दैनिक जागरण वाले आखिर क्यों पत्रकारों के साथ नहीं खड़े होते. ऐसा क्या है कि वह हमेशा मजबूत, बड़े, ताकतवर, सत्ताधारी लोगों के साथ ही खड़े होते हैं, भले ही वो लोग चाहें जितने गलत हों. मामला यूपी के मुगलसराय का है. यहां आरपीएफ के सिपाही द्वारा वेंडर से वसूली करने का वीडियो बनाने वाले पत्रकार पर नाराज आरपीएफ कर्मियों ने जानलेवा हमला कर दिया. पत्रकार को बुरी तरह मारापीटा गया. जब सहयोगी मीडियाकर्मी उसके पक्ष में पहुंचे तो उनमें कई नामजद करते हुए झूठी एफआईआर दर्ज करा दी गई. पर इस प्रकरण की खबर दैनिक जागरण में ऐसे प्रकाशित हुई जैसे पत्रकार ही दोषी हो और आरपीएफ वालों ने बिलकुल ठीक काम किया हो. जागरण के इस रवैये पर जिले भर में थू थू हो रही है.
14 नवंबर को ANM न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार अनिल कुमार ने एक वेंडर से आरपीएफ कर्मी द्वारा पैसे लिए जाने का वीडियो बना लिया. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके बाद उक्त आरोपी सिपाही पर गाज गिर गई और उसे निलंबित कर दिया गया. बस यहीं से आरपीएफ वालों ने उसे अपना दुश्मन मान लिया था. आरोपी के निलंबन से क्षुब्ध होकर आरपीएफ वेस्ट पोस्ट प्रभारी निरीक्षक वेंकटेश कुमार के शह पर लगभग दर्जनभर आरपीएफ कर्मी मुगलसराय स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया से पत्रकार अनिल कुमार को पकड़ लिए। फिर पत्रकार को बेरहमी से लात-घूंसे और असलहे के बट से मारते-पीटते, घसीटते वेस्ट पोस्ट ले गए. पत्रकार को हवालात में डालने लगे.
इसी बीच अन्य पत्रकारों सूचना लगते ही सभी लोग वेस्ट पोस्ट पहुंचे और अनिल को वेस्ट पोस्ट से निकालकर जीआरपी कोतवाली ले आए. यहां आरोपियों के विरुद्ध भुक्तभोगी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर मेडिकल मुआयना कराया गया. उक्त प्रकरण की उच्चाधिकारियों के साथ-साथ रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को जानकारी होने पर प्रथमदृट्या तीन आरपीएफकर्मी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. इस प्रकरण से संबंधित समाचार को लगभग सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, लेकिन दैनिक जागरण ने खबर की ऐसी तैसी कर दी. पत्रकार के ऊपर जानलेवा हमला हुआ, लेकिन दैनिक जागरण ने सही तथ्य रखने की बजाय तोड़ मरोड़कर आरपीएफ को बचाने का कुत्सित प्रयास किया. दैनिक जागरण की तथ्यात्मक गड़बड़ी और आरपीएफ की गुंडई से जनपद भर के पत्रकारों में रोष व्याप्त है. मुगलसराय के पत्रकार काली पट्टी बांधकर विरोध जताते रहे, वहीं जनपद के दूसरे भागों में भी पत्रकारों ने इस घटना के विरोध में धरना दिया.