रता-सहजता और सामाजिक सरोकार इनमें है, वो आज के दौर में दुर्लभ है। ऋग्वेद के इस चर्चित मंत्र की उन्होंने जो व्याख्या की वो ग़ज़ब है! देखें ये वीडियो-
बहुत अच्छी व्याख्या । वाकई इम मंत्र को लेकर भारी असमंजस देखा गया है। कई भक्त आदिकाल से ही इके मकड़जाल में फंसते आए हैं। हमने खुद अपने परिवारों और मित्रों की सोच को अच्छी तरह समझा है। -अशोक थपलियाल
अच्छी बात है।सघन विचार है। दरअसल, पूरा वैदिक साहित्य ही विदूषकों के हाथ लग कर भ्रष्ट गति को प्राप्त हो गया। उसका वास्तविक अर्थ तो आया ही नहीं। -अरुण सिंह